Orgasms: hands grabbing the sheet
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बेहतर ओर्गास्म वाला शरीर

द्वारा Sarah Moses मई 19, 02:05 बजे
क्या आपको ओर्गास्म मुश्किल से होते हैं? इसकी वजह वो नहीं है जो आप सोच रहे हैंI एक नयी रिसर्च कुछ शारीरिक कारणों की तरफ़ इशारा करती है जिनके फलस्वरूप कई लोगों के लिए चरमोत्कर्ष तक का सफर एक कठिन राह बन जाता हैI

कामोत्तेजक होना और ओर्गास्म तक पहुंचना एक पेचीदा मामला हो सकता हैI कामोन्माद की चरम स्थिति का एक मानसिक और शारीरिक पहलु है जिसमें तंत्रिका यंत्र की अलग-अलग शाखाएं भी जुड़ी हुई हैI तो इसलिए किसी भी व्यक्ति के लिए ओर्गास्म प्राप्ति का मतलब है, उस समय उसके साथ कई चीज़ें सही होनाI और इससे यह भी साफ़ होता है कि अगर किसी को चरमोत्कर्ष तक पहुँचने में दिक्कतें आ रही हैं तो उसके विभिन्न कारण हो सकते हैंI

वैसे तो पुरुषों में लिंग तनाव, शीघ्रपतन और महिलाओं में ऐनऑर्गॅस्मिा (ओर्गास्म नहीं हो पाना) जैसी सेक्स-समस्याओं के लिए आमतौर पर मानसिक कारणों को ही ज़िम्मेदार माना जाता है, लेकिन ज़रूरी नहीं है कि गड़बड़ हमेशा दिमाग में ही होI अमरीकी शोधकर्ताओं का एक समूह यह जानना चाहता था कि आखिर माजरा है क्याI उन्होंने जननांगो से जुड़ी सारी जानकारी एकत्रित कर लीI असल में वो यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि क्या लोगों के शरीर के रचनात्मक अंतरों की वजह से उनके यौन सुख और ओर्गास्म में भी अंतर आता हैI

दोस्तों बात सिर्फ संतुलन की है

पुरुषों के ओर्गास्म की बात करें तो बात शारीरिक नहीं है, बल्कि तंत्रिका यंत्र से जुडी हैI

पुरुषों के लिए ओर्गास्म का मतलब है शिश्न का खड़ा होना और स्खलन। लेकिन यह दोनों बातें तभी होंगी जब तंत्रिका यंत्र (नर्वस सिस्टम) के दोनों हिस्से पूर्ण रूप से संतुलित हो। तंत्रिका यंत्र ही है जिसकी बदौलत हमारे शरीर में कई हरकतें अपने आप होती रहती हैं - दिल के धड़कने से लेकर लिंग के सख्त होने तक।

सेक्स की बात करें तो तंत्रिका यंत्र की दो शाखाएं प्रमुख हैं:

एक है अनुकंपी तंत्रिका तंत्र: यह हमारी 'फ्लाइट और फाइट' करने की प्रतिक्रियाओं का नियंत्रण करती है। जैसे दिल का तेज़ धड़कना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना और शरीर का क्रियाओं के लिए तैयार होना।

परानुकंपी तंत्रिका तंत्र: यह आराम और पाचन से जुड़ी प्रतिक्रियाओं का नियंत्रण करती है। जैसे शरीर का आराम करना और दिल की धड़कनो का धीरे धड़कना।

एक अध्ययन से पता चला है कि जिन पुरुषों को शीघ्रपतन की समस्या होती है उसका कारण इन दोनों शाखाओं का आपस में संतुलन नहीं होना होता है। काम के लिए तैयार करने वाली शाखा अपना काम ज़ोरो से कर रही है लेकिन आराम करने वाली आराम ही कर रही है। नतीजा क्या निकला- स्खलन रुक ना सका।

बड़ा शिश्न, बेहतर ओर्गास्म?

फिर वही सदियों पुराना सवाल: क्या शिश्न के लंबे होने से फ़र्क़ पड़ता है? सीधे शब्दों में पूछा जाए तो क्या यह ओर्गास्म में कोई अंतर पैदा कर सकता है?

अभी तक इस बात का कोई साक्ष्य प्रमाण सामने नहीं आया है कि बड़े शिश्न वाले पुरुषों को ओर्गास्म में ज़्यादा मज़ा आता है! लेकिन क्या बड़े शिश्न से महिलाओं को ओर्गास्म के वक़्त ज़्यादा मज़ा आता है? शोधकर्ताओं ने जाना कि अभी तक इस बात का भी कोई ठोस सबूत नहीं है।

शिश्न के आकार को लेकर जो भी सामने आई है उसमें से अधिकतर महिलाओं के शिश्न को बखान करने और विभिन्न साथियों के साथ हुए उनके अनुभवों पर आधारित हैं। और यह पता चला है कि अगर आपका शिश्न लंबा है तो आप एक महिला के जननांगो को बेहतर तरीके से उत्तेजित करने में सक्षम होंगे। एक बात और जो शोधकर्ताओं को पता चली वो यह थी कि महिलाएं इस बात पर पूरी तरह से विश्वास करती हैं कि बड़ा है तो बेहतर हैI और बस इसी विश्वास की वजह से उन्हें बड़े शिश्न से ज़्यादा ज़्यादा आनंद मिलता है। मतलब यह कि जादू शिश्न या उसकी लंबाई का नहीं बल्कि विश्वास का है।

महिलाएं इस बात पर वैसे इतना ध्यान देती भी नहीं है। रिसर्च की माने तो महिलाओं की तुलना में दरअसल पुरुष इस बात के बारे में ज़्यादा सोचते हैं।

महिलाओं में भगांकुर सबसे महत्त्वपूर्ण

महिलाओं के जितने जननांग ओर्गास्म में शामिल होते हैं उन सबमें भगांकुर प्रमुख है। मज़ेदार बात यह है कि हर एक महिला के भगांकुर का साइज़ दूसरी महिला के भगांकुर से अलग होता है- जबकि शिश्न के आकार की बात करें (शिथिल अवस्था में) तो दो पुरुषों के शिश्नों में इतना अंतर नहीं होता है।

बड़ा भगांकुर, बेहतर ओर्गास्म?

शोधकर्ता में यह जानने की बड़ी उत्सुकता थी कि क्या महिला के भगांकुर के आकार से उनके चरमोत्कर्ष पर कोई असर पड़ता है। नतीजा - वही जो बात शिश्न के साथ थी। अभी तक की किसी भी रिसर्च ने महिला के भगांकुर के आकार का उसके चरमोत्कर्ष से कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं किया है।

सही जगह

भगांकुर की भरपूर कोशिश रहती है कि सम्भोग के समय वो अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे। महिला के कामोत्तेजक होने पर वो योनि की ऊपरी सतह पर आ जाती है और सेक्स के समय यह हिस्सा सर्वाधिक संवेदनशील होता है और शायद जी-स्पॉट का भी स्थान यही होता है।

हालांकि इस बात पर अभी तक बहस जारी है कि जी-स्पॉट सच में है या नहीं। लेकिन एक बात यह भी है कि जिस सेक्स मुद्रा में एक महिला की योनि की ऊपरी सतह उत्तेजित होती है उसमे उसके ओर्गास्म होने की संभावना बड़ जाती है। तो इसलिए 'मिशनरी, और 'सेक्स ऑन टॉप' 'डॉगी स्टाइल' से बेहतर है, अगर बात हो रही है सर्वाधिक कमोत्तेजकता की।

स्त्रोत: एनाटोमिकल वेरिएशन एंड ओर्गास्म: कुड वैरिएशंस इन एनाटोमी एक्सप्लेन डिफरेंसेस इन ऑर्गैस्मिक सक्सेस? (2016)I

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