33 वर्षीय सोनाली भावे (परिवर्तित नाम) एक आर्किटेक्ट हैं जो शिमला में रहती हैं
मेरी टाइप का नहीं
अपने पति से पहली बार मैं अपने माता-पिता के साथ मिली थीI सच कहूँ तो मुझे ये मेरे टाइप के बिलकुल नहीं लगे थेI अगर माता-पिता का दबाव नहीं होता तो शायद मैं उनसे दोबारा मिलती भी नहींI
वो चश्मा पहनने वाले पतले दुबले से, एक शर्मीले लड़के थेI और मुझे वो दिखने में बिलकुल भी अच्छे नहीं लगे थेI मुझे तो बिगड़े हुए शरारती लड़के पसंद आते थेI वो जो दिखने में बड़े कूल टाइप होते हैं, जिन्हे पाना थोड़ा मुश्किल होता है और अगर वो आपकी ज़िन्दगी में आ भी गए तो यह पक्का है कि दिल तोड़ कर ही बाहर निकलेंगेI
मेरा दिल जीत लिया
जब यह प्रस्ताव आया था तो मेरा दिल पहले से दुखी थाI हाल ही में मेरी सगाई टूटी थी और मैंने अपने आप से वादा किया था कि अब कभी प्यार-व्यार के चक्कर में नहीं पडूँगीI उन्हें मैं पसंद थी और उन्होंने तो शादी के लिए हाँ भी कर दिया था लेकिन मैंने मना कर दियाI
मेरे माता-पिता ने उनके माता-पिता को मेरा फैसला सुना दिया था और उन्होंने भी उनके लिए और लडकिया देखनी शुरू कर दी थीI लेकिन शायद इन्होंने हार नहीं मानी थीI मुझसे मिलने के कुछ दिनों के बाद इन्होंने मुझे बताया कि इनको पूरा विश्वास है कि मैं ही इनकी ज़िन्दगी का प्यार हूँI हालाँकि मुझ पर इनकी इस बात का कोई असर नहीं हुआ था लेकिन शायद इन्हे पता था कि मेरा दिल कैसे जीतना हैI
सिर्फ़ दोस्त
इन्होंने एक दिन मुझे फेसबुक पर दोस्ती के लिए आमंत्रित कियाI हम अलग अलग शहरों में रहते थे तो मुझे लगा कभी-कभार फेसबुक पर बात करने से क्या फ़र्क़ पड़ेगाI लेकिन मुझे इनसे बात करके मज़ा आने लगा क्यूंकि ना सिर्फ ये मुझे खूब हँसाते थे बल्कि बहुत ही प्यार से और सब्र से मेरी भी सारी बातें सुनते थेI
फेसबुक पर कभी-कभी बात करना कब रात-रात भर फ़ोन पर बात करने में बदल गया ये पता ही नहीं चलाI यह तो मुझे पहले से ही पता ही था कि वो मुझसे प्यार करते हैं लेकिन अब इस बात का भी एहसास हो रहा था कि शायद मेरे दिल में भी उनके लिए कुछ हैI इसके बावजूद मैंने कभी भी अपने दिल की बात उन्हें नहीं बताईI हम दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थेI वो मुझसे मिलने आते रहे और दूसरी लड़कियों को मना करते रहेI हमारे माँ-बाप को नही पता था कि हम लोग अभी भी एक दूसरे के संपर्क में हैंI
घुमते-फिरते प्यार
हमें बात करते हुए करीब करीब आठ महीने हो गए थे जब एक बार फ़िर इन्होंने शादी की बात कीI हमने इस बार काफ़ी गंभीरता से इस बारे में बात की और इन्होंने मुझे बताया कि अगर मैं उन्हें पसंद नहीं करती तो वो मुझ पर कोई दबाव नहीं डालना चाहतेI लेकिन मैं उनके प्रति अपनी भावनाओं को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं थी और यही बात मैंने उन्हें भी बता दीI उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनके साथ कहीं घूमने चल सकती हूँ जिसके लिए मैंने हाँ कर दी क्यूंकि मुझे हमेशा से पता था कि अगर मैं किसी के साथ यात्रा कर सकती हूँ तो उसके साथ ज़िंदगी भी गुज़ार सकती हूँI
हम दोनों पास ही एक शहर में गए जो समुन्द्र के किनारे थाI हम साथ रहें, घूमे-फिरे और एक साथ दारु भी पीI हम पूरी रात समुन्द्र के किनारे बात करते-करते गुज़ार देते थे और हमारी शामें वहां के रेस्त्राओं में संगीत की धुनों पे थिरकते और गाते गुज़रती थीI मैंने बहुत सारे रंग-बिरंगे कपडे भी खरीदेंI सच बात तो यह थी कि हम दोनों ने बहुत ही अच्छा समय एक साथ गुज़ारा थाI
एक जैसी भावनाएं
उनके साथ बिताये समय से मुझे पता चल गया था कि वो ना सिर्फ़ एक समझदार और मज़ाकिया इंसान हैं बल्कि मुझे बहुत खुश भी रखेंगेI उनके विचार बिलकुल भी दकियानूसी नहीं थे और वो अपने हर निर्णय में मेरी सलाह लेते थेI वो हमेशा मेरे साथ इज़्ज़त से पेश आते थेI हमने उस ट्रिप में पहली बार एक दूसरे के साथ सेक्स कियाI ऐसा नही थी कि वो बिस्तर तोड़ था लेकिन सच कहूँ तो इतना बुरा भी नहीं थाI
मुझे पता चल गया था कि वही मेरे लिए सही जीवनसाथी हैंI उन्होंने मुझे दोबारा प्रोपोज़ किया और इस बार मुझे हाँ करने में कोई परेशानी नहीं हुईI आज हमारी शादी को सात साल हो गए हैं और उनके साथ बिताया हर पल एक यादगार लम्हा हैI