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उसने मुझे धोखा दिया!

द्वारा Roli Mahajan जून 16, 05:04 बजे
"आखिरकार वो मेरा दोस्त था। उसे पता था कि वो मेरी गर्लफ्रेंड है। वो मंज़र जब मैंने उन दोनों को उस रात साथ में देखा, आज भी एक बुरी याद की तरह मेरे साथ है," रोनिथ कहता है।

रोनिथ (बदला हुआ नाम) एक 16 वर्षीय विद्यार्थी है जो शांतिनिकेतन में रहता है।

स्वाति से मेरी मुलाक़ात फेसबुक पर हुई थी, जब मैं छठी क्लास में था। हम अक्सर बातें करते थे। वो कोलकता में रहती थी जबकी मैं उसके घर से 160 कि.मी. दूर शांतिनिकेतन में। जब मैं सातवीं कक्षा में आया तो उसके माता-पिता शान्तिनिकेतन में उनके पैतृक घर में रहने आ गए। हम तब पहली बार मिले।

हम दोनों को साथ में समय बीताना बहुत अच्छा लगता था। मेरे दोस्तों ने तो हमें गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड भी बुलाना शुरू कर दिया था। मुझे यह सुनकर अच्छा तो नहीं लगता था लेकिन यह जानकर खुशी होती थी कि कोई है जिसे मेरी फ़िक्र है। वो अपनी हर बात मुझे बताती थी, मुझ पर विश्वास करती थी और मुझे ऐसा लगता था जैसे हम 'बेस्ट फ्रेंड्स' है। मेरे 14वें जन्मदिन पर जब उसने मुझे पहली बार किस किया। तब मुझे पहली बार उसके बॉयफ्रेंड होने का एहसास हुआ।

दो साल बाद वो वापस कोलकता चली गयी। हम दोनों दुखी तो बहुत थे लेकिन यह जानते थे कि अब कुछ नहीं हो सकता क्यूंकि उसके माता-पिता ने वापस जाने का निश्चय कर लिया था। हमने एक दुसरे से वादा किया कि हमेशा एक दुसरे के संपर्क में रहेंगे और जब मौक़ा मिलेगा एक दुसरे से मिलने चले आएंगे।

रहस्यमयी मोटरसाइकल

हम उस साल काफ़ी कम बार मिले। उसके बाद आया पौष मेला - एक वार्षिक उत्सव जो हर साल दिसंबर में शांतिनिकेतन में मनाया जाता था। मुझे लगा था कि वो मुझसे मिलने ज़रूर आएगी। यह सोचकर मैं बहुत खुश भी था लेकिन यह जानकर मुझे गहरा धक्का लगा जब मेले से एक दिन पहले उसने मुझे बताया कि इस साल वो नहीं आ पाएगी क्योंकि इसके माता-पिता नहीं चाहते।

मैंने नयी नयी मोटरसाइकल चलानी सीखी थी (मैं अभी भी नाबालिग था और मेरे पिताजी को यह बात नहीं पता थी, लेकिन हर किसी को मोटरसाइकल चलानी आनी चाहिए, है ना?) मेरे माता-पिता घर पर नही थे इसलिए मेरा एक दोस्त जिसको बाइक चलने की इज़ाजत थी, मुझे लेने आया। हमने थोड़ी देर बाइक पर मस्ती करी और मेला देखने के बाद 11 बजे के आसपास घर की और चल पड़े।

रास्ते में स्वाति का पैतृक घर था और घर के अंदर घुप्प अँधेरा था। लेकिन मैंने अपने एक दोस्त की मोटरसाइकल उसके घर के बाहर देखी। मुझे पता था कि वो उसी की है क्योंकि पूरे शहर में एक ही ऐसी बाइक थी जिसकी नंबर प्लेट पर फ्लोरसेंट निशान था।

आमना सामना

"क्षितिज की बाइक इस समय स्वाति के घर पर क्या कर रही है? वो सिर्फ़ एक बार मेरी वजह से मिले है और फेसबुक पर एक दुसरे को जानते है। वो इंजीनियरिंग कॉलेज में तीसरे साल का विद्यार्थी है तो इस समय स्वाति के घर क्या कर रहा है?"

मैंने पता लगाने का निश्चय किया। बाहर की चारदीवारी ज़्यादा ऊंची नहीं थी और उसे फांदकर मैं आसानी से अंदर पहुँच गया। घर के अंदर अँधेरा होने के बावजूद मुझे स्वाति का कमरा खोजने में ज़्यादा मुश्किल नहीं हुई। मैं जब कमरे के बाहर पहुंचा तो अंदर से आवाज़े आ रही थी, ऐसा लग रहा था कि दो लोग एक दुसरे के साथ सम्भोग कर रहे है या फ़िर हो सकता है कि मैं ज़रूरत से ज़्यादा सोच रहा था।

मैं बाहर आ गया जहाँ मेरा दोस्त मेरा इंतज़ार कर रहा था। मैंने अपने दोस्त के फ़ोन से स्वाति को फ़ोन किया और पुछा की वो कहाँ है? उसका जवाब था "कोलकता"। जब मैंने ज़ोर देकर दोबारा पुछा तो उसने बताया कि वो शांतिनिकेतन में है। इससे पहले कि मैं कुछ और कहता उसने फ़ोन क्षितिज को पकड़ा दिया।

गुस्से पर काबू

मैं गुस्से में आग-बबूला हो चूका था। मेरा मन कर रहा था कि अंदर घुस कर क्षितिज का सर फोड़ दू। उससे बात कर के वैसे भी कोई फ़ायदा नहीं हुआ था। हमारी काफी बहस हुई थी और उसने मुझे कुछ ऐसी बातें कही जो मैं कभी भी सुनना नहीं चाहूँगा। अगर मेरे दोस्त ने मुझे नहीं रोका होता तो मैंने घर के अंदर घुस कर कुछ ना कुछ ज़रूर तोड़ दिया होता।

हमने घर के बाहर रुकने का फैसला किया। आज सोच कर थोड़ा अजीब लगता है लेकिन मैं उन दोनों को साथ में देखना चाहता था। दिसंबर की वो सर्द भरी रात मेरी ज़िंदगी की सबसे भयावह रातो में से है।

क्षितिज सुबह 4.30 बजे आया और हमारी जम कर लड़ाई हुई, एक दुसरे को काफी बुरा भला भी कहा। मेरे दोस्त ने किसी तरह बीच-बचाव कर के लड़ाई रुकवाई और मुझे घर ले आया। मुझे शरीर के हर कोने में भयंकर दर्द हो रहा था लेकिन उससे भी ज़्यादा दर्द मेरे दिल में था। मैं उससे फिर कभी नहीं मिला , लेकिन मैं यह कभी नहीं भूल पाउँगा कि उसने मेरे विश्वास को तोड़ा

सबसे बुरी बात यह थी कि मेरे माँ-बाप को उस रात हुई लड़ाई के बारे में पता चल गया था। मुझे घर में बंद कर दिया गया और एक मनश्चिकित्सक के पास ले जाया गया। सच बताऊँ तो मुझे तब तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि हमारे देश में भी मनोचिकित्सक मौजूद है।

मेरा मनोचिकित्सक कहता है कि मेरे अंदर बहुत गुस्सा है। उसे क्या पता कि आज छः महीने बाद भी मैं किसी स्वाति नाम की लड़की को भूलने की कोशिश कर रहा हूँ।

क्या किसी ने आपके साथ भी विश्वासघात किया है? कैसा लगा था आपको? नीचे लिख कर या फेसबुक के ज़रिये हमें बताएं।

मेरा मनोचिकित्सक कहता है कि मेरे अंदर बहुत गुस्सा है। उसे क्या पता कि आज छः महीने बाद भी मैं किसी स्वाति नाम की लड़की को भूलने की कोशिश कर रहा हूँ।

क्या किसी ने आपके साथ भी विश्वासघात किया है? कैसा लगा था आपको? नीचे लिख कर या फेसबुक के ज़रिये हमें बताएं।

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