वियाग्रा लेने वाले हो जाएं सावधान, उत्तेजित होने में हो सकती है समस्या

जो पुरुष सेक्स के आनंद को बढ़ाने के लिए डॉक्टर के निर्देश के बिना वियाग्रा लेते हैं, उन्हें भविष्य में उत्तेजित होने में परेशानी हो सकती है। अधिक मज़ा पाने के लिए वियाग्रा या इसके जैसी अन्य गोलियों का सेवन पुरुषों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और उनके आत्मविश्वास को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके कारण इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष) की समस्या हो सकती है।

बिना डॉक्टर की सलाह लिए

हाल ही में अमेरिका में एक विश्वविद्यालय के 1207 विद्यार्थियों पर किए गए एक सर्वे के अनुसार, जो पुरुष अपने इरेक्शन को बेहतर बनाने के लिए वियाग्रा या ऐसी अन्य दवाइयां लेते हैं, वे वास्तव में ख़ुद के लिए ही चीज़ों को बदतर बना देते हैं।

शोधकर्ताओं ने छात्रों से पूछा कि क्या उन्होंने कभी इरेक्टाइल डिसफंक्शन वाली दवाओं का उपयोग किया है। उन्होंने यही सवाल उन छात्रों से भी पूछा जो डॉक्टर के निर्देश के बिना शौकिया ही इन दवाओं का सेवन करते थे।  इनमें से 72 पुरुषों ने बताया कि वे डॉक्टर की सलाह के बिना इन दवाओं का सेवन करते हैं। तब शोधकर्ताओं ने इन पुरुषों के सेक्स लाइफ की तुलना उन पुरुषों से की जो दवाओं का सेवन नहीं करते थे और जो डॉक्टर से सलाह लेकर दवाओं का सेवन करते थे।

कम यौन संतुष्टि

शोधकर्ताओं ने पाया कि लिंग के उत्तेजित होने में दिक्कत होने के कारण शौकिया तौर पर वियाग्रा लेने वाले लोग गोलियों का सेवन बंद कर चुके थे। इसके बज़ाय वे शायद इरेक्शन को लंबे समय तक बनाए रखने और सेक्स को बेहतर बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे थे।

लेकिन बेहतर सेक्स के बज़ाय, जो पुरुष वियाग्रा का इस्तेमाल शौकिया तौर पर करते थे, वे अपनी सेक्स लाइफ से सबसे कम खुश थे। भले ही शारीरिक रूप से उन्हें लिंग क्व सख्त होने या लम्बे समय तक खड़ा रहने जैसी कोई समस्या नहीं थी, लेकिन ये पुरुष डॉक्टर की सलाह से इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दवा लेने वाले और किसी भी तरह की गोलियों का सेवन न करने वाले पुरुषों की अपेक्षा बिस्तर पर कम संतुष्ट थे।

आत्मविश्वास घटता है

शौकिया तौर पर दवाएं लेने वाले लोगों के यौन जीवन में तो कोई सुधार हुआ नहीं हुआ बल्कि लिंग की उत्तेजना को लेकर उनके आत्मविश्वास में भी कोई खासी बढ़ोतरी नहीं हुईI वास्तव में जो पुरुष मौज मस्ती के उद्देश्य से गोलियां ले रहे थे उनमें अपने लिंग की उत्तेजना क्षमता पर उन लोगों की तुलना में कम भरोसा था जो सेक्स से पहले किसी तरह की गोलियां नहीं लेते हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि मौज मस्ती के उद्देश्य से जिन लोगों ने जितनी अधिक गोलियों का इस्तेमाल किया, उनका दवाइयों के बिना उत्तेजित होने का आत्मविश्वास उतना ही ज्यादा घटा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दवाएं हद से ज़्यादा लोगों के उम्मीद का कारण बन गईं और प्रत्येक व्यक्ति सामान्य से ज्यादा यानि लंबे समय तक और तेजी से उत्तेजित होने की उम्मीद रखने लगा।

यदि किसी व्यक्ति का लिंग ठीक से उत्तेजित नहीं होता है तो उसका आत्मविश्वास गिर जाता है। आत्मविश्वास कमजोर पड़ने के कारण वह दवाएं लिए बिना यौन संबंध बनाने को लेकर चिंतित रहता है। जिसके कारण उसे इरेक्ट होने में अधिक मुश्किल होती है, शोधकर्ताओं ने इसे साइकोजेनिक इरेक्टाइल डिसफंक्शन या इरेक्शन की समस्या का नाम दिया है जो वास्तव में सभी पुरुषों के दिमाग में होती हैं।

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