32 वर्षीय कपिल रस्तोगी के पास कुछ दिन पहले पुलिस का फोन आया। उनकी पत्नी ने उन पर धारा 498A ठोक दी।एक बार फिर।
शाहदरा, दिल्ली के निवासी कपिल की शादी उर्वशी चतुर्वेदी के साथ 2007 में हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही उनका जीवन परेशानियों में घिरने लगा।
"मेरी माँ हमारे साथ रहती थीं।मेरी पत्नी ज़िद करने लगी कि हम अलग रहें। माँ अकेले रहेंगी तो उनकी देखभाल कैसे होगी? "कपिल ने कहा।करीब 6 महीने बाद वो घर छोड़ कर अपने माता पिता के घर चली गयी और क़ानूनी कार्यवाही करने की धमकी दे डाली। जब कपिल ने उसकी धमकी पर ध्यान नहीं दिया तो उसने कपिल और उसके परिवार के 9 और सदस्यों के खिलाफ धारा 498A का केस दर्ज करा दिया।
"कानूनी दहशतगर्दी"
इस बात पर कोई संदेह नहीं कि यह कानून महिलाओं को दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में न्याय दिलवाने के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। अपराधिक कानून की परिभाषा के अनुसार "किसी महिला को दहेज़ के सम्बन्ध में प्रताड़ित करने वाला व्यक्ति या/और उसके रिश्तेदारों तीन साल तक की सजा ही सकती। साथ ही यह अपराध अक्षम्य और गैर ज़मानती भी है।
कोई भी महिला अपने पति, उसके माता पिता या रिश्तेदारों के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल कर सकती है। यदि ये आरोप गलत भी हों तो भी आरोपियों पर मुकदमा चलाया जाता है और उन्हें बरी होने तक मुजरिम मान लिया जाता है। सर्वोच्च न्यायलय ने इस कानून के दुरूपयोग को 'क़ानूनी दहशतगर्दी' का नाम दिया है।
"यह एक ऐसा कानून है जिसका दुरूपयोग अक्सर व्यक्तिगत दुश्मनी के चलते अक्सर किया जाता है।क्योंकि इस विषय के बारे में एक सामान्य अनभिज्ञता है, लोग अक्सर इसके दुरपयोग का शिकार बन जाते हैं," दीपिका बताती हैं। इस साल दीपिका 'मार्टियर्स ऑफ़ मैरिज'(शादी के शहीद) नाम से एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ करने वाली हैं जो इस कानून के दुरूपयोग से पीड़ित लोगों के अनुभव की सच्ची कहानी है।
यह फ़िल्म कपिल जैसे लोगों की कहानी कहती है।
दूसरा मौका
कपिल को अपनी पत्नी के साथ फिर से साथ हो पाने की कोई उम्मीद नहीं थी। वो पहले ही से उसे दूसरा मौका दे चुका था। मुकदमा करने के कुछ साल बाद उर्वशी ने कोर्ट में जज के सामने कपिल से माफ़ी मांगते हुए फिर से एक होने की पेशकश की। उसने सभी आरोप वापस ले लिए और कपिल की माँ के साथ रहने को राजी हो गयी।उनकी बेटी के जन्म के बाद उसकी यही मांगे फिर वापस शुरू हो गयीं। और एक साल पहले वो फिर एक बार मुकदमा दायर करने की धमकी के साथ फिर से घर छोड़ कर चली गयी। उसने फिर एक बार कपिल पर प्रताड़ना का झूठा आरोप लगा दिया।"मैं ऐसी अशांति भरी ज़िन्दगी नहीं जीना चाहता," कपिल कहते हैं।
कपिल की कहानी दूसरों से अलग इसलिए है क्योंकि वो अपने साथ हो रहे इस अन्याय के खिलाफ लड़ने का मन बना चुका है। लेकिन बहुत से लोग इस तनाव के आगे घुटने टेक देते हैं और अपनी ज़िन्दगी तक ख़त्म कर लेते हैं।
दुरूपयोग पर रोशनी
दीपिका की यह फ़िल्म इस तरह के दुरूपयोग के कारणों को सामने लाने का एक प्रयत्न है। "दहेज़ उत्पीड़न के परिणामस्वरूप हत्या या आत्महत्या के लिए कानून की धारा 304B है लेकिन इस धारा के दुरूपयोग की पीड़ा झेलने वालों के लिए कोई प्रावधान नहीं है," दीपिका बताती हैं।
"इस कानून को महिलाओं की रक्षा के लिए बनाया गया था लेकिन इसका गलत उपयोग महिलाओं को ही प्रभावित करता है- वो माँ और बहन जिनके बेटे और भाइयों को इसके ज़रिये फंसाया जाता है," वो कहती हैं।