- अंतर-जातिया विवाह आखिर क्या है?
जब दो लोग जो एक धर्म के तो हों लेकिन उनकी जाती और समुदाय अलग हों, शादी करते हैं तो इसे अंतर-जातिया विवाह कहा जाता है।आजकल अंतरजातीय विवाह या इंटरकास्ट मैरिज का प्रचलन शहरीकरण के चलते बढ़ रहा है क्यूंकि ज़यादा से ज़यादा युवा महिला और पुरुष जाति के बंधनों से परे अपनी व्यक्तिगत पसंद से शादी करना चाहते हैं। सर्वोच्च न्यायलय ने भी इसे 'राष्ट्रहित' में मानते हुए मान्यता देदी है। - शुरुवात कैसे हुई?
जब आपको जाति से बाहर शादी के बारे में कोई दुविधा हो तो ज़रा एक बार इस बारे में सोचिये कि इस सिस्टम का उदय कहाँ से हुआ- लोगों का उनके व्यवसाय के आधार पर वर्गीकरण करने के लिए, ताकि हर व्यक्ति को उसका कार्य अच्छे से पता हो, और अपेक्षाएं भी। आज के युग में जब लोग अपनी जाति के आधार पर व्यवसाय नहीं चुनते, तो फिर जाति के आधार पर शादी भी क्यूँ? - हलकी असामनता
किसी और जाति के व्यक्ति से शादी करना आपके लिए थोड़ी बहुत मुशिलें जरूर कड़ी कर सकता है। जैसे कि सम्भव है कि आप पक्के शाकाहारी हों जबकि दूसरा व्यक्ति मांस का शौक़ीन हो। ये बातें सुनने में छोटी लगती हैं पर कई बार अगेय चलकर रोड़ा बन जाति हैं तो इनके बारे में शुरू में ही खुलकर चर्चा और आपसी समझदारी होना आवश्यक है। - विरोध
साथ ही, अपने परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का सामना करने के लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहना ज़रूरी है। उनकी इच्छाओं और उमीदों का अंदाज़ा लगाकर उनसे बात करके उन्हें समझने कि कोशिश करनी चाहिए। गुस्से और नाराज़गी कि बजाय तर्क और धैर्य से उन्हें समझाएं, कि आपके हिसाब से आपका निर्णय क्यूँ सही है? किसी ऐसे व्यक्ति कि मदद लें जो आपके फैसले का समर्थन करता हो। - फायदे
शादी जैसी व्यक्तिगत चीज़ के सम्बन्ध में पैसे के बारे में बात करना थोडा अटपटा है, लेकिन लोगों को अंतरजातीय विवाह के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार कई तरह कि रोजगार सम्बन्धी मदद भी मुहय्या कराती है। उदाहरण स्वरुप, पश्चिम बंगाल सरकार अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को 50,000 रूपए उपहार के रूप में देती है. तमिल नाडु में ऐसा करने वाले जोड़ों को सरकारी नौकरी में मदद मिलती है।
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