मैं क्या कर सकती हूँ? मैं इसका असर अपने रिश्ते पर नहीं आने देना चाहती। रूपम (24 ), अल्लाहबाद
आंटी जी कहती हैं...ओह वाह बेटा जी वाह! मुबारक हो पुत्तर! बहुत बढ़िया रूपम! शाबाश! तो अपने कैरियर में इतना अच्छा कर रही है और आगे बढ़ रही है - यह तो बहुत अच्छी खबर है। और हाँ, मैं समझ रही हूँ कि इसी के साथ कुछ परेशानी भी तेरे सामने आ रही है। चल इसके बारे में बात करने से पहले तेरी स्तिथि को थोडा अच्छे से समझ लेते हैं।
तो जी, तेरी प्रोमोशन कि खबर सुनने के बाद से तेरा पति अलग-अलग रहने लगा है – हम्म्म… पुत्तर, थोडा ना अकेला छोड़ दे कुछ देर के लिए अपने पति को। शायद आज तक वो इस एहसास में जी रहा था, जैसे कि अधिकतर पुरुष जीते हैं, कि 'पुरुष महिला से ऊपर ही होते हैं और एक कदम आगे ही होते हैं। उन्हें यह भी लगता है कि वो महिलाओं से ज़यादा समझदार होते हैं, और परिवार कि पोषण कि ज़िम्मेदारी भी उनकी होती है, और महिलाओं को अक्सर देखबाल कि ज़रूरत होती है।' अब शायद तेरे पति कि सोच ऐसी ना हो - लेकिन सच यह है कि भारत में और संसार के और देशों में भी अधिकतर पुरुष यह समझते हैं पुरुष महिलाओं के मुक़ाबले हर चीज़ में आगे होते हैं।
बहुत में से एक
अब यह तेरी या तेरे पति कि गलती नहीं है। हमारे समाज ने और सदियों से चली आ रही पुरुष प्रधान सोच ने हमें ऐसा सोचने पर मजबूर कर दिया है। जैसे कि पति को उम्र में पत्नी से बड़ा ही होना चाहिए, उनसे ज़यादा लम्बा भी होना चाहिए और ज़यादा कमाना भी चाहिए। तभी उन्हें एक अच्छा युगल माना जाता है। तो जब इनमें से कोई भी चीज़ थोड़ी भी अलग होती है - तो पुरुषों के अहम् को चोट लग जाती है।
हो सकता है कि तेरा पति अभी भावनाओं कि उथल-पुथल में उलझा महसूस कर रहा हो, जिसमे ईर्ष्या भी हो, तुझसे कम होने का एहसास भी, किसी तरह का दर भी और यह एहसास भी कि शायद अब तुझे उसकी ज़रूरत ना हो...
सहारा और देखबाल
तो अब तू क्या करे? देख- सबसे पहले तो इस स्तिथि को अपने दिमाग पर हावी मत होने दे - मतलब कि अपने-आप को अपने पति से बढ़कर मत समझने लग। एक दिन उसके साथ तसल्ली से बैठ और उससे तेरी प्रोमोशन के बारे में उसकी प्रतिक्रिया पूछ। जानने कि कोशिश कर कि क्या उसे तेरा प्रोमोशन पसंद आया या नहीं? क्या वो छठा है कि तू प्रोमोशन स्वीकारे या नहीं? क्या वो कुछ और कहना चाह रहा है तुझसे?
खुलकर उससे पूछ - क्या वो तेरी तरक्की से खुश नहीं? अगर नहीं - तो क्यों? क्या उसे ऐसा लगता है कि ज़यादा व्यस्त होने कि वजह से तो उस पर और घर-परिवार पर ज़यादा ध्यान नहीं दे पायेगी? उसके साथ साथी कि तरह सहयोग देते हुए बात कर और उसे एहसास दिल कि तुझे उसकी फ़िक्र है, ताकि वो भी खुलकर अपने दिल कि बात तुझसे कर सके।
पैसे कि बात मत कर
कुछ भी कर, लेकिन पैसे कि बात को बीच में मत ला : "क्या तुम्हे ये बात परेशान कर रही है कि मैं तुमसे ज़यादा कमाऊंगी...?" क्यूंकि इसके बाद वो तुझसे किसी भी तरह कि बात शायद ना करे। तो एक दूसरे के बारे में बात कर, प्रोमोशन के बारे में बात कर, लेकिन पैसे के बारे में नहीं। उससे उसके काम के बारे में सवाल कर - ताकि तुझे भी उसके व्यवसाय को समझने में मदद मिले।
और अब जब तेरे पास कुछ और पैसा आ रहा है, तो इसको किस तरह से इस्तेमाल करना है? क्या वो तेरे नए पर्स खरीदने मैं काम आएगा या अपने पति के साथ मिलकर उसको किसी और जगह खर्च करने कि प्लानिंग करेगी? तुम दोनों जवान हो, शायद तुम्हे बैंक से कुछ कर्ज़ा लिया हो, या कुछ ऐसी चीज़ें हो जो तुम दोनों खरीदने कि इच्छा रखते हो। तो किसी ऐसी चीज़ में ही अपने बढे हुए पैसो का इस्तेमाल कर। ये शायद तेरे पति को भी अच्छा लगे।
दोस्ताना प्रस्ताव
यह शायद उसको तेरे बारे में अच्छा महसूस कराये। प्रस्ताव रख - या बिना प्रस्ताव रखे, घर के किसी खर्चे कि ज़िम्मेदारी खुद उठा ले, जैसे कि घर कि किश्त या कुछ और - ताकि उसके कंधे कि ज़िम्मेदारी तो बाँट सके। सिर्फ प्रस्ताव रख - ज़बरदस्ती मत कर, और फिर देखते है कि इससे कुछ फर्क पड़ता है या नहीं।
चाहे जो भी कर, लेकिन इस तरह कि बातें मत कर कि उसे लगे तो अपने ज़यादा कमाने का दिखावा कर रही है। क्यूंकि किसी को तेरी तनखा जानने कि कोई शौख नहीं है। हाँ, लेकिन यह समय है कि तू अपनी तरक्की के बारे में अच्छा महसूस करे और तेरा पति भी तेरे साथ इस तरक्की का जश्न मना सके। लेकिन अपने आप को कभी भी उससे ज़यादा श्रेष्ठ होने का एहसास मत दिला। तो अगर तू उसके लिए कुछ करना चाहती है - जैसे कि कोई तोहफ़ा - तो थोड़े दिन रुक जा। और हाँ हले से करती आ रही है तो - जैसे कि छोटे तोहफे या उसके लिए कुछ ख़ास - वो करना ज़ारी रख।
असुरक्षित
रूपम पुत्तर, शायद तेरा पति असुरक्षित महसूस कर रहा हो - और इस समय केवल तू उसे मदद कर सकती है। क्यूंकि वो ज़यादा प्रभावित समाज कि सोच और दखियानुसी अपेक्षाओं कि वजह से हो रहा है जिसमे पुरुषों से सबसे आके होने का दबाव बना रहता है और कई बार वो अपने-आप को छोटा और नाकाम महसूस करने लगते हैं।
अपने रिश्ते को वापस सही रास्ते लाने के लिए, तुझे अपने पति को इस दखियानुसी समाज कि सोच से बाहर निकलने में मदद करनी पड़ेगी। अगर पैसे कि बात सामनेआती है, तो चुप मत रहना, बात करना और उसको समझाना कि तुम दोनों के रिश्ते के बीच पैसा कोई मायने नहीं रखता।
चल रूपम पुत्तर - एक बार फिर से, लख-लख बढियां जी! बहुत बढ़िया बेटा - खूब मेहनत कर और आगे बढ़।
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मैं क्या कर सकती हूँ? मैं इसका असर अपने रिश्ते पर नहीं आने देना चाहती। रूपम (24 ), अल्लाहबाद
आंटी जी कहती हैं...ओह वाह बेटा जी वाह! मुबारक हो पुत्तर! बहुत बढ़िया रूपम! शाबाश! तो अपने कैरियर में इतना अच्छा कर रही है और आगे बढ़ रही है - यह तो बहुत अच्छी खबर है। और हाँ, मैं समझ रही हूँ कि इसी के साथ कुछ परेशानी भी तेरे सामने आ रही है। चल इसके बारे में बात करने से पहले तेरी स्तिथि को थोडा अच्छे से समझ लेते हैं।
तो जी, तेरी प्रोमोशन कि खबर सुनने के बाद से तेरा पति अलग-अलग रहने लगा है – हम्म्म… पुत्तर, थोडा ना अकेला छोड़ दे कुछ देर के लिए अपने पति को। शायद आज तक वो इस एहसास में जी रहा था, जैसे कि अधिकतर पुरुष जीते हैं, कि 'पुरुष महिला से ऊपर ही होते हैं और एक कदम आगे ही होते हैं। उन्हें यह भी लगता है कि वो महिलाओं से ज़यादा समझदार होते हैं, और परिवार कि पोषण कि ज़िम्मेदारी भी उनकी होती है, और महिलाओं को अक्सर देखबाल कि ज़रूरत होती है।' अब शायद तेरे पति कि सोच ऐसी ना हो - लेकिन सच यह है कि भारत में और संसार के और देशों में भी अधिकतर पुरुष यह समझते हैं पुरुष महिलाओं के मुक़ाबले हर चीज़ में आगे होते हैं।
बहुत में से एक
अब यह तेरी या तेरे पति कि गलती नहीं है। हमारे समाज ने और सदियों से चली आ रही पुरुष प्रधान सोच ने हमें ऐसा सोचने पर मजबूर कर दिया है। जैसे कि पति को उम्र में पत्नी से बड़ा ही होना चाहिए, उनसे ज़यादा लम्बा भी होना चाहिए और ज़यादा कमाना भी चाहिए। तभी उन्हें एक अच्छा युगल माना जाता है। तो जब इनमें से कोई भी चीज़ थोड़ी भी अलग होती है - तो पुरुषों के अहम् को चोट लग जाती है।
हो सकता है कि तेरा पति अभी भावनाओं कि उथल-पुथल में उलझा महसूस कर रहा हो, जिसमे ईर्ष्या भी हो, तुझसे कम होने का एहसास भी, किसी तरह का दर भी और यह एहसास भी कि शायद अब तुझे उसकी ज़रूरत ना हो...
सहारा और देखबाल
तो अब तू क्या करे? देख- सबसे पहले तो इस स्तिथि को अपने दिमाग पर हावी मत होने दे - मतलब कि अपने-आप को अपने पति से बढ़कर मत समझने लग। एक दिन उसके साथ तसल्ली से बैठ और उससे तेरी प्रोमोशन के बारे में उसकी प्रतिक्रिया पूछ। जानने कि कोशिश कर कि क्या उसे तेरा प्रोमोशन पसंद आया या नहीं? क्या वो छठा है कि तू प्रोमोशन स्वीकारे या नहीं? क्या वो कुछ और कहना चाह रहा है तुझसे?
खुलकर उससे पूछ - क्या वो तेरी तरक्की से खुश नहीं? अगर नहीं - तो क्यों? क्या उसे ऐसा लगता है कि ज़यादा व्यस्त होने कि वजह से तो उस पर और घर-परिवार पर ज़यादा ध्यान नहीं दे पायेगी? उसके साथ साथी कि तरह सहयोग देते हुए बात कर और उसे एहसास दिल कि तुझे उसकी फ़िक्र है, ताकि वो भी खुलकर अपने दिल कि बात तुझसे कर सके।
पैसे कि बात मत कर
कुछ भी कर, लेकिन पैसे कि बात को बीच में मत ला : "क्या तुम्हे ये बात परेशान कर रही है कि मैं तुमसे ज़यादा कमाऊंगी...?" क्यूंकि इसके बाद वो तुझसे किसी भी तरह कि बात शायद ना करे। तो एक दूसरे के बारे में बात कर, प्रोमोशन के बारे में बात कर, लेकिन पैसे के बारे में नहीं। उससे उसके काम के बारे में सवाल कर - ताकि तुझे भी उसके व्यवसाय को समझने में मदद मिले।
और अब जब तेरे पास कुछ और पैसा आ रहा है, तो इसको किस तरह से इस्तेमाल करना है? क्या वो तेरे नए पर्स खरीदने मैं काम आएगा या अपने पति के साथ मिलकर उसको किसी और जगह खर्च करने कि प्लानिंग करेगी? तुम दोनों जवान हो, शायद तुम्हे बैंक से कुछ कर्ज़ा लिया हो, या कुछ ऐसी चीज़ें हो जो तुम दोनों खरीदने कि इच्छा रखते हो। तो किसी ऐसी चीज़ में ही अपने बढे हुए पैसो का इस्तेमाल कर। ये शायद तेरे पति को भी अच्छा लगे।
दोस्ताना प्रस्ताव
यह शायद उसको तेरे बारे में अच्छा महसूस कराये। प्रस्ताव रख - या बिना प्रस्ताव रखे, घर के किसी खर्चे कि ज़िम्मेदारी खुद उठा ले, जैसे कि घर कि किश्त या कुछ और - ताकि उसके कंधे कि ज़िम्मेदारी तो बाँट सके। सिर्फ प्रस्ताव रख - ज़बरदस्ती मत कर, और फिर देखते है कि इससे कुछ फर्क पड़ता है या नहीं।
चाहे जो भी कर, लेकिन इस तरह कि बातें मत कर कि उसे लगे तो अपने ज़यादा कमाने का दिखावा कर रही है। क्यूंकि किसी को तेरी तनखा जानने कि कोई शौख नहीं है। हाँ, लेकिन यह समय है कि तू अपनी तरक्की के बारे में अच्छा महसूस करे और तेरा पति भी तेरे साथ इस तरक्की का जश्न मना सके। लेकिन अपने आप को कभी भी उससे ज़यादा श्रेष्ठ होने का एहसास मत दिला। तो अगर तू उसके लिए कुछ करना चाहती है - जैसे कि कोई तोहफ़ा - तो थोड़े दिन रुक जा। और हाँ हले से करती आ रही है तो - जैसे कि छोटे तोहफे या उसके लिए कुछ ख़ास - वो करना ज़ारी रख।
असुरक्षित
रूपम पुत्तर, शायद तेरा पति असुरक्षित महसूस कर रहा हो - और इस समय केवल तू उसे मदद कर सकती है। क्यूंकि वो ज़यादा प्रभावित समाज कि सोच और दखियानुसी अपेक्षाओं कि वजह से हो रहा है जिसमे पुरुषों से सबसे आके होने का दबाव बना रहता है और कई बार वो अपने-आप को छोटा और नाकाम महसूस करने लगते हैं।
अपने रिश्ते को वापस सही रास्ते लाने के लिए, तुझे अपने पति को इस दखियानुसी समाज कि सोच से बाहर निकलने में मदद करनी पड़ेगी। अगर पैसे कि बात सामनेआती है, तो चुप मत रहना, बात करना और उसको समझाना कि तुम दोनों के रिश्ते के बीच पैसा कोई मायने नहीं रखता।
चल रूपम पुत्तर - एक बार फिर से, लख-लख बढियां जी! बहुत बढ़िया बेटा - खूब मेहनत कर और आगे बढ़।
आपके पास रूपम के लिए क्या सलाह है? अपनी राय यहाँ लिखिए या फेसबुक पर हो रही चर्चा में हिस्सा लीजिये।