आंटीजी कहती हैं... अरे मेरी बिटिया रानी, इतना आगे की मत सोचI ज़रा देखते हैं कि माजरा क्या है..आमार शाथे कौथा करो...
जाँच बनाम कोशिश
तूने कहा कि "तुम डेढ़ साल से कोशिश कर रहे होI" तुम्हारी शादी को कितना समय हुआ है? तेरी उम्र देखते हुए मुझे नहीं लगता कि कुछ ज़्यादा साल हुए होंगेI बेटा, जब हम कहते हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं तो ज़रूरी है कि ये कोशिश सही दिशा में हो, अण्डोत्सर्ग के दिनों में, गर्भ धारण करने कि इच्छा के साथI और ये प्रक्रिया बहुत आसान नहीं है!
अक्सर युवा जोड़े सिर्फ सेक्स कर रहे होते हैं- जोकि अच्छी बात है- और गरब ठहर जाता हैI कई बार ऐसा नहीं हो पाताI तो ऐसा कहा जा सकता है कि शुरुवात में कोशिश असल में कोशिश नहीं होती, है ना?
सर्वाधिक उर्वरता
तो ये तो तय है कि सफलता कि सम्भावना बढ़ने के लिए एक चीज़ ज़रूरी है, अधिक सेक्सI और वीर्य का स्खलन योनि के भीतर- उन दिनों में जब तुझे अण्डोत्सर्ग हो रहा होI और इसके लिए तुझे मासिक-धर्म के आधार पर सही दिनों का अंदाज़ा लगाना होगाI
क्या यहाँ तक सब सही है? तुझे जानकर अचम्भा होगा कि ज़्यादातर महिलाओं के लिए गर्भ धारण करने का उपयुक्त समय केवल 24 घंटे के आसपास ही होता हैI और इसमें भी शर्तें लागू हैं!
तारिख का अंदाज़ा लगा
अपनी उर्वरता का सही समय जानने के लिए इंटरनेट से अण्डोत्सर्ग चार्ट/डेट कैलकुलेटर ढून्ढ निकालI तुझे इनके कई विकल्प इंटरनेट पर मिलेंगे, उनमे से तुझे सो आसान और सही लगे उसे चुन लेIइनके इस्तेमाल से जो तारिख निकलती है, तेरी माहवारी उसके करीब 12-16 दिन के बाद होनी चाहिएI
जब ये तारिख स्पष्ट हो जाये, तो उस समय के दौरान सेक्स होना चाहिए, वीर्य स्खलन योनि के अंदरI अपने पति को भी ज़रा इस काम में संधानी बरतने कि हिदायत दे देनाI तीर निशाने पर लग्न ज़रूरी है बेटे!
और ये तुम दोनों के लिए- तुम दोनों को ये बिना अधिक तनाव के करना हैI नाकि अपने बैडरूम पर 'संतान उतपत्ति कार्य प्रगति पर है, कृपया शांत रहे' का बोर्ड लगा करI सेक्स सामान्य रूप से आनंददायक होना चाहिए, महत्वकांशी होकर इसका मज़ा किरकिरा मत करनाI
तनाव का बहाव
तूने ऐसे जोड़ों कि कहानी सुनी होगी जिन्होंने बहुत कोशिश करके हिम्मत हार दी और बच्चा गोद ले लिया, और कुछ ही समय बाद पता चला कि अब इस बच्चे कि मम्मी प्रेग्नेंट हैं! कुछ बुज़ुर्ग औरतें इसे गोद लेने के पुण्य का फल भी बता सकती हैंI लेकिन ये सब बातें बकवास हैं!
गोद लेने को परोपकार क्यों माना जाता है, ये बात मेरी समझ से बाहर हैI लेकिन कई मामलों में बच्चे के गोद लेने के बाद लोग तनाव मुक्त हो जाते हैं और उन्हें अहसास नहीं होता कि तनाव मुक्ति के चलते उनकी कोशिश अपने आप सफल हो जाती हैI
दोष निर्दोष
अब रही बात तेरे मन के डर कीI सबसे पहली बात तो ये कि टेस्ट के परिणाम का डर तुझे है तो तेरे पति को क्यों नहीं है भाई? यहाँ बात 'मर्दानगी' पर ठेस कि आ जाती हैI और शोमा बेटे मैं तेरा डर समझ पा रही हूँ, अक्सर महिलाएं इस समस्या का दोष खुद पर लेने कि जल्दबाज़ी में रहती हैं!
मुझे ख़ुशी है कि तूने इस डर के बारे में बात की, क्यूंकि लोग शायद सोचते हैं कि आज के ज़माने में शिक्षित समाज में ऐसा नहीं होताI लेकिन ये सरासर गलतफमी है! सच ये है कि इस मामले में लिंग भेद आज भी मौजूद हैI बहुत सी औरतों को इस डर का सामना करना पड़ता हैI
बात करना अच्छा उपाय
डर तो अनदेखी चीज़ है शोमा बेटे, इसका अंत हो तो बेहतर है! अपने पति से इस बारे में बता करI उससे पूछ," क्या हमें टेस्ट करवा लेने चाहिए? कहीं आप के साथ कोई समस्या तो नहीं है?"
उसे कैसा लगेगा शोमा? क्या इसका तुम्हारे रिश्ते पर असर पड़ेगा? क्या तेरी राय उसके बारे में बदल जाएगी? एक दुसरे से बात करना शुरू करो बेटेI इसमें कोई नुकसान नहीं हैI अपने ख्यालों में स्पष्टता लाओI मुझे आशा है की तेरा पति तुझे किसी तकलीफ में अकेला नहीं छोड़ेगाI
गर्भ धारण करने के बारे में कुछ और टिप्स पढ़ेंI
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