अर्शिता फेसबुक या इन्टरनेट नियमित रूप से इस्तेमाल नहीं करती थी। लेकिन एक दिन कॉलेज से लौटते हुए उसकी एक दोस्त ने ऐसा मेसेज भेज जिससे अचानक उसकी ज़िन्दगी ने भयानक नया मोड़ ले लिया।
"उसकी सहमति के बिना की गयी मेरी हर बात मानो गलत थी," अपने हिंसात्मक रिश्ते और उस रिश्ते से बाहर निकलने के संघर्ष को याद करते हुए रेशमा बताती हैं। और जानने के लिए आगे पढ़ें....
क्या हमारी संस्कृति हमें यह विश्वास दिलाती है कि हिंसा और बदतमीज़ी एक रिश्ते में सामान्य बात है? ऐसा कतई नही होना चाहिएI आगे है 7 ऐसी बातें जिनके खलाफ हमें आवाज़ उठानी चाहिएI
हिंसा हमेशा शारीरिक ही हो एसा जरुरी नहीँ है। कई बार रिश्तोँ मेँ शारीरिक हिंसा ना होते हुए भी प्रताड़ना होती है। नियंत्रण, द्वेष, अपमान आदि सभी प्रताड़ना के ही संकेत हैं। लव मैटर्स ऐसे हिंसात्मक रिश्ते को पहचानने मेँ आपकी मदद करेगा।
अगर आप हिंदुस्तान में रहने वाली एक महिला है तो नारी-शोषण या छेड़छाड़ आपकी रोज़मर्रा ज़िंदगी का एक कड़वा सच है। परंतु इसका यह मतलब कतई नहीं है कि आप इसके ख़िलाफ़ कुछ नहीं कर सकती।