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गर्भपात: गलत धारणाओं का अंत

गर्भपात एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लगभग हर किसी की एक मजबूत राय होती है, चाहे वो इसका समर्थन करते हों या इसके खिलाफ होंI और इस बारे में प्रचलित धारणाओं के चलते ये जान लेना अच्छा होगा ये धारणाएं गलत हैं या सहीI उसके बाद ही आप अपनी इस बारे में राय बनाएंI

मिथ्या 1 : गर्भपात बाँझपन की वजह बन सकता है

गर्भपात(एक से अधिक भी), आपके आगे की स्वस्थ गर्भावस्था पर कोई बुरा असर नहीं डालेगाI लेकिन किसी भी और चिकित्सा प्रक्रिया की ही तरह गर्भपात की भी अपने खतरे हैंI यदि इस दौरान कोई जटिलता आती है, तो उर्वरता पर बुरा असर पड़ने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकताI लेकिन अगर गर्भपात पहली तिमाही में कर दिया जाये तो यह प्रतिशत केवल 0.05 % ही होता है - इसलिए यह प्रक्रिया सुरक्षित हैI

मिथ्या 2: गर्भपात करने वाली हर महिला को भावनात्मक तकलीफ होती है

यह आवश्यक नहीं हैI जो महिलाएं ये निर्णय सोच समझ कर लेती हैं, उन्हें पछतावा या दुःख होने की कोई वजह नहीं हैI कुछ महिलाओं को थोड़ा दुःख, या अपराधबोध हो सकता हैI गर्भवती होने के जितना बाद गर्भपात होगा, आपको  उतना ज़्यादा बुरा लगने की सम्भावना हैI

मिथ्या 3 : सिर्फ युवा और गैर ज़िम्मेदार महिलाएं गर्भपात कराती हैं

बिलकुल नहीं! पहली बात, ये याद रहे की कोई भी गर्भ निरोधक  सौ फीसदी असरदार नहीं हो सकताI

यदि आप अमरीका में ये संख्याएं देखेंगे तो पाएंगे की हर दो में से एक गर्भ अनचाहा होता हैI 60 फीसदी महिलाएं गर्भपात कराने के बाद फिर से स्वस्थ रूप से माँ बन चुकी हैंI चार में तीन महिलाओं का मानना है की बच्चा होने के साथ दूसरी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करना मुश्किल हो जाता हैI

मिथ्या 4 : बहुत सी महिलाएं गर्भपात को गर्भ नियंत्रण की तरह इस्तेमाल करती हैंI

जी नहीं, ऐसा नहीं हैI आधे से ज़्यादा गर्भपात कराने वाली महिलाओं ने उस माह में किसी न किसी तरह के गर्भ नियंत्रण का उपयोग किया थाI बस दुर्भाग्यवश, कोई भी गर्भ नियंत्रण पूरी तरह विश्वसनीय नहीं होताI

मिथ्या 5: गर्भपात के दौरान भ्रूण में दर्द महसूस होता है

वैज्ञानिकों का मानना है की भ्रूण में आखिरी तिमाही तक दर्द जैसी कोई संवेदना होती ही नहींI भ्रूण के तंत्रिका तंत्र का गर्भावस्था के दौरान इतना विकास नहीं होता की उसमे दर्द जैसी कोई संवेदना होI

मिथ्या 6: गर्भधारण एक नयी ज़िन्दगी की शुरुवात होती है

यह धारणा नहीं है- अपनी अपनी सोच है, क्यूंकि असल में जीवन के शुरू होने के सही पल के बारे  में कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हैI कुछ लोग मानते हैं की जीवन गर्भाधान से शुरू होता है जबकि कुछ लोग  मानते हैं की जीवन शिशु के जन्म लेने के बाद शुरू होता हैI आप इसमें से क्या मानते हैं, यह आपका अपना निर्णय है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर निर्भर करता हैI

तथ्य ये है की भ्रूण केवल गर्भाधान के 24 से 28 हफ़्तों तक ही जीवन सक्षम हैI उसके बाद इसे बच्चादानी की ज़रूरत पड़ती हैI और यह समय गर्भपात की निश्चित समय सीमा से काफी बाहर हैI

मिथ्या 7: गर्भपात घर में आसानी से संभव है

नहींI नहींI बिलकुल नहींI अपने गरमपानी,अरंडी के तेल या विटामिन सी के डोज़ के बारे में जो भी कहानियां सुनी हैं, वो सही नहीं हैंI इनसे आपके शरीर को नुक्सान पहुंचेगा- कोशिश भी न करेंI गर्भपात करने का सही तरीका केवल शल्य चिकित्सा ही है और सभी मापदंडों के बारे में पहले डॉक्टर से सलाह करना ज़रूरी हैI

मिथ्या 8: यदि गर्भपात को गैर कानूनी बना दिया जाये तो महिलाएं गर्भपात कराना बंद कर देंगी

सही नहीं हैI लेकिन, यदि गर्भपात को गैर क़ानूनी घोषित कर दिया जाये तो काला बाज़ारी से छुप कर ऐसा करवाने से इस से जुड़े खतरे बढ़ जायेंगे.

 

यह लेख पहली बार 13 जून 2014 को प्रकाशित हुआ था।

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