Love Matters

कज़न से शादी करना सही?

Submitted by Auntyji on शुक्र, 12/12/2014 - 05:02 बजे
मुझे अपने कज़न से प्यार है, और वो भी मुझसे प्यार करता हैI हम शादी करना चाहते हैं- क्या ये सही है?

हमारे बच्चों का क्या होगा, क्या उन्हें हमारी शादी का कोई नुकसान तो नहीं होगा? मेरा मार्गदर्शन करिये आंटीजीI गिन्नी (23) रायपुर

आंटीजी कहती है...मुझे नहीं पता गिन्नी बेटा, मुझे सचमुच नहीं पता की तेरा अपने कज़न (चचेरे भाई) से शादी करना सही है या नहीं...लेकिन मैं तेरे साथ इस फैसले से पड़ने वाले असर के बारे में चर्चा करने के लिए तैयार हूँI

सबसे पहले तो ये बता दूँ बेटा, और शायद तू जानती होगी कि कुछ धर्मों और सभ्यताओं में इसकी इजाज़त हैI वहां चचेरे या ममेरे भाई बहनों का आपस में शादी करना बिलकुल सामान्य माना जाता हैI

वहीँ दूसरी तरफ, बाकि सभ्यताओं में ऐसा सोचना भी गलत माना जाता है क्यूंकि वहां कज़न्स को भी आपस में सगे भाई बहनों कि तरह माना जाता है- "और अपने भाई या बहन से शादी कैसे कर सकते हैं"? वाली विचारधारा होती हैI

गिन्नी, एक मिनट के लिए समाज, धर्म और रीती रिवाजों का पर रख कर तेरे कज़न के बारे में बात करते हैंI देख बेटा, कई बार ऐसा होता है कि किसी ऐसे लड़के के साथ हम बहुत करीब आ सकते हैं जिसके साथ हम पले बढे होंI हमने बहुत सा वक़्त साथ गुज़ारा होता है और पता नहीं चलता कि रिश्तेदार और एक 'लड़का-लड़की' के बीच कि लकीर धुंधलाने लगती हैI पता भी नहीं चलता और वो इंसान हमारे लिए अचानक सबसे ज़रूरी बन जाता हैI

अत्यधिक करीबी?

अब सवाल ये है की निकटता मतलब कितनी निकटता? क्या ये केवल दो कज़न्स के बीच है, जिनकी शायद शक्लें भी एक दुसरे से मिलती हैं, और ऐसे में ये बात समझना मुश्किल सा हैI सोच बेटा, जिस चाचा के लड़के से तुझे प्यार हो, उसी को तेरी सगी बहन शायद राखी बांधती हो, ये बात अटपटी तो है ही ना बेटा?

कानून और बच्चे

शादियों को परिवारों तक ही सीमित रखने का पौराणिक कारण था अपनी सभ्यताओं और मूल्यों को अखंडित रखना और पारिवारिक संपत्ति को भीI बाद में इसे कौटुम्बिक व्यभिचार (इन्सेस्ट) की तरह देखा जाने लगाI कुछ देशों में इस पर प्रतिबन्ध भी है जैसे की चीन और अमरीका के कुछ हिस्सेI दक्षिण एशिया में यह अभी भी देखा जाता हैI भारत में इस बारे में कानून थोड़ा पेचीदा सा है- यह धर्म पर आधारित हैI मुस्लिमों में ऐसा करने की इजाज़त हैI हिन्दुओं में हिन्दू विवाह कानून के अंतर्गत इसकी अनुमति नहीं है लेकिन कुछ स्थानीय रिवाजों के आधार पर कुछ मामलों में छूट देदी जाती हैI

रही बात बच्चों की, ये सच है की कुटुंब में की गयी शादी के फलस्वरूप होने वाले बच्चों में जन्म विकार अक्सर पाये जाते हैंI अगर तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाये तो इसकी सम्भावना उतनी है जितनी 40 की उम्र के बाद के गर्भ में होती है, कुछ शोधकर्ताओं का कहना हैI अब ये जोखिम लेनें या ना लेने का फैसला तेरा है बेटा!

निर्णय की घडी

तो गिन्नी बेटा, तू देख रही है की निर्णय की घडी हैI अगर तेरे परिवार में ऐसा पहले हो चूका है, तो चीज़ें थोड़ी आसान हो सकती थी, लेकिन तेरे घर में ये पहला मामला है, और तेरे धर्म या समुदाय में इसकी मंजूरी भी नहीं है, इसलिए इस फैसले का सफर काफी मुश्किल हो सकता हैI

ये भी अच्छी तरह सोच ले बेटा कि ये सचमुच प्यार है या फिर साथ पलने बढ़ने वाले लड़के के प्रति आकर्षण? तुम दोनों का साथ शायद बचपन का है और तेरे लिए यही लड़का असल में लड़के कि पहली परिभाषा कि तरह हैI और इसी उधेड़बुन में तूने अपने मन में आगे तक का सोच लिया हैI हो सकता है ना बेटा? ज़रा गौर से सोच इस बारे मेंI

ये कुछ सवाल हैं जो तुझे फैसला लेने से पहले पूछने हैं...

क्या ये सच है? क्या ये शादी न्यायसंगत है? क्या तुम दोनों बच्चों में विकार कि सम्भावना का जोखिम ले सकते हो? क्या तेरे पास अपने परिवार और समाज का समर्थन और प्रोत्साहन हो पायेगा, या ये फैसला तेरे ज़िन्दगी में कभी ना ख़त्म होने वाले संघर्ष की तरह आएगा?

अगर तू इन सवालों के जवाब के बाद भी इस दिशा में आगे बढ़ना चाहती है तो भी मेरी दुआएं तेरे साथ रहेंगी बेटाI और अगर तू ऐसा नहीं करने का फैसला करती है तो भगवान तुझे अपने इस प्यार को भूल कर जीवन में आगे बढ़ने की शक्ति दे!

इस लेख के बारे में अपने विचार यहाँ लिखिए या फेसबुक पर हो रही चर्चा में भाग लीजियेI