ज़यादा गहरे रंग के होने से जैसे ताहिनी कि ज़िन्दगी ज़यादा मुश्किल तो थी ही, लेकिन अब शादी के लिए अच्छा साथी ढूँढ पाना और भी मुश्किल हो गया था। लेकिन रंग के इस भेद-भाव के होते हुए भी, ताहिनी को अपना 'सपनों का राजकुमार' मिल गया जिसको उसके रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता था।
ताहिनी एक 27 वर्षीय सिविल सर्वेंट (जनसेवक) हैं जो लखनऊ में रहती हैं।
मेरे नैन-नक्ष चाहे अच्छे हैं लेकिन मैं गहरे रंग कि हूँ। जब मैं बच्ची थी, मुहे लगता था शायद यह मेरी त्वचा के ऊपर कि परत है जो बिलकुल उसी तरह से गोर होने क्रीम से हट जायेगी जैसे कि विज्ञापनों में दिखाते हैं। लेकिन, किसी भी तरह कि ब्लीचिंग या 'फेयर एंड लवली' लगाने से मेरी त्वचा का रंग हल्का नहीं हुआ।
लेकिन मेरे पास एक चीज़ थी: दिमाग। मैंने पूरी तरह से निश्चित कर रखा था कि मुझे सिविल सर्विस (लोक सेवा कि सरकारी नौकरी) कि परीक्षा पास करनी है। मैं स्वतंत्र और उपहास से परे होना चाहती थी, अगर मुझसे शादी करने के लिए कोई लड़का राज़ी ना होता तो क्यूंकि मैं गहरे रंग कि थी। अब मुझे खुद सोच कर अजीब लगता है कि मैं कैसे सोचती थी - शायद यह आत्म सामान कि कमी थी मुझ में उस समय।
साथी ढूँढना
मेरे माता-पिता ने जल्दी ही मेरे लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था। ये तब था कि मेरे रंग का मुद्दा इतना बड़ा बन गया। कुछ परिवार और लड़को ने शुरुवात में ही प्यार से मना कर दिया मिलकर मुझे देखने के लिए भी क्यूंकि उन्हें पता था कि मैं गोरी नहीं हूँ।
और फिर कुछ ऐसे लड़के मुझे देखने आये, जिनको या तो इसमें रुचि थी कि मैं कैसी दिखती हूँ, या इसमें कि उन्हें इस शादी से क्या मिल सकता है। लेकिन फिर एक ऐसे लड़के का रिश्ता आया जिसने मेरी तस्वीर देखि ही नहीं थी। उसको और उसके परिवार को मेरे रंग के बारे में कुछ नहीं पता था।
'क्लिक'
ये कहना कि मैं नर्वस नहीं थी गलत होगा। अस्वीकृत होना किसी को भी अच्छा नहीं लगता वो भी उस चीज़ को लेकर जिस पर आपका कोई कण्ट्रोल ना हो। मैं अपने माता-पिता को इस चीज़ के लिए मना करना चाहती थी लेकिन मेरे पिता ने मुझे साफ़ शब्दों में ये बता दिया था कि वो मेरी शादी समय से कर देना चाहते हैं।
निराश होते हुए भी, पूरी हिम्मत जूता कर मैं मेहमानों को चाय देने के लिए गयी। वो लड़का बहुत सुन्दर था, गोरा भी और बहुत अच्छा पढ़ा-लिखा। मुझे ऐसा लगा जैसे ये मेरे लिए सही वर था। मतलब मुझे वो बहुत पसंद आया और मुझे लगा कि उसे भी मैं पसंद थी, या शायद ऐसा सिर्फ मुझे ही लग रहा था।
'वो काफी ज़यादा काली है!'
जब वो चले गए, तब उनके जवाब का मैं इंतज़ार कर रही थी। उन्होंने एक हफ्ते के बाद हमें फोन किया और कहा कि वो एक सदा सा समारोह करेंगे जिसमे हम दोनों के रिश्ते कि सोचना बाकि घर-परिवार वालों को देंगे। मैं खुश थी। फिर उस समारोह के दिन मैंने उनके कुछ रिश्तेदारों को यह कहते हुए सुना, "ये एक अच्छा जोड़ा नहीं लगता।" फिर उस दिन के अंत तक यह साफ़ दिख रहा था कि मेरे रंग को लेकर उन्हें बहुत तकलीफ थी।
मैं उस लड़के से कही ज़यादा योग्यता प्राप्त थी लेकिन इससे कुछ फर्क ही नहीं पड़ता। लोग मुझे मेरी त्वचा के रंग को लेकर तौल रहे थे और कमी मुझ में ही निकली जा रही थी।
मेरा राजकुमार
मेरे सपने जैसे टूट गए। शायद मुझे शुरुवात से ही यह बातें ध्यान में रखनी चाहिए थी कि वो लड़का मुझसे कही ज़यादा सुन्दर दिखता था। मैं एक ऐसे घर में नहीं जाना चाहती थी जहाँ मुझे उसके लिए नहीं स्वीकारा जाये जो कि मैं हूँ, जैसी मैं हूँ। मेरे पिता ने मुझे सहयोग दिया और हम उस लड़के से और उसके परिवार से बात करने गए। हमने शादी के लिए मना कर दिया।
लेकिन पता है क्या, वो लड़का वाकई में राजकुमार था। उसने मुझसे कहाँ कि मैं उसे वाकई पसंद आयी थी और जिन लोगों ने मेरे रंग को लेकर ताने कसे थे वो लोग कोई मायने नहीं रखते। उनके कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
अब वो साल एक बुरे सपने कि तरह लगता है। हमारी शादी को चार साल हो गए हैं और हमारा ढेढ़ साल का बच्चा भी है। मुझे बहुत ख़ुशी है कि मैंने अपनी शादी को और रंग को लेकर समझौता नहीं किया और मेरा राजकुमार आखिर मुझे मिल ही गया।
Photo: sjenner13 / Love Matters
(इस चित्र में जो व्यक्ति है वो ताहिनी नहीं है)
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