आंटी जी कहती हैं….बेटा जी मुझे विश्वास है कि तूने एक बात अक्सर सुनी होगी कि ‘भाई एडजस्ट होने में समय लगता है’ तो कम से कम मैं तो तुझे यह बात फिर से नहीं कहूंगी। लेकिन चलो देखते हैं कि इस बारे में मैं तेरी क्या मदद कर सकती हूं।
खुद में निवेश कर
पुत्तर, सबसे पहले एक बात समझ ले कि सभी रिश्तों को थोड़ा समय देना ज़रुरी है। यहाँ मैं सिर्फ़ शादी की बात नहीं कर रही हूँ बल्कि किसी भी रिश्ते के बारे में बात कर रही हूं। हर रिश्ता हमें अपने आप के बारे में, लोगों के बारे में और प्यार के बारे में काफी कुछ समझाता है। वैसे यह सफ़र भी काफ़ी दिलचस्प होता है। इसलिए मैं फिलहाल सिर्फ़ इतना ही कहूंगी कि इसे एक मौका तो ज़रूर दे।
अपना सहयोगी तलाश कर
अच्छा जी! अब कुछ सलाह। सबसे पहले तो अपने मियाँजी के साथ के सारे मुद्दे निपटा ले। अपनी तकलीफ़, अपनी अपेक्षाएँ और उम्मीदों के बारे में थोड़ा खुल कर बात कर ले। अपनी बात उसे बता लेकिन उसकी बात पर भी ध्यान दे। किसी पर उंगली मत उठा लेकिन अपनी समस्याओं को उसके साथ साझा कर और ये तय कर ले कि क्या क्या तू कर सकती है और कौन सी वो चीज़ें हैं जो तू नही कर सकती। उसके बाद देख कि इन बातों पर तुम दोनों के बीच कितनी सहमति है या हो सकती है। इस से तुझे ये पता चल जाएगा कि कहीं तुम दोनों की ट्रेन अलग अलग पटरी पर तो नही चल रही।
सीमा निर्धारित
अपनी सीमा निर्धारित कर ले और अपने नए परिवार के सदस्यों की भी। जितना कर पाना तेरे लिए संभव है वो तू उन्हें ज़रूर बता दे लेकिन प्यार से। जैसे कि 7 बजे तक ऑफ़िस में काम करने के बाद तू किचन में सबके लिए खाना भी बनाये ये शायद संभव न हो। लेकिन साथ ही ये भी संभव नही कि क्योंकि तुझे सरसों का तेल पसंद नही इसलिए सब लोग रिफाइंड तेल में खाना बनाना शुरू कर दें। ज़्यादा बड़े वादे मत कर और मक्खी का शिकार तोप से मत कर।
साफ़ बात
बेटा जी, याद रख सीधी बात दूर तक जाती है। इसलिए बात घुमा-फिरा के मत कर। सास से बात करने के लिए ननद के ज़रिये मत जा। अपने किसी भी रिश्ते में शक या गलतफहमी की कोई भी गुंजाईश मत छोड़ I तेरा नज़रिया ऐसा होना चाहिए कि चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे इस समस्या का समाधान ढूंढ कर ही रहना है, ना कि ऐसा कि मुझे नयी समस्याएं ढूंढनी हैं! मैं नहीं कह रही कि तू सबको खुश करने की कोशिश कर उनकी सारी बातें मान, लेकिन पुत्तर यहाँ यह भी ध्यान रखना है कि बाकी लोग तेरे बारे में ऐसी राय बना लेंI समझी?
अपनी पारी खुल के खेल
बेटा मैं फिर कहूंगी कि अपने आपको बदलना किसी के लिए भी आसान नहीं होता और मैं इसके लिए तुझ पर कोई दबाव भी नहीं डालूंगीI किसीभी रिश्ते को सुखद बनाने के लिए अथक प्रयासों की ज़रुरत पड़ती है और यह आसान नहीं हैI लेकिन कम से कम हर व्यक्ति को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास तो करना ही चाहिएI हाँ अगर फ़िर भी बात ना बनें तो कोई गम नहींI तो गुरप्रीत आगे बढ़, क्या पता इस पथरीले रास्ते पर आगे चलकर प्यार और विश्वास के अनगिनत फूल खिले हुए होंI
लेखक की गोपनीयता बनाये रखने के लिए, तस्वीर में एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया है!
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