आंटी जी कहती हैं... यह कौन लोग हैं बेटा जो तेरी तरफ़ से प्रजनन संबंधी फ़ैसले ले रहें हैं...ज़रा मैं भी तो सुनु!
क्या होता है 'सही उम्र'?
यह बता करिश्मा, कि यह शरीर किसका है? कौन इस बच्चे को बड़ा करेगा? इससे किसकी ज़िंदगी पर सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा? अगर हर सवाल के जवाब में तूने अपना हाथ ऊपर किया है तो मेरी लाडो मम्मी जी कौन हुई फ़िर? बताओ एह वी कोई गल हुई?
बेटा जी , आप एक स्वस्थ जवान लड़की हो जिसे ना तो कोई बीमारी है और ना ही आपके जीवन में चिकित्सा सम्बंधी कोई परेशानी है...है कि नहीं? तो फ़िर किस बात की जल्दी है? देख बेटा यह निर्णय पूरी तरह से तुझ पर निर्भर है। मुझे पता है कि शायद यह बात लोगों को पसंद ना आये लेकिन कुछ फैसले ऐसे होते हैं जिन्हें लेने का हक़ सिर्फ़ एक औरत को ही होता है। यह उन्ही में से एक फैसला है!
क्या तू 45 साल से ऊपर की है जो तुझे बच्चा पैदा करने में मुश्किलें आएंगी? नहीं ना, तो फ़िर सही उम्र क्या है, इस पर क्यों चर्चा करनी है? ऐसा तो नहीं होगा ना कि तू एक दिन सोकर उठेगी और 'सही उम्र' निकल चुकी होगी? पता नहीं 'सही उम्र' के ऊपर इतना बवाल किस बात का है?
सेक्स करने की सही उम्र, शादी की सही उम्र और अब बच्चे पैदा करने की सही उम्र! अरे भाई जब तेरी और तेरे पति की फैक्ट्री सही चल रही है तो घबराना कैसा? मम्मी जी, चाचा जी, पापा जी...थोडा सब्र करो, होने वाली मम्मी जी को तैयार तो होने दो!
किसका शरीर? किसके अधिकार?
अब बात आती है अधिकारों की...किसके अधिकार ज़्यादा मान्य है? अगर यह अधिकार तेरा है कि तू बोल सकती है ,अभी नहीं प्लीज़, तो क्या वो यह नहीं बोल सकता, अभी अभी प्लीज़? बोल राधा बोल! बिलकुल बोल सकता, उसका हक़ बनता है। लेकिन इस बारे में वो सिर्फ़ अपनी इच्छा ज़ाहिर कर सकता है, अपने सुझाव रख सकता है और तुझसे बात कर सकता है, किन्ही भी हालातों में वो तुझे बच्चा पैदा करने के लिए विवश नहीं कर सकता।
असल में अगर तुम दोनों इस बारे में खुल के बात कर सकते हो तो, इससे अच्छा तो कुछ भी नहीं हो सकता। तुम उसे अपनी बात समझाने की कोशिश करो और बताओ इसके पीछे तुम्हारी क्या सोच है, उसके बाद तुम उसकी मदद से बाकी लोगों को भी अपनी बात समझा सकती हो।
यह वैसे तुम दोनों के बीच की बात हैI असल में परिणय सूत्र में बंधने के शुरआती दिन तो जोड़ो को एक दुसरे के करीब आने और एक दुसरे को समझने में बिताने चाहिएI तुम दोनों की कोशिश यही होनी चाहिए कि ना सिर्फ एक दुसरे के साथ बल्कि एक दुसरे के परिवारों के साथ भी तुम्हारे रिश्ते गहरे और ज़िम्मेदार बनेI इससे तुम्हे तब और भी आसानी होगी जब तुम सच में माँ बनने के लिए तैयार होगीI
अच्छी खबर
बेटा करिश्मा, एक काम कर, एक दिन नाश्ते के समय यह एलान कर दे, "मेरे पास आप लोगों के लिए एक खुशखबरी है" और फ़िर लोगों के हाव-भाव देखनाI तेरी सासु माँ सांतवे आसमान पर पहुँच जाएंगी तो चाची मिठाई लाने दौड़ेंगी और तेरे ससुर सारे भगवानों को धन्यवाद दे रहे होंगेI तब एक लाइन जोड़ देना, "मेरा प्रमोशन हो गया है" फ़िर आराम से बैठ कर अफरा-तफरी के मज़े लेनाI
दिक्कत यह है कि एक औरत चाहे कोई भी मुक़ाम हासिल करले; वो एक बड़ी नेता हो सकती है, कोई विख्यात लेखिका या किसी बड़ी कंपनी की प्रमुख बन सकती है, लेकिन जब तक उसके बच्चे न हो जाएं, लोगों की नज़र में वो बेचारी ही रहती हैI मेरा ख्याल है कि अब समय आ गया है कि लोग मातृत्व और स्त्रीत्व में फ़र्क़ समझना शुरू कर देI तुझे क्या लगता है?
वो दिन गए बेटी जब औरत शादी होते ही बच्चे पैदा करने शुरू कर देती थीI अब तो बच्चो का अच्छी तरह से पालन-पोषण करने के लिए पति-पत्नी दोनों को ही तैयार रहना होगाI
लेखिका की गोपनीयता बनाये रखने के लिए हमने पिक्चर में एक मॉडल का इस्तेमाल किया हैI