आइये सुनते हैं इस सम्बन्ध में एक ऐसी ही महिला की आपबीती।
मेहर कटारिया (परिवर्तित नाम) दिल्ली में रहने वाली फैशन डिज़ाइनर हैं।
"मैं शादी नहीं करना चाहती।"
"लोग क्या कहेंगे?"
अपनी शादी के बारे में मेरी अपने माता पिता से जो बात हुई, मुझे उसकी पूरी उम्मीद थी। कई साल से चल रही इस शादी की जद्दोजहद और कई लड़के देखने के बाद आखिर सच का सामना करने का पल आ चुका था। मैं शादी करना ही नहीं चाहती थी।
मेरी माँ को मेरी बात सुनकर झटका लगा। मेरे पिता की सोच थोड़ी ज़्यादा व्यवहारिक थी। वो जानना चाहते थे कि शादी न करने का मेरा ये फैसला सिर्फ फिलहाल के लिए था या उम्र भर के लिए।
मैंने उनसे कहा कि हो सकता है आगे चलकर मैं ये फैसला बदल लूँ।
भ्रम निवृति
बचपन से मैं प्यार और शादी को लेकर काफी रोमांटिक नजरिया रखती थी। और यह नजरिया फिल्मों, किस्सों कहानियों की बदौलत था।इन्हें देख कर लगता था सब कुछ बहुत सरल और सुन्दर है।
जब मैं बड़ी हुई, तो मैंने जाना की सचमुच की दुनिया में ये सब इतना आसान नहीं है जितना कहानियों में लगता था। हर प्रेम कहानी खूबसूरत अंजाम तक नहीं पहुँचती।और फिर ऐसा भी समय आया जब प्यार से ही मेरा विश्वास उठने सा लगा।
जहाँ तक कॉलेज के दिनों कि बात है, मुझे याद है कि मैं अपने दोस्तों से कहा करती थी कि मैं शादी नहीं करुँगी। सब इस बात को मज़ाक समझते थे और कहते थे कि जिस दिन तुम्हे अपने सपनो का राजकुमार मिलेगा, तुम्हारा इरादा खुदबखुद बदल जायेगा।
मुझे ऐसे कई राजकुमार मिले, कई बार प्यार हुआ और हर प्यार में मैंने आगे की ज़िन्दगी जा ख्वाब देखा। फिर रिश्ते और ख्वाब टूटे, इनसे उबरने में कभी मुश्किल हुई और कभी नहीं। बहरहाल, मुझे प्यार के बारे में भ्रम निवृति नहीं हुई। मेरी सबसे महान प्रेम कहानी वो थी जो खत्म हो गयीं।मैं कई बार प्यार में दीवानी हुई, मैं खुद के बारे में कुछ नया जाना, नयी उम्मीदें और सपने देखे।क्या मेरे मन में कभी उनमें से किसी से शादी करने की असीम इच्छा हुई? नहीं।
कोई समझौता नहीं
शादियां हमारे समाज में अक्सर प्यार से ज़्यादा सुरक्षा भाव पर आधारित रहती हैं। हम अकेले बूढ़े होने के ख्याल से इतना डरते हैं कि सुरक्षित भविष्य की ख्वाहिश में किसी भी इंसान के साथ रिश्ता जोड़ लेते हैंI
मुझे समझौते पसंद नहीं है। मुझे स्वतंत्र निर्णय पसंद हैं। मुझे अजनबियों से घुलने मिलने से परहेज नहीं है। मुझे किसी के धर्म या जाति से कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे बच्चे पालने से ज़्यादा जानवर पलना अच्छा लगता है। इस सब के साथ कोई व्यक्ति मेरे साथ कैसे निभा पायेगा?
इस सब के साथ सबसे ज़्यादा थका देने वाला तथ्य ये है कि अपने सभी दोस्तों में मैं अकेली हूँ जो अविवाहित है। और इस तथ्य के बारे में लोगों की नित नयी टिप्पणियां। लगता है जैसे अगर आपकी शादी नहीं हुई है तो आपके सफल, बुद्धिमान, शिक्षित और दक्ष होने के कोई मायने नहीं हैं। मानो कि एक खुश अविवाहित 32 वर्षीया महिला होना कोई पहचान नहीं है।यदि अब तक आपकी शादी नहीं हुई तो आपमें कुछ कमी है।
इस हाल में जीना
मैंने अपने आप को दोस्तों के बीच और पार्टियों में अकेले जाने और उनकी विशेष टिप्पणियों को सुनकर नकली मुस्कान बिखेरने में माहिर बना लिया है।
जब मैं ऐसी किसी जगह जाऊँगी तो मेरे रिश्तेदारों में से कोई न कोई बुज़ुर्ग मुझे ज़रूर नसीहत देगा कि किस प्रकार मुझे जल्द से जल्द शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि इस उम्र के सब अच्छे लड़कों की शादियाँ हो चुकी होती हैं और फिर मुझे कोई अच्छा लड़का नहीं मिल सकेगा।
मुझे ये सब झेलना पड़ेगा क्योंकि मैं शापित हूँ - आखिर मेरी शादी जो नहीं हुई है।