ब्रेक- अप के बाद रिश्ते के दौरान दिए गए तोहफों के साथ रहना आसान नहीं होता, और लोग अलग अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं अपने 'एक्स' यानी अपने पुराने रिश्ते से बाहर आने का और एक नयी शुरुवात करने का, ऐसा एक अमेरिका मैं किये गए शोध आपको छोड़ दिया गया है. आंसूं भरी आँखें और निराश, ये सब आपको याद दिलाती है आपके पुराने प्यार की. और उससे भी ज़्यादा बुरा है की तुम दोनों की तसवीरें फेसबुक पर सब जगह लगी हुई हैं। इन तस्वीरों का क्या किया जाये? क्या आप अपने रिश्ते का दर्ज बदलना चाहते हैं और अपने दोस्तों के फेसबुक अकाउंट से भी अपने 'एक्स' का नाम हटा देना चाहते हैं?
ये बस उसी तरह के सवाल थे जिनका की शोधकर्ता जवाब देना चाहते थे जब उन्होंने 24 विद्यार्थियों को इंटरव्यू किया जिनकी उम्र 19 से 34 साल के बीच थी।. शोधकर्ताओं ने उनसे फेसबुक, ब्रेक-अप और लोग अपने पुराने साथी के फोटो, गाने, विडियो और मेसेज के साथ क्या करते हैं जब रिश्ता ख़त्म हो जाता है के बारे में जानने की कोशिश करी।
मिटा देना या पास रखना?
जो मनोवैज्ञानिक इंसानों की कंप्यूटर के साथ बातचीत पर रिसर्च कर रहे है, वो इन्हें डिजिटल सम्पति मानते हैं, और ब्रेक-अप के बाद अपने एक्स की फोटो देखना या उनके पिउरनेय फेसबुक मेसेज पढ़ना बहुत दुखदायी हो सकता है। अलग अलग लोगों के अलग-अलग तरीके होते हैं इन डिजिटल सम्पति के साथ बर्ताव करने की, ऐसा शोध में पाया गया है।
• मिटा देने वाले
आधे से ज्यादा विद्यार्थी जिनको लेकर शोध किया गया, उसमे पाया गया की वो मिटा देने वाले थे - उन्होंने इन सभी डिजिटल यादों को मिटा दिया ताकि वो ज़िन्दगी में आगे बढ़ सके। कई बार वो बहुत आवेग में आ गए और उन्होने अपने 'एक्स' को दोस्त लिस्ट से हटा भी दिया और ब्लाक भी कर दिया, और तुरंत ही अपना स्टेटस भी फेसबुक पर सिंगल कर दिया। हालाँकि इन सब चीज़ों ने इन विद्यार्थियों को अपने पुराने रिश्ते से उभरने में मदद करी, लेकिन वो अपनी इन हरकतों से ज्यादा खुश नहीं थे।
• पास रखने वाले
‘पास रखने वाले’, अलग थे और इनको अपने पुराने रिश्ते से उभरने में बहुत समय लगा। 8 विद्यार्थियों ने अपने 'एक्स' से सम्बंधित सार सामान बहुत संभल कर रखा था, जिसमे मेसेज, फोटो, फोन नंबर सब कुछ शामिल था। और इसकी वजह से अपने पुरानी साथी की याद वो मिटा ही नहीं पा रहे थे। ये लोग फेसबुक और बाकि सोशल मीडिया माध्यम से यह लगातार जानने की कोशिश में भी रहते थे की उनका /उनकी पुरानी साथी की ज़िन्दगी में क्या चल रहा था, ऐसा शोध में पाया गया।
• सिर्फ कुछ मिटाने वाले
बचे ही कुछ 4 विद्यार्थी सिर्फ कुछ यादें मिटाने वाले थे। उनकी पहली प्रतिक्रिया थी अपने 'एक्स' की डिजिटल यादों से अपने आप को हटा देना। बाद में जब उनका गुस्सा थोडा शांत हुआ तब उन्होंने कुछ चीज़ें तो मिटा दी लेकिन कुछ चीज़ें अपने पास रखी। शोधकर्ताओं के हिसाब से सोच समझकर समय लेकर कुछ यादें मिटाना और कुछ पास रखना एक अच्छी तरकीब होती है ब्रेक-अप के बाद। इन लोगों को सब कुछ मिटा देने का पूरा ग़म भी नहीं होता और इन्हें आगे बढने में भी ज्यादा परेशानी नहीं होती।
जो मिट ना सके
आज के समय में लोग बहुत ज्यादा समय ओलिने बिताते हैं, और इसलिए डिजिटल यादें भर जाती हैं. रिश्तों पर भी इसका असर साफ़ दिखाई पड़ता है - शोध के अंतर्गत पाया गया की विद्यार्थियों के पास डिजिटल यादें वास्तविक यादों से ज़्यादा थी।
लेकिन यह डिजिटल यादें इतनी आसानी से भी नहीं मिटाई जा सकती। उधारण के तौर पर - ईमेल, मेसेज, सोशल मीडिया पर बातचीत - ये सब चीज़ें स्टोर तो होती ही हैं। अब इतना सब मिटा देना पेपर पर लिखे गए प्रेम पत्र को मिटने से ज़्यादा मुश्किल तो है।
आप यादें मिटाने वालों में से हो या संभल कर रखने वालों में से? यहाँ लिखिए याफेसबुक पर हो रही चर्चा में भाग लीजिये।