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भारत में सुरक्षित गर्भपात तक पहुंच अभी कोसों दूर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में दो तिहाई गर्भपात अनधिकृत स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा किए जाते हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ किरण कुर्तकोटी का कहना है कि आधिकारिक क्लीनिकों से महिलाएं मुफ्त, सुरक्षित गर्भपात करवा सकती हैं, लेकिन हमारे आसपास ऐसे क्लिनिक ही बहुत कम हैं।

फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया में गर्भपात समिति की प्रमुख डॉ कुर्तकोटी कहती हैं, भारत में महिलाएं सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में मुफ्त में गर्भपात करा सकती हैं। हालांकि, पूरे भारत में लगभग 2500 पीएचसी हैं, लेकिन इनमें से केवल 250 से 300 केंद्रों पर ही गर्भपात होता है।

1971 के मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने पर गर्भपात को असुरक्षित माना जाता है। यह उन शर्तों को निर्धारित करता है कि किन परिस्थितियों में गर्भपात किया जा सकता है और किसके द्वारा किया जा सकता है।

प्रदाताओं (प्रोवाइडर्स) की कमी

डॉ कुर्तकोटी कहती हैं, "गर्भपात केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एमटीपी केंद्रों में प्रसूति या स्त्री रोग में प्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा किया जा सकता है, या फिर एक सामान्य डॉक्टर द्वारा जो कम से कम 25 केस की ट्रेनिंग ले चुका है।" " जिस गर्भपात के दौरान इन दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, वे अवैध हैं और असुरक्षित माने जाते हैं।"

"लीगल प्रोवाइडर्स (वैध प्रदाताओं) की कमी के कारण असुरक्षित गर्भपात की संख्या बढ़ी है। पीएचसी में गर्भपात कराने के लिए पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं। वहीँ दूसरी तरफ डॉक्टर कहते हैं कि नौकरशाही, सरकार के लिए अधिक एमटीपी केंद्रों को मान्यता देने की प्रक्रिया बहुत अधिक समय लेने वाली और थकाऊ बना देती है”।

डंडी और कंकड़ (स्टिक एंड स्टोन)  

एक निजी अस्पताल में गर्भपात का खर्च 2000 से 10,000 रुपये (30-150 यूरो) के बीच होता है। जो महिलाएं इतना पैसा नहीं दे सकतीं उन्हें अपना गर्भधारण खत्म कराने के लिए अवैध प्रदाताओं की मदद लेने के लिए मजबूर किया जाता है।

डॉ कुर्तकोटी का कहना है कि इन महिलाओं को कई गंभीर खतरे का सामना करना पड़ता है। "सबसे बड़ा खतरा सही तरीके से गर्भपात न होने और ब्लीडिंग का होता है। दूसरा, इंफेक्शन का खतरा होता है जिससे पेल्विक में सूजन की बीमारी हो सकती है।

"सेप्टिक गर्भपात, यह तब होता है जब छोटी डंडी या कंकड़ योनि में फंस जाते हैं। आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भपात के लिए यह विधि अपनाई जाती है जिसमें पतली डंडी या कंकड़ से गर्भाशय में छेद किया जाता है …ऐसा करने से ब्लीडिंग के कारण मौत भी हो सकती है। इसके अलावा, इंफेक्शन के कारण ट्यूबल ब्लॉकेज हो सकता है जिससे भविष्य में बांझपन हो सकता है।"

तेजी से बढ़ रही संख्या

डॉ. कुर्तकोटी का कहना है कि गर्भपात में वृद्धि एक "पैन-इंडिया अंडर-20 फेनॉमेना " है। “शहरों में तो लड़कियों को पता होता है कि कहां जाना है और कैसे गर्भपात कराना है। उनके पास पर्याप्त जानकारी होती है। लेकिन गाँवों में लड़कियों को इस बारे में ज्यादा नहीं पता होता है और वे इसे छिपाने की कोशिश करती हैं और सामाजिक कलंक से डरती हैं। लेकिन सच कहूँ तो गर्भपात की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है।”

प्रचार करने का कोई मतलब नहीं

पुणे के रहने वाले एक स्वास्थ्य प्रदाता को लगता है कि असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं से निपटने के लिए काउंसलिंग सबसे अच्छा तरीका है।

“नैतिकता का प्रचार करने का कोई मतलब नहीं है। आप युवाओं को सेक्स से रोक नहीं कर सकते। आप सिर्फ सुरक्षित सेक्स करने की जानकारी दे सकते हैं। इसका सबसे पहला तरीका गर्भनिरोधक के इस्तेमाल के बारे में बताना है। गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने से न केवल गर्भावस्था से बल्कि यौन संचारित रोगों से भी बचा जा सकता है।

”डॉ कुर्तकोटी कहती हैं, "लेकिन अगर गलती से किसी महिला को अनचाही प्रेगनेंसी हो जाती है, तो मेरी सलाह है कि वह जल्दी से फैसला करे। यदि उसे गर्भपात कराना है, तो जल्दी कराना बेहतर है। किसी भी सामान्य डॉक्टर से संपर्क करके सलाह ले। यदि वे गर्भपात नहीं कर सकते या सकती, तो वे आपको सही व्यक्ति के पास सलाह लेने के लिए भेजेंगे।

तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।  

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