ये आंकड़े वॉशिंगटन सहित पॉपुलेशन रेफ्रेरेंस ब्यूरो द्वारा उत्पादित 2011 के डाटा पत्रक ‘‘द वल्ड्र्स वूमेन एंड गल्र्स’’ से लिए गये हैं।
बंग्लादेश में तो बाल-विवाह की दर भारत से भी अधिक है। लेकिन पाकिस्तान, जहां 18 वर्ष से पूर्व विवाह की दर भारत की दर से करीब आधी है, क्षेत्रीय औसत दर को कम कर देता है।
युनीसेफ के आंकड़ों के हिसाब से, बाकी देषों की तरह ही भारत में बाल विवाह की दर पिछले 20 वर्षों में करीब 7 प्रतिशत नीचे गिरी है।
शिक्षा
मुंबई की एस एन डी टी महिला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विभुति पटेल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया की किशोर बालिकाओं में शैक्षणिक अवसरों की कमी के कारण, सरकार की शिक्षा योजनाएं अप्रत्यक्ष रूप से बाल-विवाह को प्रोत्साहन दे सकती हैं।
सरकारी शिक्षण कार्यक्रमों की वजह से बच्चे अब स्कूल जा सकते हैं, इस वजह से बड़ी लड़कियों को छोटे भाई बहनों को देखभाल के लिए घर में रहने की जरूरत नहीं पड़ती, प्रोफेसर का तर्क है। लेकिन किशोर बालिकाएं आमतौर पर स्कूल छोड़ देती हैं और उनके लिए किसी व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था भी नहीं है। माता-पिता इस चिंता में की कहीं खाली बैठी किशोर बेटी ऐसा न कर बैठे जिस से उनकी बदनामी हो, जैसे पुरुषों से मिलना-जुलना या फिर गर्भवती हो जाना, उनकी जल्दी शादी कर देते हैं।
उल्लंघन
पाश्चात्य देशों को युनीसेफ में बाल विवाह के आंकड़ों का उल्लेख करने की जरूरत नहीं है। फिर भी यूरोप और अमरीका में, जबकि विवाह-योग्य उम्र 18 वर्ष है, माता-पिता की अनुमति के साथ ये 16 वर्ष हो जाती है - कुछ यूरोपीय देशों और अमेरीकी राज्यों में तो उस से भी कम।
इसी बीच भारतीय कानून में विवाह-योग्य उम्र महिलाओं के लिए 18 और पुरुषों के लिए 21 है। लेकिन इस नियम का उल्लंघन बहुत व्यापक पैमाने पर होता है। युनीसेफ के हिसाब से, विश्व में होने वाले बाल विवाहों में से 40 प्रतिशत तक सिर्फ भारत में होते हैं।
छायांकन - फिल्किर/राजकुमार 1220
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