जब मुझे शादी शुदा मर्द से हुआ प्यार
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जब मुझे शादी शुदा मर्द से हुआ प्यार

अपने प्रेमी के साथ पहली बार सेक्स करने से ज़्यादा सुखद और अविस्मरणीय पल शायद ही कोई हो। लेकिन अलीसा ने कुछ और ही महसूस किया थाI

अपने प्रेमी के साथ पहली बार सेक्स के उपरान्त वो अपने आप को दोषी मान रही थी। कारण था उसका साथी, जो ना सिर्फ़ शादीशुदा था बल्कि दो बच्चों का बाप भी था। वो उसकी ज़िन्दगी में "दूसरी" औरत थी। आइये जाने थोड़ा और इस रिश्ते के बारे में जिसे आज चार साल बीत गए है

अलीसा मेनडोनका (नाम बदला गया है) एक सॉफ्टवेयर अभियन्ता है, जो गोवा में रहती है।

हम मेरे ऑफिस के पास एक कॉफ़ी शॉप में पहली बार मिले थे। हमारे पास समय कम था क्योंकि उसे अपनी बेटियो को सुलाने के लिए घर भागना था। वो एक बेहद छोटी मुलाक़ात थी, जिसमे हम एक दुसरे से बात करने के बजाय इस बात से ज़्यादा व्याकुल थे कि हमें कोई देख ना ले और शायद इस बात से भी कि अगर देख ले तो बहाना क्या बनाना है। मुझे पहली बार अपराध-बोध उसी दिन हो गया था।

वो तो चला गया था लेकिन मैं रह गयी थी कुछ मुश्किल सवालो के घेरे में। क्या मैं एक बसी-बसाई गृहस्थी उजाड़ने वाली हूँ ? क्या मैं बदचलन हूँ ? क्या हमारी सारी मुलाक़ातें ऐसी ही होंगी जहाँ इसे घर भागने की जल्दी होगी और मेरे दिलो-दिमाग में भावनाओं का तूफ़ान उमड़ रहा होगा ? मुझे कुछ समझ नही आ रहा था।

यह शायद इसलिए था क्यूंकि , रॉल शादीशुदा था और सबको यही लगता था क़ि वो अपनी शादी में खुश है। उसका परिवार एक आदर्श परिवार की तरह था, दो प्यारी बेटियां और एक खूबसूरत बीवी। बस, मैं इस परिवार का हिस्सा नहीं थी, क्यूंकि मैं एक 'दूसरी' औरत थी।

परिचय अभाव

अक़सर हमारी पहचान लोगों के साथ बने हुए हमारे रिश्तों के द्वारा परिभाषित होती है। हम किसी की बेटी, बुआ, चाची, बीवी, गर्लफ्रेंड या फिर किसी के बॉस होते है। लेकिन जब आपको एक ऐसी पहचान मिले जो पूरा जीवन ही उलट-पलट कर दे, तब आप क्या करेंगे?

हमने अपने सम्बन्ध के बारे में ज़्यादा लोगो को नहीं बताया था। इसके बारे में सिर्फ रॉल और मेरे कुछ करीबी दोस्तों को पता था और उन सभी ने हमें इसे आगे बढ़ाने के ख़िलाफ़ चेतावनी दी थी। एक दिन, अचानक, मेरे एक दोस्त ने मुझसे पुछा क़ि क्या मुझे 'दूसरी' औरत बन के रहना अच्छा लग रहा है?

मैंने उसे कोई ज़वाब नहीं दिया। सच तो यह था कि मेरे पास कोई ज़वाब था ही नहीं। 'दूसरी' औरत का तमगा किसे अच्छा लगेगा? अगर हमारे समाज़ और हमारे यहाँ दिखाई जाने वाली फिल्में और टीवी धारावाहिको की माने तो "दूसरी" औरत से गंदी कोई गाली नहीं है। इस तरह की औरतो को हमेशा एक कठोर ह्रदय वाली बेरहम और क्रूर औरत की तरह दर्शाया जाता है। लेकिन मैं ऐसी बिलकुल नहीं थी।

प्यार में पागल

मुझे पता था की जो हम कर रहे है वो नैतिक रूप से गलत था और किसी को नुक़सान पहुँचा सकता था। मुझे पता था की रॉल मुझसे कितना भी प्यार करे कभी अपने परिवार को नहीं छोड़ेगा, हालाँकि मैं खुद भी ऐसा नही चाहती थी। मुझे पता था क़ि यह रिश्ता हमेशा के लिए नहीं नहीं है। मुझे पता था की अगर यह बात चर्च को पता चली तो वो मुझे अस्वीकार कर देंगे। मुझे सब पता था। लेकिन इन सबके बावजूद मैं इस रिश्ते को स्वीकार कर चुकी थी।

मुझे यह सब मान्य था लेकिन फ़िर भी एक बात हमेशा कचोटती रहती थी। कही ना कही मैं इसके लिए अपने आप को कसूरवार मानती थी।

जब हमने पहली बार रात साथ बिताने का फ़ैसला लिया तो मैं यह सोच कर बहुत खुश थी कि जिस आदमी से मैं प्यार करती हूँ आज मैं उसी के साथ हूँ। लेकिन सम्भोग के दौरान उसकी पत्नी का चेहरा रह रह कर मेरे सामने आ रहा था। मुझे लग रहा था कि उसकी ज़िंदगी में भी एक पल ऐसा आया होगा जब उसने वही जज़्बात महसूस करे होंगे जो आज मैं कर रही हूँ। क्या मैं उसे इस सबसे वंचित कर रही हूँ? क्या वो रॉल को उतना ही चाहती है जितना कि मैं? क्या वो उसे उतनी ही खुशी देती है जितनी कि मैं? उस बेचारी का क्या क़सूर है जो आज उसके साथ यह सब हो रहा है? यह सब सोचते सोचते मैं इतनी ज़्यादा अपराध बोध से ग्रस्त हो गयी कि मैंने बीच रात में ही रोना शुरू कर दिया।

इन ख्यालो का कोई अंत नहीं था। जब भी हम मिलते या एक दुसरे के संपर्क में आते यह ख्याल भी साथ में आते। रॉल से बात करने का कोई फ़ायदा नहीं था क्युकी उसे यह बाते उपदेश लगती थी। रिश्ता तोड़ के भी देखा लेकिन उस से दूर रहना तो और ज़्यादा दुखदायी था।

हम आज भी साथ है। चार साल हो चुके है हमारे रिश्ते को लेकिन में आज भी 'दूसरी' औरत हूं। ऐसा नहीं है कि मैं अब अपने आप को कम कसूरवार मानती हूँ, बस मैंने अपनी कश्मकश के साथ जीना सीख लिया है।

क्या आप भी किसी विवाहेतर सम्बन्ध में है ? आपने क्या अनुभव किया ? अपने विचार नीचे लिख कर हमारे साथ बाँटिये या फिर फेसबुक के ज़रिये हमें बताइये।

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