...और उसने कभी नहीं सोचा था कि वो सपने में भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ धोखा कर सकती है।
27 वर्षीया शुभा बंगलोर मेँ रहने वाली रिसर्च एसोसिएट है।
उसने हाल ही मेँ यह पाया कि अपने सहकर्मी के साथ उसकी दोस्ती एक भावनात्मक रिश्ते का रंग लेने लगी है। "मुझे नहीँ पता था कि जो हम दोनों के बीच चल रहा था, उसे क्या नाम दिया जा सकता है," वो बताती हैं।
शेखर और मैं एक साथ काम करते थे लेकिन कुछ समय पहले वो दूसरे शहर मेँ जाकर रहने लगा था।लगभग एक साल पहले उसने मुझे फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और हम फिर से बातेँ करने लगे। शुरुआत तो सामान्य बातों से ही हुई, जैसे कि सिनेमा, किताबें, परिवार इत्यादि। मुझे उससे बात करना पसंद था। मुझे लगता था हम दोनों मेँ काफी कुछ समानताएं थीं।
लट्टू
हम दोनों ने एक दूसरे को पहले से ज्यादा मैसेज करना शुरु कर दिया, जबकि अभी तक हमारी इस बातचीत मे सेक्स या शारीरिकता का कोई संदर्भ नहीँ था लेकिन यह भी सच है कि उसका मुझ पर इस तरह ध्यान देना मुझे उसकी ओर आकर्षित सा कर रहा था।
हम बेबाकी से एक दूसरे के साथ अपने रिश्तों की कमियां या अपने कार्यो से जुड़ी बातों की चर्चा करते रहते थे। दरअसल मैंने ये बातेँ कभी अपने बोयफ़्रेंड से की ही नहीं थीं और जिस तरह शेखर इन बातों पर ध्यान देता था, मुझे उसे सब कुछ बताना अच्छा लगता था और उस की बातेँ सुनना भी अच्छा लगता था।
कुछ गलत
अगर ऑफिस मेँ कोई बुरा दिन गुज़रता था तो मैं शेखर को बताती थी, अगर मुझे कोई फिल्म अच्छी लगती थी तो मैं शेखर को बताती थी और मुझे लगता था कि मैं जो कर रही थी उसमे कुछ भी गलत नहीँ था।
लेकिन मन ही मन मैं जानती थी कि जो मैँ कर रही हूँ वो शायद सही नहीँ है और इसलिए मैंने अपने फोन पर लॉक लगा दिया, अपने ईमेल अकाउंट के पासवर्ड बदल दिए। मैं जानती थी की असल में मैं अपने बॉय फ्रेंड से ये नागवार रिश्ता छुपाने का प्रयास कर रही थी।
रोमांच
हमारी बातेँ कभी मेसेज ओर ईमेल से आगे नहीँ बढ़ी थी लेकिन हम एक दूसरे से बेहद जुड़ाव महसूस करने लगे थे। यहाँ तक कि इस बढ़ते हुए जुड़ाव के चलते मैं खुद अपने ब्वॉयफ्रेंड के प्रति अब एक दूरी सी महसूस करने लगी थी। शायद मेरे ओर शेखर के रिश्ते की गोपनीयता रोमांचक सी हो चली थी।
शायद इस रोमांच का आभास शेखर को भी होने लगा क्योंकि उसकी बातों मेँ अचानक शरारत सी आने लगी। ज्यादा तो कुछ नहीँ था लेकिन संदेश के बाद 'आई मिस यू' लिख देना या फिर स्माइली जरिए चुम्बन भेजना। मैं भी इसमेँ हिस्सा लेने लगी क्योंकि सच तो ये था कि मुझे भी ये सब अच्छा लग रहा था।
बेवफ़ाई
लेकिन मैंने यह महसूस किया कि मेरा यह नुकसान रहित लगने वाला रिश्ता धीरे धीरे मुझे अपनी मर्यादा लांघने की ओर प्रेरित करने लगा। जब शेखर ने मुझे बताया कि वह मुझसे मिलने बंगलोर आना चाहता हे तो मुझे कुछ अजीब सा लगा क्योंकि अब तक यह रिश्ता कल्पना की दुनिया तक ही सीमित था। वास्तविकता मेँ मौजूद ही नहीँ था। 8 महीने से चल रही इस बात चीत का आधार केवल ईमेल ओर मेसेज ही थे, हमने कभी फोन पर भी बात नहीँ की थी। इसलिए मुलाकात की इस बात ने अचानक हर चीज़ को वास्तविकता की दुनिया मेँ ला खड़ा कर दिया।
मेरे और मेरे ब्वायफ्रेंड के बीच बढ़ी हुई दूरियों के बावजूद मैंने महसूस किया कि मेरी पहली जिम्मेदारी यह बनती है कि मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ बिगड़ रहे रिश्ते को ठीक करुँ। और मैं जानती थी कि यदि मेरे और शेखर के बीच मेँ कुछ भी शारीरिक हुआ तो शायद फिर पीछे हटना मेरे लिए मुमकिन न हो पाता। इसलिए मैंने मैंने कोई बहाना देकर शेखर से नहीं मिलने का फैसला किया। इस बात को कुछ महीने गुजर चुके हैँ। मैँ जानती हूँ कि शायद मैं सही नहीँ कर रही लेकिन मैं आज भी शेखर के साथ मेसेज- ईमेल के उस रिश्ते मेँ पूरी तरह डूबी हुई हूँI
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।