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बाल विवाह : पांच मुख्य तथ्य

2011 में की गयी जनगणना के अनुसार भारत में 1 करोड़ 20 लाख बच्चों की शादी उनके दसवें जन्मदिन से पहले हो गयी थी। इन 'नवविवाहितों' में 65 प्रतिशत संख्या लड़कियों की थी।
  1. बाल विवाह से कम उम्र की लडकियां सबसे अधिक प्रभावित होती हैंI

    गर्ल्स नॉट ब्राइड्स के अनुसार विश्वभर में डेढ़ करोड़ लड़कियों की शादी उनके नाबालिग होने से पहले कर दी जाती है। गर्ल्स नॉट ब्राइड्स 400 से ज़्यादा नागरिक समाज संगठनों के बीच की एक साझेदारी है जो भारत और विश्वभर में बाल विवाह को खत्म करने की दिशा में कार्यरत है।
    इसका मतलब यह हुआ कि रोज़ लगभग 41000 लड़कियों को शादी के बंधन में बाँध दिया जाता है, या यूँ कहें कि हर दो सेकंड में एक नाबालिग लड़की की शादी करवा दी जाती है।
    इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि कम उम्र के लड़के इससे अछूते हैं। यूनिसेफ़ के द्वारा की गयी गणना को मानें तो 18 प्रतिशत बाल विवाह ऐसे होते हैं जिनमें लड़को की उम्र 18 से कम होती है।
     
  2. नाबालिग बहुओं की संख्या, भारत में सर्वाधिक है

    विश्व में होने वाले सभी बाल विवाहों में से एक तिहाई भारत में होते हैं। 2014 में यूनिसेफ़ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में 700 करोड़ से ज़्यादा लड़कियों के बाल विवाह हुए थे और उनमें से एक तिहाई लडकियां, 250 करोड़ भारतीय थी।

    भारत में 47 प्रतिशत लड़कियों की शादी उनके 18वें जन्मदिन से पहले करवा दी जाती है। वैसे तो हर राज्य में यह औसत भिन्न रहती है लेकिन बिहार और राजस्थान में यह सबसे ज़्यादा है, बिहार में 69 और राजस्थान में 65 प्रतिशत।
     
  3. बाल विवाह से माँ और बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है

    एक और रिपोर्ट के अनुसार जिन लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हुई थी, उनमें से 22 प्रतिशत ने बच्चों को जन्म देना भी शुरू कर दिया हैI एक और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि विकासशील देशों में किशोरावस्था में गर्भ धारण करने वाली लड़कियों में से 90 प्रतिशत लडकियां शादीशुदा थी।

    विश्व स्वास्थ्य संस्थान यह भी कहता है की 15 से 19 साल की लड़कियों की मत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के दौरान उत्पन्न हुई जटिलताएं होता है।
    भारत में इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वोमेन के द्वारा किये गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि इस बात की संभावना अधिक है कि परिपक्व होने के बाद शादी करने वाली महिलाओं की तुलना में घरेलु हिंसा का प्रकोप उन लड़कियों को ज़्यादा झेलना पड़ सकता है जिन की शादी उनके बचपन में ही करवा दी जाती है। रिसर्च के दौरान यह तथ्य सामने आये कि घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज करवाने वाली सभी महिलाओं में उनकी संख्या दुगनी निकली जिनकी शादी 18 साल से पहली ही हो गयी थीI
     
  4. बाल विवाह और गरीबी में गहरा संबंध है

    कई देशों में उनके गरीब तबको में होने वाले बाल विवाहों की संख्या, अमीर और संपन्न तबको में होने वाले बाल विवाहों से पांच गुना अधिक होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि कम उम्र में शादी होने वाली अधिकाँश लड़कियां गरीब परिवारों से आती हैं और संभावना यही है कि शादी के बाद भी उनकी माली हालत में कुछ ख़ास बदलाव नहीं होता।

    बाल विवाह से लड़कियों की शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ता हैI जिन लड़कियों की शादी होने वाली होती है उन्हें स्कूल नहीं भेजा जाता या शादी के बाद ज़बर्दस्ती निकाल दिया जाता है।
     
  5. बाल विवाह ना तो अनिवार्य है और ना ही यह ऐसा है कि इसे जड़ से नहीं निकाला जा सकता होI आप अपना सहयोग इस तरह से दे सकते हैं

    बाल विवाह के उन्मूलन के लिए समाज के सभी स्तरों में एकीकृत प्रयास की आवश्यकता है जिससे उन असंख्य सांस्कृतिक स्थितियों का सामना करने के लिए एक तकनीक, एक प्रणाली का गठन किया जा सके जिनकी वजह से बाल विवाह की हमारे समाज में मौजूदगी को बल मिलता है।

    गर्ल्स नॉट ब्राइड्स ने परिवर्तन का एक सिद्धांत (थ्योरी ऑफ़ चेंज) विकसित किया है जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि इससे लड़ने के लिए हमें किस तरह के दृष्टिकोण की ज़रुरत है। उनके अनुसार जिन चार श्रेणियों में सबसे ज़्यादा और सबसे मज़बूत प्रयासों की आवश्यकता है वे निम्नलिखित हैं :
    क) नाबालिग लड़कियों को सशक्त बनाना
    ख) परिवारों और समुदायों को संगठित करना
    ग) सेवाएं मुहैया करवाना
    घ) क़ानून और नीतियों को स्थापित कर उन्हें लागू करना

    बाल विवाह के खिलाफ मुहिम में यह चारों श्रेणियां अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। अगर आप अपना योगदान देना चाहते हैं तो निम्नलिखित वेबसाइटों से संपर्क कर सकते हैं:

    http://www.girlsnotbrides.org/how-can-we-end-child-marriage/#empowering-girls
    http://www.care.org/get-involved

क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसका बाल विवाह हुआ था? अगर जवाब हाँ है तो अपने विचार नीचे टिप्पणी करके या फेसबुक के ज़रिये हम तक ज़रूर पहुंचाएं। अगर आपके मन में कोई निजी सवाल हो तो हमारे चर्चा मंच का हिस्सा बनें।