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बैचलर पार्टी में नादानी मुझे यौन रोग दे गयी

Submitted by Harish P on सोम, 11/26/2018 - 08:30 बजे
क्या हो अगर आपको यौन रोग हो जाएI वो भी एक ऐसे समाज में जहाँ सेक्स के बारे में बात करना भी पाप हो? रांची में रहने वाले 20 वर्षीय अमित ने उस रात एक वैश्या के साथ अपना कौमार्य तो खो दिया, लेकिन उस घटना ने उसे आत्महत्या तक पहुंचा दियाI आगे पढ़ें कि क्या अमित बच पाया...

सेक्स? वो क्या होता है?

मेरा जन्म रांची के बाहर स्थित एक छोटे से शहर में हुआ थाI मेरा परिवार विवाह और सेक्स से संबंधित मामलों के बारे में बहुत रूढ़िवादी था। जहां तक ​​मुझे याद है, मैं और मेरे दोस्त जब भी सेक्स के बारे में बात करते थे तो हमें ऐसा लगता था जैसे कुछ गलत कर रहे हैंI मेरे दोस्तों में से किसी की भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी और अगर किसी की होती भी तो भी उनका रिश्ता शायद सेक्स तक कभी नहीं पहुंचताI

हमारे यहाँ अधिकांश लड़कियां सेक्स शादी के बाद ही करती हैं या फ़िर तब जब उनकी किसी लड़के से शादी होने वाली होती हैंI कहने का मतलब यह कि हम सभी दोस्त विर्जिनिटी तभी खोते जब उनकी शादियां उन लड़कियों से हो जाती जिन्हें उनके माता पिता ने उनके लिए चुना होताI मेरे करीबी दोस्त विशाल के साथ भी यही होने वाला थाI आखिर उसके माँ बाप ने उसकी शादी जो पक्की कर दी थीI

विजयी मुस्कान

विशाल जानता था कि शादी के बाद वो अपनी पत्नी के साथ रिश्ते में पूरी ईमानदारी के साथ रहेगाI हम लोगों को भी इस बात का एहसास था कि शादी के बाद हम अपनी आज़ादी खो देंगेI शायद यही वजह थी कि विशाल ने बैचलर पार्टी का प्लान बनाया और हमने भी अपनी हामी भर दीI विशाल का प्लान था कि हम सभी को वैश्याओं के साथ सेक्स करना चाहिएI चूंकि हम सभी की भी जल्दी ही शादी होने वाली थी तो हमें भी उसका सुझाव बेहद पसंद आया थाI

वो रात कई कारणों से मेरे लिए एक अविस्मरणीय रात थी। मैंने केवल अपने कौमार्य को ही नहीं खोया, बल्कि उस रात मुझे अपने जीवन के सबसे अंतरंग पल का एहसास हुआI वो भी एक अजनबी के साथ, जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा था। यह सब बड़ा अजीब था लेकिन फ़िर भी हम सब एक विजयी मुस्कान के साथ वापस आये थेI हमने काम ही कुछ ऐसा किया थाI आप लोग भी यह बात तो मानेंगे कि कुछ ऐसा करने पर जिसके लिए हर कोई मना करता है, असीम ख़ुशी तो होती ही हैI

गलती का एहसास

उस रात के करीब तीन महीने बाद ही मुझे एहसास हो गया था कि मैंने क्या बेवक़ूफ़ी की हैI मैंने अपने जननांगों पर कुछ मस्से देखे थे जिनसे मैं बेहद चिंतित हो गया था। सेक्स और यौन रोगों के बारे मैं मुझे जितना भी ज्ञान था, या यूँ कहूं कि जितना भी कम ज्ञान था, उससे मुझे एहसास हो गया था कि यह मस्से 'उस रात' की ही देन हैंI जब मैंने उस दिन के बारे में सोचा तो याद आया कि मैंने कंडोम का इस्तेमाल तो किया था लेकिन सेक्स के दौरान वो फट गया थाI

मैं उस पल को कोस रहा था कि क्यों मैं विशाल की बातों में आया और क्यों मैंने दोबारा कंडोम नहीं पहनाI जब भी हम यौन संक्रमित रोग या संक्रमण (एसटीडी / आई) के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में पहली चीज़ यही आती है कि यह मुझे नहीं हो सकताI लेकिन शायद मेरा बुरा सपना सच हो गया थाI

आत्महत्या का ख्याल

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिएI शर्म के मारे ना तो मैंने इस बारे में किसी को कुछ बताया था और ना ही डॉक्टर के पास जाने की हिम्मत जुटा पा रहा थाI इस दौरान मुझसे एक बेवकूफ़ी और हो गयी - मैंने इस बारे में इंटरनेट पर जानकारी ढूंढनी चाही तो मेरे शरीर में हो रहे लक्षणों और गूगल भैया की मदद से मुझे यह तो विश्वास हो गया था कि मुझे कोई यौन संचारित रोग (एसटीडी) हो गया थाI लेकिन कौनसा, यह समझ नहीं आ रहा थाI अब मेरे मन में बहुत सारे सवाल उठ चुके थेI क्या मैं मर जाऊंगा? क्या इसका इलाज होगा या फ़िर मुझे एचआईवी / एड्स जैसा कुछ हो गया है? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल था कि क्या यह संक्रामक है? क्या मैं कभी फ़िर से सेक्स कर पाउँगा या नहीं?

हालात इतने बिगड़ गए थे कि मैंने कॉलेज जाना छोड़ दिया थाI मैं घर पर ही रहता था और मुझे आत्महत्या का ख्याल भी आना शुरू हो गया थाI मुझे एसटीडी है यह लोगों को पता लगने से अच्छा मुझे लोगों को मेरी आत्महत्या के बारे में पता लगना बेहतर विकल्प लग रहा थाI

समाधान निकालना

जब मुझसे रुका ना गया तो मैंने आखिरकार मैंने अपने एक दोस्त प्रतीक को इस बारे में बता दियाI प्रतीक भी उस रात हमारे साथ थाI मेरा साथ देना तो दूर उसने मेरी कंडोम वाली बात सुनकर मुझे और वैश्या को ही गाली देना शुरू कर दियाI उसकी यह प्रतिक्रया देखकर मेरी रही सही हिम्मत भी टूट गयी थी!

खैर कुछ दिनों के बाद प्रतीक ने ही मुझे शहर के एक जाने माने यौन रोग चिकित्सक के साथ अपॉइंटमेंट ले कर दिया थाI वैसे उस समय वो सहायता कम एक शाप ज़्यादा लग रहा थाI मेरे लिए किसी को भी यह पता लगना कि मैंने एक वैश्या के साथ असुरक्षित सेक्स किया, एक डरावने सपने से ज़्यादा थाI मैंने शुरू में डॉक्टर के पास जाने के लिए मना भी किया था लेकिन आखिरकार प्रतीक ने मुझे मना ही लिया था!

वही हुआ जिसका डर था

डॉक्टर के पास जाने और टेस्ट करवाने से वही बात सामने आयी जिसका कि मुझे डर थाI मुझे साइफिलिस हो गया था और डॉक्टर के इस दिलासे से मुझे ज़रा भी फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था कि यह दवाइयों से ठीक हो जाएगाI शायद मुझे यह बात ज़्यादा परेशान कर रही थी कि मुझे सच में एक यौन संक्रमित रोग हो गया थाI

मैंने अपने परिवार और अन्य दोस्तों को बताये बिना अपना इलाज शुरू किया थाI कुछ महीने के इलाज और दवाओं ने मेरे मस्सों और बैचैनी, दोनों को ही बेहद आराम पहुंचाया थाI

कम जानकारी एक अभिशाप

जब भी इस घटना के बारे में सोचता हूँ तो मेरी रूह काँप जाती है क्यूंकि एसटीडी / एसटीआई के बारे में कम जानकारी होने की वजह से मैंने तो लगभग अपना जीवन ही खत्म करने का फैसला कर लिया थाI हममें से बहुत से लोगों का पहला सेक्स अनुभव तब होता जब हमें इसके बारे में बेहद कम जानकारी होती हैI मेरी एक बेवकूफ़ी की वजह से मेरे जीवन को ख़तरा उत्पन्न हो गया थाI मैं चाहता हूँ कि लोगों के पास यौन रोगों और सेक्स के बारे में सही और निरपेक्ष जानकारी प्राप्त करने के आसान तरीके हैं जिनसे उन्हें उस भयानक दौर से ना गुज़रना पड़े जिससे मैं गुज़रा थाI

हर किसी के पास प्रतीक जैसा दोस्त नहीं होगा जो उन्हें राह चुनने में मदद करेगा! लेकिन मुझे उम्मीद है कि मेरा अनुभव कुछ अन्य लोगों की मदद ज़रूर करेगा जो शायद इसी मोड़ पर होंगे जहाँ कुछ महीनों पहले मैं खड़ा थाI अगर ऐसा हुआ तो मुझे बेहद सुकून मिलेगाI

लेखक की गोपनीयता बनाये रखने के लिए तस्वीर में एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया हैI

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लेखक के बारे में: मुंबई के हरीश पेडाप्रोलू एक लेखक और अकादमिक है। वह पिछले 6 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। वह शोध करने के साथ साथ, विगत 5 वर्षों से विश्वविद्यालय स्तर पर दर्शनशास्त्र भी पढ़ा रहे हैं। उनसे लिंक्डइन, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर संपर्क किया जा सकता है।