आंटीजी कहती हैं...सुन साहिबा सुन...प्यार कि धुन!
दोस्त या लवर्स?
साहिबा बेटा, ये एक आम परस्थिति है। ऐसा अक्सर होता है कि जब दोस्ती का रिश्ता बहुत गहरा हो जाता है तो दोस्ती और प्यार के बीच कि लकीर हलकी हो जाती है। हम भूलने लगते हैं कि हम हैं क्या, दोस्त या लवर्स?
ये लड़का तेरा अच्छा दोस्त तो है पर मुझे तो थोडा बुद्धू लग रहा है! पहले तुझे ऐसे हिंट दिए, मतलब ऐसे जताया कि वो तुझे पसंद करता है, और फिर किसी और लड़की से अफेयर कर लिया। और इतना ही नहीं, उसके बाद तुझे नज़रअंदाज़ भी कर रहा है। वाह भाई वाह!
नकारा जाना और निराशा कि भावनाएं
और कोई समझे या न समझे, मैं तेरी तकलीफ समझ रही हूँ बेटा। ऐसा तो मेरे साथ भी हो चूका है। लेकिन मेरी बात ध्यान से सुन, मुझे लगता है कि वो कन्फ्यूज्ड था...है न? शायद उसे भी लगा कि तुम दोनों के बीच प्यार था जबकि असल में वो गहरी दोस्ती थी रोमांस वाला प्यार नहीं। इसलिए निराश मत हो - ये ग़लतफ़हमी थी, और शायद भावनाओ का मिश्रण।
नकारे जाने का एहसास बहुत बुरा लगता है। तुझे बहुत दुःख और निराशा हो रही होगी। उम्मीद प्यार कि थी और दोस्ती भी ख़त्म हो गयी। मैं तेरा दुःख सच में दिल से महसूस कर सकती हूँ।
खुद को सम्भाल
ये जो भी था, इस भ्रम के चलते तूने अपने प्यार और दोस्त को फिलहाल के लिए खो दिया है। खैर, अब आगे क्या करना है? रोना है? रो ले। दुखी होना है? दुःख मना ले। उसकी यादों में डूब जा, ये सब तो मेरे ना कहने पर भी तू करेगी ही पुत्तर। ये सब इस भावना का हिस्सा है। रिश्ता टूटा है तो दर्द तो होगा ही।
वहीँ, दूसरी तरफ, मेरे हिसाब से ये वक़्त है दूसरे लोगों से घुलने मिलने का। अपने आप को बंद मत कर, बल्कि खुल के बाहर आ। कई बार किसी एक इंसान के प्यार में डूब के हम बाकि दुनिया से बिलकुल अलग-थलग हो जाते हैं और हमें आभास भी नहीं होता कि हमने इस दौरान क्या खो दिया। तो यही वक़्त है उस सब को समेटने का, जो तूने इस दौरान खो दिया था।
किस्से का खात्मा
तो तेरा दोस्त सब भूल के आगे बढ़ चूका है...नए रिश्ते में है और तुझे नज़रअंदाज़ करके बेवकूफी कर रहा है। तू उसे उसके हाल पर छोड़ दे। उसे देखने दे कि तुझ जैसी अच्छी लड़की को खो कर उसने अपना नुक्सान किया है।
तू भी अपनी इस कहानी को भूल कर आगे बढ़ने के बारे में सोच साहिबा। एक बार जब तू पक्के मन से अपने आपको सम्भाल ले, तो फिर जाकर उसे बता कि उसने जो किया वो गलत था। प्यार करने न करने का हक़ उसका था, लेकिन नए रिश्तों के चलते पुराने दोस्त को नज़रअंदाज़ करना बिलकुल गलत है। उसे उसकी इस गलती और मूर्खता का एहसास ज़रूर दिलाना।
दोस्ती, सदा के लिए...
अपना दिल बड़ा कर बेटा। वो कन्फ्यूज्ड था और शायद तू भी। ये किस्सा ख़तम हो चूका है। लेकिन इस सब से पहले तुम दोनों दोस्त थे, है ना? तो फिर से दोस्त भी बन सकते हैं। सिर्फ दोस्त।
अगर दोस्ती फिर से वैसी हो जाये तो अच्छी बात है, ना हो तो भी कोई बुराई नहीं। तू अपनी समझदारी का सबूत दे, उसकी समझदारी तेरा ज़िम्मा नहीं है। क्या तू ऐसा कर सकती है? अपने आप को शीशे में देख के बता, ' साहिबा, तू कमाल कि लड़की है, नुक्सान तेरा नहीं उसका हुआ है!"
बिंदास रह पुत्तर...खुश रह...और ऐश कर!
तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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