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अपनी ब्रा के बिना नग्न

Submitted by Roli Mahajan on गुरु, 02/02/2012 - 10:09 बजे
भारत एक ऐसा देश है जहाँ घरों के आँगन में अर्धनग्न देवी माँ तो ज़रूर रखी जाती है, लेकिन अगर कोई लड़की किसी साधारण बाज़ार में छोटी स्कर्ट पहनकर जाए तो हंगामा खड़ा हो जाता है। या फिर बिना ब्रा के उन्हें ऐसा महसूस कराया जाता है जैसे कि वो नग्न है।

लड़कियों को कपड़ों के बारे में बात करना बहुत पसंद होता है और लड़कों को लड़कियों को कपड़ों में देखना अच्छा लगताहै। पर सोचने वाली बात ये है कि किस तरह के कपडे पहनने का - या न पहनने का - अलग अलग लोगों पे क्या असर होता है?

अपने दिमाग में चल रहे इन सभी विचित्र ख्यालों के साथ में पूरी सुस्ती से अपना संडे का दिन बिता रही थी। तभी मेरी दोस्त ने मुझे उस दूकान पे छोड़ने का प्रस्ताव दिया जहाँ मुझे कुछ काम था। मैं बस तैयार होकर घर के बाहर आ चुकी थी और मेरी दोस्त अपने पुरुष साथी से मिलने के लिए निकलने ही वाली थी कि तभी मुझे ध्यान आया कि मैं अपने कपड़ों में एक ज़रूरी चीज़ पहनना भूल गयी।

ब्रा जलाना
मैं अपनी टी-शर्ट के नीचे ब्रा पहनना भूल गयी थी।शायद इस पर किसी और का ध्यान भी नहीं जाता। पर शायद मेरे जैसे इंसानों के लिए, जो थोड़े तंदुरुस्त और रुढ़िवादी हैं, ब्रा पहनना उतनी ही ज़रूरी है जितना कि अपने नंबर वाला चश्मा पहनना। आपको ये पहनना ज़रूरी है नहीं तो दुनिया आपको अजीब और अपनी दुश्मन नज़र आएगी।

मैंने अपनी दोस्त को बताया और मैं वापस उपर अपने कमरे में भागने ही वाली थी जब उसने कहा, "ओ चल ना! एक ब्रा जलाने वाली महिलावादी के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है।और वैसे भी तुम पास के बाज़ार में ही जा रही हो।एक दुकान में जाकर वापस ही तो आना है।" उसकी बात सुनकर मेरे बाल खड़े हो गए और हम चल दिए।

आकर्षण का केंद्र
वो मेरी ज़िन्दगी की सबसे अजीब चाल थी।मैं इतना अजीब महसूस कर रही थी कि जैसे मैं नग्न हूँ, जब कि सच ये है कि मैं पूरी तरह से ढकी हुई थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी मानसिक स्तिथि का खुलासा हो गया हो।
मुझे नहीं पता मुझे कौन देख रहा था पर मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे की मैं सबके लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी।मैं सबसे छोटा और सबसे कम भीड़ वाला रास्ता लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन मेरे ये विचार मेरा पीछा नहीं छोड़ रहे थे।  

व्यक्तिगत पसंद
मैंने ये भी सोचा कि एक बार घर चली जाओ और थोडा काम अधूरा महसूस करके वापस आ जाओ - आखिर मेरी दोस्त भी जा चुकी थी। लेकिन ये स्थिति एक चुनौती की तरह मेरे सामने थी और मैं पीछे नहीं हट सकती थी। आखिर मुझे ये क्या रोक रहा था?

आखिर ये मेरा शरीर है और ये मैं ही तय करुँगी की मैं क्या पहनूं या अपने शरीर के साथ क्या करूँ? जब मैं १५ साल की हुई तो मुझे ये बताया गया था कि लड़कियों के लिए ब्रा पहनना ज़रूरी है और तभी से मैंने इस बात का नियम कि तरह पालन किया।

फोटो: © गाब्रिएल बलज  Dreamstime.com

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