Mother, wife and a teacher
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एक जान,तीन काम: बीवी, माँ, स्कूल टीचर

द्वारा Ishan Saran अक्टूबर 12, 11:16 पूर्वान्ह
आजकल की महिलाओं ने घर और काम के बीच संतुलन बनाने में महारत हासिल कर ली हैI कैसे इस असंभव से दिखने वाले काम को इन्होंने बाएं हाथ का खेल बना दिया है ? पढ़िए एक आपबीती जो आपके दिल को छू जाएगीI

राशी (परिवर्तित नाम) पटना में रहनी वाली 30 वर्षीय स्कूल टीचर हैंI

शादी होने के बाद के शुरुआती दिन संघर्ष भरे थेI मैं एक मध्यम-वर्गीय परिवार में जन्मी थी और शादी के वक़्त मेरी उम्र केवल 19 साल थीI हमारा चार लोगों का छोटा सा परिवार था और मेरे पिता अपनी बैंक की नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके थेI मैं अभी कॉलेज में ही थी और मुझे लग रहा था कि शादी का मेरी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ सकता हैI टीचर बनना मेरा सपना था और मैं उसी के लिए पढ़ाई कर रही थीI

जब मैंने अपने माता-पिता को यह बात बताई तो उन्होंने यह निर्णय लिया कि मैं अपने पति के साथ रहने जाने से पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर लूँI इस वजह से मेरे पति को भी एक नयी और बेहतर नौकरी ढूंढने के लिए वक़्त मिल जाएगाI मेरी शादी बहुत ही साधारण तरीके से संपन्न हुई थीI शादी के सारे समारोह केवल दो दिनों में ख़त्म हो गए थे लेकिन मैं बहुत खुश थी कि इस खुशी के अवसर पर मुझे मेरे सारे रिश्तेदारों से मिलने का मौक़ा मिला थाI मैं बेहद उत्साहित थी लेकिन साथ ही साथ घबराई हुई भी थीI एक बात ज़रूर थी, कि शादी की धूमधाम की वजह से कुछ समय के लिए मैं पढ़ाई से जुड़ी चिंता भूल गयी थीI

नयी ज़िन्दगी, नयी शुरुआत

शादी के तुरंत बाद मैंने कॉलेज जाना शुरू कर दिया थाI मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अच्छे से अच्छे अंक हासिल करूँगी जिससे मेरे रोज़गार के अवसर और बेहतर हो सकेंI मेरे पति और उनके परिवारजन भी मेरी हर संभव सहायता करते थेI मेरे पति नियमित रूप से मुझे मिलने आते थे और उनके प्यार और देखरेख का ही परिणाम था कि मैं बिलकुल तनावमुक्त रहती थीI मैं भी सप्ताहांत पर उनसे मिलने जाती थी जिससे मैं अपनी जल्द ही शुरू होने वाली ज़िन्दगी को बेहतर तरीके से समझ सकूँI

अभी दो परिवारों के बीच रहने और साथ में पढ़ाई संभालने का संघर्ष चल ही रहा था कि मुझे पता चला कि मैं गर्भवती हूँI एक बार फ़िर मैं एक साथ उत्साह और घबराहट की भावनाओं से सरोबार हो गयी थीI अंतिम परीक्षा से चार महीने पहले मैंने एक खूबसूरत बेटे को जन्म दिया। बच्चे को जन्म देने की खुशी उस समय किसी भी और चीज़ से महत्वपूर्ण प्रतीत हो रही थीI मेरे पति और मेरे दोनों परिवार भी हमारे जीवन में इस नए मेहमान के आने से बेहद खुश थेI

गए अच्छे दिन

जन्म देने के बाद, मैं अभी भी अपने माता पिता के साथ रह रही थी। मेरी माँ ने मेरे बच्चे का ख्याल रखने की जिम्मेदारी मेरे साथ बांटनी शुरू कर दी थीI जब मैं अच्छे नंबरों के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही होती थी तो वो मेरे बच्चे के लंगोट बदल रही होती थीI मैं भी कई बार उसका रोना सुनकर अपनी किताबें रखकर उसे उठा लेती थी और दोबारा तभी किताबें उठाती थी जब तक वो सो ना जायेI कई बार तो मुझे उसे गोद में लेकर ही पढ़ाई करनी पड़ती थीI इससे मैं बहुत थक जाती थी लेकिन मेरे पास और कोई चारा भी नहीं थाI

इस सबके दौरान मैं हमेशा अपनी माँ के प्रति आभारी रहती थी, क्योंकि अगर वो मदद ना करती तो मेरे लिए पढ़ाई पर ध्यान लगाना आसान नहीं होताI मेरे बहुत अच्छे नबर आये थे और अब मैं एक अच्छी नौकरी के लिए तैयार थीI मेरे पति को भी पहले से बेहतर नौकरी मिल चुकी थीI मुझे एक स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक की नौकरी भी मिल गयी थीI हमने पटना के पास एक छोटे से शहर में किराए पर मकान भी ले लिया थाI हमारे जीवन में चीज़ें बहुत जल्दी बदल रही थी और हम एक के बाद एक रोमांचक पलों को महसूस कर रहे थेI

 

हिम्मत नहीं हारी

मेरे पति एक रासायनिक ऊर्जा संयंत्र में कार्यरत थे और उनकी रात की शिफ्ट होती थीI मैं रात भर अकेला महसूस करती थीI नवजात शिशु होने की वजह से मैं रात को ढंग से सो नहीं पाती थी और परिणामस्वरूप मेरी आँखों के नीचे काले धेरे आ गए थेI यह देखकर मेरे पति ने यह निर्णय लिया कि दिन में बच्चे की ज़िम्मेदारी वो संभालेंगेI वो उसे नहलाते-धुलाते थे, उसे खाना खिलाते थे और दिन भर उसके साथ खेलते थेI जब मैं थक कर शाम को घर आती थी तो उन दोनों को साथ में सोता देख मेरे चेहरे पर बरबस ही मुस्कान आ जाती थीI

एक साथ शिक्षक, माँ और बीवी की ज़िम्मेदारी संभालते हुए मैं निश्चित रूप से थक जाती थीI वैसे तो मुझे हर तरफ़ से समर्थन मिल रहा था लेकिन फ़िर भी कई बार ऐसा प्रतीत होता था कि मैं तीन नौकरियां एक साथ कर रही हूँI मेरी स्थिति को देखते हुए, मेरे पति और मेरे ससुराल वालों ने सुझाव दिया कि मैं अपनी नौकरी छोड़ दूं। लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं थीI मुझे पता था कि यह कठिन समय मुझे आगे के लिए मज़बूत ही बनाएगाI

मेहनत रंग लाई

धीरे-धीरे चीज़ें आसान होनी शुरू हो गयीI दो वर्षों के भीतर मुझे एक वरिष्ठ पद पर पदोन्नत कर दिया गया था। आज, मैं एक वरिष्ठ शिक्षक और पटना में एक निजी स्कूल में एक पर्यवेक्षक के रूप में काम करती हूं। मेरे पति की तनख्वाह भी अच्छी है और मेरा बच्चा कब एक खूबसूरत जवान लड़के में तब्दील हो गया, यह पता ही नहीं चलाI

हम सब आज बहुत खुश हैं और एक बेहतर स्थिति में हैं। पीछे मुड़कर देखती हूँ तो दिल से उन सभी का आभार व्यक्त करने का मन करता है जिन्होंने मेरी मदद कीI मैं उन सभी महिलाओं को जो ऐसी ही स्थिति में है, को बताना चाहूंगी कि कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती हैI अगर मैं उस समय परिश्रम और बलिदान नहीं करती तो शायद आज एक सुखी परिवार का हिस्सा नहीं होतीI याद रखिये, जब हालात कड़े हो जाएँ, तो आपको और भी कड़ा होना पड़ेगाI

क्या आपको भी मातृत्व और अपने कैरियर में से एक को चुनने का कठिन फैसला लेना पड़ा था? अपनी कहानी नीचे कमेंट करके हमें बताएं या फेसबुक के ज़रिये हमसे संपर्क करेंI अगर आपके मन में कोई सवाल हों तो हमारे चर्चा मंच का हिस्सा बनेंI

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