आंटी कहती हैं...हम्म..तो ये समस्या तेरे सामने भी आ गयी बेटा। ये एक जटिल लेकिन आम समस्या है- पोर्न! इस समस्या के बारे में खुलकर बात करने के लिए शुक्रिया आरती बेटा।
तो बेटा..तुझे असल में क्या बुरा लगा? ये कि तूने उसे पोर्न देखते हुए देख लिया? इसका मतलब है कि यूझे लगा कि वो कोई ऐसा काम कर रहा था जो उसे नहीं करना चाहिए। कुछ गैरकानूनी? गलत? आओ इस मुद्दे को समझते हैं।
पोर्न कि भूमिका
पोर्न आखिर है क्या और इसकी क्या भूमिका है? चिकित्सीय रूप से ये उत्तेजक सामग्री है जो किसी को शारीरिक रूप से उत्तेजित कर सकती है। चाहे फ़िल्म के रूप में, या कहानी या फिर कविता भी। लेकिन आमतौर पर जो लोग देखते हैं वो बिना सेंसर का सेक्स विडियो होता है।
अक्सर इन् विडियो में हम वो देखते हैं जिसकी कल्पना रोज़ के जीवन में हम नहीं करते। इसमें से कई चीज़ें झकझोर देने वाली भी होती हैं। पोर्न कि व्याख्यान करने के लिए गन्दा, अपराधजनक,भौंडा और अश्लील जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है। और ये औरतों के लिए भी अपमानजनक मन जाता है।
ये इसे देखने का निश्चित ही एक तरीका है। वहीँ पोर्न का दूसरा नजरिया है उत्साहपूर्ण, शरारती सेक्सी और लिबरल। पोर्न सेक्स के बारे में जानकारी भी दे सकता है और मन कि दुविधाओं का अंत कर सकता है। लेकिन ध्यान रहे, ये सेक्स कि इनसाइक्लोपीडिया या गाइड नहीं है। और ये सेक्स ज्ञान बढ़ने का सही तरीका बिलकुल नहीं है।
सचमुच नकली
एक बात तो तय है। पोर्न सामग्री अक्सर सचाई से परे होती है। 'ब्लू फिल्मो' में दिखने वाली चीज़ें असल में होती तो एक्टिंग ही है बेटा। इनमे से कुछ एक्टर तो जाने-माने भी होते हैं। और असल समस्या यही है कि अक्सर इस सबका वास्तविक जूवन से ज़यादा लेना देना नहीं होता।
जो लोग पोर्न देखते हैं, जिनमे में से अधिकतर पुरुष होते हैं, इस से प्रभावित होने लगते हैं और इस सब को गम्भीरता से लेने लगते हैं। ये भी बता दूँ बेटा कि लड़किया भी पोर्न देखती हैं।
देखते देखते उन्हें आप्से सेक्स जीवन से भी इसी तर्क कि अपेक्षाएं होने लगती हैं। अचानक उनकी चाह भी होने लगती है कि उनकी गर्लफ्रेंड या बीवी भी उस फ़िल्म कि मॉडल जैसी हो और उनके लिंग का आकर भी उस पुरुष मॉडल जितना हो। वो ये भी इच्छा रखने लगते हैं कि उनका असल सेक्स भी फ़िल्म जितना लम्बा चले।
लेकिन बेटा ऐसा हो तो नहीं सकता सिर्फ चाहने भर से। एशियाई के बाल सुनहरे नहीं हो सकते और न ही औसत लिंग का आकार ईटा अधिक हो सकता है। पोर्न विडियो सिर्फ फ़िल्म है। वो असली कैसे हो सकती हैं?
असुरक्षा का एहसास
और आरती बेटे, असल में तुझे बुरा लग किस बात का रहा है? तूने कहा तुझे बुरा लगा- क्यूँ भाई? क्या तुझे लगा कि वो इन विडियो के सेक्स कि तुलना अपने असल के सेक्स जीवन से कर रहा है? या तुझे लगा कि तू उन् मॉडल्स जितनी सेक्सी नहीं है? या फिर ये कि तुझे लगता है कि उसे तुम दोनों के सेक्स से ज़यादा अच्छा ये विडियो देखना लगता है?
ये सभी असुरक्षा कि भावनाएं बहुत आम हैं।
व्यक्तिगत कारण
हो सकता है कि उसके तुम्हारे साथ पोर्न देखने कि पेशकश के पीछे तुम दोनों कि सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने का मकसद हो। शायद वो सोचता हो कि ऐसा करने से तुम दोनों के बीच कोई शर्म या हिचकिचाहट नहीं रहेगी।
तुम्हारा उसके साथ पोर्न देखना कोई मजबूरी नहीं है, लेकिन उसकी पेशकश से नाराज़ होने कि ज़रूरत भी नहीं है। अगर वो ये सोच रहा है कि पोर्न देखकर तुम भी वो सब करोगी जैसा उन् फिल्मो में होता है, तो उसे ग़लतफ़हमी है।
इसको एक मौका दो...
अगर तू चाहे बेटा, तो एक बार इसके बारे में सोच। कुछ मिनट के लिए विडियो देख ले, बिना उसके, अकेले में। अगर तुझे बहुत ख़राब लगे तो बंद कार्ड। लेकिन तुझे ज़रा भी अच्छा लगे तो अपने पार्टनर के साथ देखले। तेरी आंटी पोर्न फिल्मो का कोई शौक नहीं रखती इसलिए मैं तुझे नहीं बता सकती कि क्या देखना चाहिए। लेकिन इंटरनेट से पता किया जा सकता है। कुछ ऐसा, जो तेरे लिहाज से उपयुक्त हो।
अपने साथी के साथ अगर सेक्स जीवन बेहतर हो सके तो मेरे ख्याल से ट्राई करना गलत नहीं होगा, लेकिन अगर तुझे कोई चीज़ पसंद नहीं तो खुल के न बोलना भी उतना ही ज़रूरी है। अलग लोगों को अलग-अलग चीज़ें सेक्सी लगती हैं। तू अपनी पसंद खोजने कि कोशिश कर बेटा। अपने साथी के बारे में इन् बातों को लेकर राय मत बना।
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