मेरे क्लासमेट पोर्न देख रहे थे!
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मेरे क्लासमेट पोर्न देख रहे थे!

सुकृति को जब पता चला कि कॉलेज में उसकी सभी फ्रेंड्स पोर्न देख रही हैं तो वह काफ़ी घबरा गई। पोर्न और वो भी लड़कियां! क्या सुकृति को गलत संगत मिल गयी थी? क्या उसे कॉलेज बदल देना चाहिए? सुकृति ने अपनी स्टोरी लव मैटर्स इंडिया के साथ शेयर की।

20 साल की सुकृति दिल्ली कॉलेज में फाइनल ईयर की स्टूडेंट हैं।

लड़के, नो चांस 

मैंने को-एड स्कूल में अपनी 12वीं तक की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद एक गर्ल्स कॉलेज ज्वाइन किया। सच कहूं तो यह सोचकर मैं थोड़ी टेंशन में थी कि कॉलेज में चारों तरफ लड़कियां ही लड़कियां होंगी और मैं उनके बीच कैसे मैनेज करुंगी। लेकिन कॉलेज ज्वाइन करने के बाद धीरे-धीरे मैंने कुछ फ्रेंड्स बना लिए और लड़कियों के कई ग्रुप्स से भी जुड़ गयी। 

शुरू में सबकुछ बहुत मजेदार रहा- गॉसिप, मस्ती, गाने, लड़के, फैशन की बातें सहित ऐसी कई चीजें थी जिन्हें हम खूब एंजॉय करते थे। पर रोज़ लड़कों को न देख पाने का मलाल तो रहता था।

बैक बेंचर्स

एक दिन मैंने नोटिस किया कि लंच ब्रेक में मेरी दो फ्रेंड्स, मिताली और अनुष्का, पीछे की बेंच पर गयी और अपने फोन में कुछ देखने लगी। शुरू में तो मैंने ध्यान नहीं दिया। लेकिन कुछ ही दिनों में कई और लड़कियां उनके साथ पीछे की बेंच पर बैठने लगी। क्या कर रही थी, पता नहीं, मगर हर थोडी देर में वे खिलखिलातीं, फनी चेहरा बनाती और ठहाका मार कर हंसने लगती !

मैंने सोचा कि हो सकता है वो लोग जोक्स या कुछ और पढ़ रही होंगी इसलिए मैंने कभी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। 

लंच ब्रेक में सभी लड़कियां पीछे की ब्रेंच पर चली जाती थीं और मैं अकेली रह जाती थी। ऐसे करते करते एक हफ़्ता बीत गया तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने मिताली से पूछ ही लिया कि आख़िर तुम सब लोग लंच ब्रेक में क्या देखती हो? मुझे भी बताओ।

उन लड़कियों में से एक लड़की मुस्कुराई और अपने होठों पर उंगली रखकर बोली, 'पोर्न..यार। तुम्हें कुछ क्लिप्स दिखाऊं?' मैंने तुरंत मना कर दिया और मुझे ऐसा लगा जैसे मैं कुछ ग़लत करते हुए पकड़ी गयी हूं। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे रिएक्ट करुं। ब्रेक ख़त्म हो चुका था और हम सभी अपनी सीट पर वापस आ गए। अब इकोनॉमिक्स की क्लास में मेरा मन ही नहीं लग रहा था।

पोर्न और लड़कियां?

अगले दिन जब लंच ब्रेक हुआ तो सभी लड़कियां स्लो इंटरनेट सिग्नल को लेकर परेशान थीं। किसी के पास करने को कुछ नहीं था तो सभी एक साथ बैठकर बातें करने लगीं कि पोर्न वीडियो की आवाज़ कितनी नकली लगती है ना और लड़कों की स्टैमिना भी नकली होता है। दूसरी लड़कियां उनकी बातें सुन रही थीं, मैं भी वहीं एकदम चुपचाप खड़ी थी।

सभी लड़कियां बड़े उत्साह से और बिना शरमाये ये सब बातें कर रही थीं। मेरे लिए यह एक नया अनुभव था। मैंने इस तरह की बातें किसी से शेयर करने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। मुझे यह सब बहुत अज़ीब लग रहा था और गुस्सा भी आ रहा था। मेरे हिसाब से ये सब ग़लत था और मैं उन्हें रोकना चाहती थी।

मन ही मन मैं घबरा गयी कि  क्या मैं ग़लत लोगों के बीच फंस गयी हूं? क्या ये लड़कियां बुरी हैं? ’यहां तक कि मैंने यह भी सोच लिया कि मुझे अपना कॉलेज ही बदल देना चाहिए। मेरे लिए पोर्न बहुत गंदी चीज़ थी जिसे सिर्फ़ बुरे लड़के ही देखते थे। पोर्न और लड़कियां? यह तो कभी सोचा ही नहीं था।

बस इतनी सी बात?

अगले दिन मिताली क्लास में मेरे पास आई और पूछा कि क्या तुम मुझसे नाराज हो। इन दिनों मैं उससे ज़्यादा बात नहीं करती थी। उसके पूछने पर मेरे मन में जो चल रहा वो सब मैंने उसके सामने कह  दिया। मैंने उसे यह भी बताया कि मुझे पोर्न पसंद नहीं है और उसे भी कम से कम कॉलेज में पोर्न नहीं देखना चाहिए।

जिस तरह से मैंने उसे डांटा मुझे लगा कि वह यहां से उठकर चली जाएगी और हमारी दोस्ती ख़त्म हो जाएगी। लेकिन उसने ऐसा कुछ करने की बजाय यह कहा कि - 'बस इतनी सी बात? यह तो नॉर्मल है और बुरा फील करना भी ठीक है। शुरू में मुझे भी ऐसा ही लगा था। लेकिन धीरे-धीरे मैं इसे एंजॉय करने लगी। उसने मुझे बताया कि पोर्न देखने के बाद पहली बार मैंने मास्टरबेट भी किया था और बहुत मज़ा आया था।'

गुस्सा मत होना

अगले हफ़्ते हमारा पेपर शुरू हो गए और मैं पोर्न और ये सारी बातचीत सब कुछ भूल गयी। लड़कियां भी पोर्न भूलकर नोट्स और किताबें पढ़ने लगीं। हम सभी बहुत प्रेशर में थे।

पेपर खत्म होने के बाद मिताली ने मुझे मेरे बर्थडे पर एक छोटा सा बॉक्स गिफ्ट किया। ’अकेले में खोलना इसको,' बॉक्स पकड़ाते हुए मिताली ने आंखों से इशारे-इशारे में कहा। मुझे लगा कि उसने ज़रूर कुछ शरारत की होगी इसलिए मैं घर में सबके सोने का इंतजार करने लगी। रात में जब मैंने बॉक्स खोला तो उसमें एक पेन ड्राइव के साथ एक छोटा सा नोट था, जिसमें लिखा था- 'गुस्सा मत होना, जाओ अब मजे करो।'

मैं तुरंत समझ गई कि पेन ड्राइव में क्या है! मेरे हाथ कांप रहे थे ... लेकिन मैं काफ़ी एक्साइटेड भी थी। मैंने अपने इयरफोन को अपने लैपटॉप में लगाया और पोर्न देखने लगी। सच में यह उतना बुरा भी नहीं था जितना मैंने सोच रखा था!
 

गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं, तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।

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लेखिका के बारे में: विनयना खुराना दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.फिल कर रही हैं। उनको सेरेब्रल पाल्सी लेकिन यह उनकी पहचान नहीं है। वह एक लेखिका, कवि और हास्य कलाकार हैं। वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर भी हैं।

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