27 वर्षीय विशाल दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे हैं।
शाम का न्योता
दिल्ली में रहते हुए मैं कई महिलाओं से मिला। मुझे याद है, एक बार मैं रचना नाम की एक लड़की से मिला था। वह दूसरे कॉलेज से स्नातक कर रही थी। जबकि मैं अपने पीएचडी के तीसरे साल में था। हम एक प्रोटेस्ट मार्च के दौरान मिले और दोस्त बन गए। हम दोनों की उम्र में सात साल का अंतर तो था लेकिन उम्र आड़े नहीं आई और हम जल्द ही एक दूसरे को जानने समझने लगे और चैटिंग करने लगे।
एक शाम, उसने मुझसे पूछा कि मैं कहां हूं। मैंने उसे बताया कि अपने हॉस्टल में खाली ही बैठा हूं। उसने मुझे अपने फ्लैट पर बुलाया, यह सुनकर मुझे थोड़ा ताज्जुब हुआ। उसका फ्लैट मेरे यहाँ से आधे घंटे की दूरी पर था। मैंने कैब बुक किया और उससे मिलने पहुंच गया।
जब मैं रास्ते में था तभी उसने मुझसे पूछा कि मुझे क्या खाना पसंद है। वाइन और मैक्रोनी ऑफर की जा रही थी तो मैंने तुरंत हां कह दिया। मैंने सोचा, आज की रात बहुत मजेदार होने वाली है। मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि मेरे साथ आगे क्या होने वाला है।
घर पहुँचते ही उसने मुझे गले लगाकर स्वागत किया। मैं उसके साथ फ्लैट में अंदर गया। उसका किचन एकदम साफ और काफी सुंदर था। बेडरूम में एक मिनी लाइब्रेरी भी थी। हम एक दूसरे का हाथ पकड़कर डांस करने लगे और तभी मैंने लाइट ऑफ कर दी।
क्या गलत हुआ?
हम गद्दे पर साथ में बैठकर खाने-पीने लगे। उस समय सिर्फ़ एक छोटा सा लैंप जल रहा था। ऐसे रोमांटिक माहौल में मैं उसके और करीब आ गया। उसने कुछ कहा नहीं। डिनर के कुछ ही मिनट बाद, हम किस करने लगे। लेकिन जैसे ही मैंने उसके ब्रेस्ट पर अपना हाथ रखा, वह गुस्सा हो गई। उसने उठकर लाइट जला दी।
मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या कहूँ। इसलिए मैं कुछ नहीं बोला और माफी मांगने के मौके का इंतजार करने लगा। इससे पहले कि ऐसा कुछ होता, उसने मुझे अपने फ्लैट से तुरंत जाने के लिए कहा।
मैंने अपना बैग उठाया, अपना वॉलेट चेक किया और चला गया। आधी रात को कैब मिलना भी काफी मुश्किल था। मैं वहीं उलझन भरे मन से सड़क पर खड़ा था। मैं समझ नहीं पाया कि आखिर मैंने क्या गलत कर दिया। क्या वह अंतरंग होने के लिए तैयार थी या सिर्फ मैंने ही ऐसा समझ लिया? रचना ने इस सहमति के मुद्दे को लेकर मुझे उलझन में डाल दिया था।
सहमति थी या नहीं?
मेरा मतलब है कि इसके बारे में मुझे सोचना चाहिए था। कभी किसी लड़की ने मुझे अपने साथ सेक्स करने के लिए नहीं कहा। मुझे नहीं लगता कि ऐसा कभी होगा भी। क्या कोई लड़की कभी कहेगी, ‘मैं तुम्हारे लिंग को अपनी योनि के अंदर डालने के लिए तैयार हूं!’
मेरी लाइफ में रचना के अलावा और कई लडकियों के आने के बाद मैंने जाना कि बेशक सहमति को समझने का भी एक तरीका है। उसी तरह 'ना' के सिग्नल को भी पहचानना पड़ता है। अगर मैं किस करने की कोशिश करता हूं और वह अपना मुंह घुमा लेती है, तो इसका मतलब यह है कि उसे दिलचस्पी नहीं है। मुझे रुक जाना चाहिए।
अगर मैं अपनी उंगली उसकी पैंटी में डाल रहा हूँ और वह निकाल देती है, तो इसका मतलब यह है कि वह इसके लिए तैयार नहीं है। सिंपल सी बात है ये।
मैंने रचना को किस किया, रचना को वो अच्छा लगा और उसने भी किया। मैंने उसके ब्रेस्ट छुए, उसे अच्छा नहीं लगा। हालाँकि उसकी प्रतिक्रिया मेरे लिए चौंकाने वाली थी, लेकिन असहमति दर्ज़ करने का उसका अपना तरीका था।
और कभी-कभी इस ‘ना’ के चक्कर में आपको आधी रात में रोमांटिक फ्लैट से निकलकर सड़क पर खड़े रहना पड़ सकता है! मैंने मुश्किल से ही सही लेकिन अनुभव से सीखा है कि हां के साथ ना समझना भी ज़रूरी है।
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
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लेखक के बारे में: अर्पित छिकारा को पढ़ना, लिखना, चित्रकारी करना और पॉडकास्ट सुनते हुए लंबी सैर करना पसंद है। एस आर एच आर से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखने के अलावा, वह वैकल्पिक शिक्षा क्षेत्र में भी काम करते हैं। उनको इंस्टाग्राम पर भी संपर्क कर सकते हैं।