आंटी जी कहती हैं- बेटा जी, तू जो कह रहा है उसके दो पहलु हो सकते हैंI चलो देखते हैं कि कौनसा वाला सही हैI
सच छुपाने का कोई फायदा नहीं
असल में, अभी तो मैं तुमसे यह कहना चाहती हूं कि अगर तुझे समझ में नहीं आ रहा है तो साफ मना कर देI यहां कोई जीने मरने का सवाल थोड़ी है जो तुझे तुरंत फ़ैसला लेना है। अगर तुझमें हिम्मत नहीं है तो यह रास्ता बिलकुल मत चुनना क्यूंकि इस पर चलना आसान नहीं होगाI तो इस रिश्ते के बारे में कोई भी जवाब देने से पहले अपने आप से यह पूछ लेना कि क्या तू इस रिश्ते के लिए पूरी तरह समर्पित रह पायेगा?
जैसा है वैसा ही है
बेटा, दुनिया उसकी विकलांगता देख रही है लेकिन उसके अंदर जो है वो कोई नहीं देख सकता। हो सकता है कि वो बेहद समझदार, योग्य, अच्छी पढ़ी लिखी, प्यार और देखभाल करने वाली होI हो सकता है कि लड़की के माँ बाप उसकी इन अच्छाइयों के चलते तेरे बारे में भी यही सोच रहे हों कि क्या तू उनकी लाड़ली के लिए योग्य वर है भी या नहीं ?
क्या तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हो? बेटा इस पहलु के बारे में भी तुझे बेहद गंभीरता से सोचना पडे़गाI तू भी सोच रहा होगा कि तेरी आंटी जी आज बताने से ज़्यादा पूछ रही हैंI बेटा वो इसलिए कि तेरी आंटी जी इस बात में विश्वास रखती हैं कि इतने महत्त्वपूर्ण फैसले लेने से पहले हर बात की अच्छे से ठोक बजा कर परख कर लेनी चहिये जिससे सब कुछ पानी की तरह साफ़ हो जाएI
राजेश, एक तरफ़ तू कह रहा हैं कि तू उसे पसंद करते हो लेकिन दूसरी तरफ तेरा पूरा ध्यान उसकी विकलांगता पर भी है। बेटा, सवाल यह नहीं हैं कि तुझे उससे शादी करनी चाहिए या नहीं, सवाल यह हैं कि तेरे लिए वो ज़्यादा मायने रखती है या उसकी विकलांगता?
फ़ैसला करना कठिन है
मैं मानती हूं राजेश, तेरे लिए यह निर्णय लेना बिल्कुल आसान नहीं है। बैसाखी के सहारे चलने वाली विकलांग लड़की को जीवनसाथी बनाना आसान नहीं है लेकिन बेटा तुझे आगे आने वाली परिस्थितियों के बारे में सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा क्यूंकि विकलांग लोगों को कई तरह के सामाजिक कलंकों का सामना करना पड़ता है और तुझे अपनी पत्नी को ना सिर्फ इन बातों से बचा कर रखना हैं बल्कि हर मुश्किल घड़ी में उसका पूरा साथ भी देना हैI
यह वास्तव में बहुत कठिन काम है। क्या तू उसे ज़िंदगी भर इस बात का एहसास तो नहीं दिलाता रहेगा कि तूने उसके ऊपर कोई एहसान किया है?
राजेश तुम उसके ऊपर कोई एहसान नहीं कर रहे हो, इस बात को हमेशा दिमाग में रखना। मैं हमेशा उन लोगों से यही कहती हूं जो मुझसे यह सवाल पूछते हैं। अगर शादी के बाद तुम अपना हाथ और पैर खो बैठो तो तुम अपने पार्टनर से क्या उम्मीद करोगे?
ज़िंदगी रोज़ ख़ास होनी चाहिए
ऐसे कई मामले हैं जहां विकलांग लोगों की शादी सामान्य लोगों के साथ होती है। वे अच्छी सेक्स लाइफ जीते हैं, बच्चे भी पैदा करते हैं और रोज़मर्रा के काम भी करते हैं। हालांकि दुर्भाग्यवश इसके विपरीत भी कई उदाहरण हैं। मुद्दा सिर्फ़ इतना है कि कई लोग रोज़ और पूरे जीवन अपने पार्टनर का साथ देने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। अब सवाल तुमसे है कि क्या तुम उसका सहारा बन पाओगे, क्या तुम उसके लिए ख़ास बन पाओगे।
पहले इस बारे में सोचो और उसके बाद ही कोई कदम उठाओ। और यदि नहीं हिम्मत हो रही है तो यह भी ठीक है। फिर बेटा राजेश, अभी कदम खींच लो, उसके दिल में उम्मीद जगाकर उसे तोड़ने की कोशिश मत करो। भले ही उसे सहारे की जरूरत हो लेकिन उसे अकेले ही उस ख़ास इंसान का इंतजार करने दो।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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