मुझे नहीं लगता की मैं यह कोशिश करना चाहती हूँ, क्युकी मुझे नहीं लगता की यह सब मुमकिन है, है क्या? मेरी मदद कीजिये ,मैं नहीं चाहती कि हमारा प्यार भरा रिश्ता सेक्स की क़ुरबानी चढ़ जाए! सोनू (24), सिकंदराबाद
आंटी जी कहती है...ये मेरी सोनू पुत्तर , कितनी कमाल की बात कह गयी तू आखिर..."सेक्स के चक्कर में प्यार खोना।" क्या यह दोनों एक दुसरे के पूरक है या फिर एक दूसरे से बिलकुल अलग ? चल आ, इस बारे में थोड़ी बात करे...
वैसे बेटा जी, उसके पक्ष में, मैं एक बात कहना चाहती हूँ। उसने सिर्फ एक सुझाव रखा है ना, वो तुझे मज़बूर तो नहीं कर रहा...है ना? वो सिर्फ कह रहा है की "चलो इसे आज़मा कर देखते है।" वो ऐसा बिलकुल नहीं कह रहा है कि "नहीं तुम्हे करना ही होगा "है की नहीं? हालाँकि वो इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ है कि इस के बारे में तू क्या सोचती हो। क्या वो जानता है कि तू कितनी दुविधा और परेशानी की स्थिति में है ? अगर हाँ तो शायद उसे थोड़ा पीछे हट जाना चाहिए, क्यूँ ?
सबके लिए नहीं
देख, यह बात एक आधारभूत सवाल खड़ा करती है: कि ब्लू फ़िल्म या अशलील फिल्मो से क्या उद्देश्य हासिल होता है? एक बात तो पक्की है, कि अशलीलता किसी लेबल के साथ नहीं आती, इससे हमें नयी जानकारी और सुझाव ज़रूर मिलते है लेकिन उनमे से कई बकवास और झूठ भी होते है। तो यह बात साफ़ है कि अशलील फिल्मो का यही एकमात्र उद्देश्य नहीं है।
इस बात में कोई दो राय नहीं की यह सब मज़ेदार, रोमांचकारी और कामोत्तेजक लगता है, और इससे बढ़िया कोई बात नहीं अगर इसका इस्तेमाल आपकी शर्म हटाने और सम्भोग को और मसालेदार बनाए के लिया किया जाये...मैं इससे पूरी तरह सहमत हूँ। लेकिन, सबकी अपनी निजी राय होती है और ज़रूरी नहीं सबको इसमें रूचि हो। यह एक व्यक्तिगत सोच की बात है और सभी लोगो को यह पसंद आये, ऐसा बिलकुल ज़रूरी नहीं पुत्तरI
एक और बात, अधिकतर पोर्न फिल्मो में महिलाओ को बहुत ही अपमानजनक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, यही कारण है की ज़्यादातर औरतें इसे अपनी पसंद के अनुरूप नहीं पाती है। हालाँकि ऐसी फिल्में भी बनती हैं जो की महिलाओ को अच्छी लग सकती है।
नक़ल का सवाल
अब तेरे सवाल पर आते है कि क्या इसकी नक़ल करना मुमकिन है? क्या हम वो सब कर सकते है जैसा इसमें दिखाया जाता है? यह हाँ भी है और नहीं भी...देख पुत्तर, आखिरकार यह है तो फ़िल्म ही। ऐसा तो नहीं है कि अपनी असल ज़िंदगी में आप पेड़ो के इर्द गिर्द घूमते हुए गाने गाते हो, चलती हुई रेलगाड़ी से छलांग लगा देते हो, किसी दीवार से टकरा के वापस खड़े हो जाते हो या फिर किसी चलती हुई पानी की नौका पर कूद जाते होI तू जानती है की असल ज़िन्दगी में ऐसा कुछ नहीं होता - होता है क्या?
नहीं बेटा जी, ऐसा नहीं होता। यह सिर्फ फिल्मो में होता है। और यही बात अशलील फ़िल्मो पर भी लागू होती है।
इनमे अगर कुछ असली होता है तो वो यह कि जो भी आप पर्दे पर देखते है वो असली लोगो द्वारा किया जा रहा होता है। इस बात की भी संभावना है कि इनमे दिखाई गयी कई बाते फिल्मांकन और सम्पादन के द्वारा ही मुमकिन होती है, चिपकाना और लगाना समझती है ना तू? और मेरी जान वो असल ज़िंदगी में तो हो नहीं सकता।
और हाँ, एक और बात, वो भारी-भरकम ,सुडौल वक्ष और भीमकाय तने हुए शिष्न जो पर्दे पर दिखते है, ज़रूरी नहीं कि 'वास्तविक' हो। ऐसी फिल्मो में काम करने वाले अधिकतर लोग इसके लिए शल्य चिकित्सा का सहारा लेते है। तो तुझे उनके गुप्तांग देख कर खुद अपने शरीर को लेकर संकोची होने की ज़रुरत कतई नहीं है।
दोनों के लिए अच्छा
सोनू, हो सकता है कि तेरा बॉयफ्रेंड यह कहना चाहता हो या उसे यह लगता हो कि तुम दोनों के बीच में सेक्स थोडा उबाऊ और घिसा-पिटा हो रहा हो। अगर ऐसा है तो यकीनन तुम दोनों थोड़ा बदलाव करने के बारे में सोच सकते हो। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि तुम दोनों - ध्यान रहे दोनों कहा है मैंने - एक दूसरे से बात करो, विचार-विमर्श करो और फिर किसी निर्णय पर पहुचो।
ऐसी कई किताबे और वेबसाइट्स है जहां बेहतर सेक्स के लिए नयी मुद्राओ का वर्णन किया गया है। देखो उनके बारे में तुम दोनों क्या सोचते हो, और उनको आजमाओ। जैसा कि मैंने हमेशा कहा है, सेक्स कोई क्रिया नहीं है जिसे सूर्यास्त होने के बाद, खाने के बात, बत्तियाँ बुझाकर चुपचाप अपने शयनकक्ष में किया जाये। देखा जाये तो यह इसके बिलकुल विपरीत है। सेक्स की क्रिया को जितना बदला जाये उतना अच्छा है। तो तुम दोनों कोशिश करो कि अलग समय हो, अलग कमरा हो, अलग मुद्राएं हो। और तो और तुम दोनों पूर्व लैंगिक क्रियाओ में भी फेरबदल कर सकते हो। सेक्स के दौरान हो रही गतिविधिया भी बदली जा सकती है, तुम नए-नए रूप भी धारण कर सकते है। मतलब यह कि ऐसा कुछ भी जो इस क्रिया को और रोमांचक बनाये ।
यह जानने की कोशिश करो की तुम्हारे साथी को क्या कमी लग रही है। पता चलने पर दोनों उस पर काम करो। मेरी पुत्तर, यहाँ मैं तुझे यह ज़रूर बता दू कि अगर वो भी कमर कस ले और तुम दोनों बराबर के भागीदार बन सको तो यह दोनों के लिए शानदार बात होगी।
प्यार और सेक्स
रही बात ज़िद करने की,तो सोनू कई बार एक लड़की को यह फैसला करना पड़ता है कि वो कितना अपने आप को बदल सकती है और किस हद तक "समझौता" कर सकती है। आपके साथी की कई आदतें आपको चिड़चिड़ा बनाएंगी, जैसे गुसलखाने के पर्दे से पानी का टपकना। लेकिन यह बात कुछ अलग है। यहाँ सवाल आपके शरीर का है और इस बात का है कि आप क्या सही समझती है। इस बात का ध्यान रखना सोनू कि यह रिश्ते को स्वर्ग भी बना सकता है और नर्क भी।
और जो बात तूने प्यार और सेक्स के बारे में कही थी उसका काफी गहरा ताल्लुक है। आप जिसे प्यार करते है और उससे आंतरिक होते है, उस व्यक्ति के साथ किया गया सेक्स आपको उसके बारे में कई बाते बतलाता है, ऐसी भी जो आपको पता नहीं होती। जैसे कि वो प्रेमी जिसने अपनी गर्लफ्रेंड से ऐसी ऐसी कामुक क्रियाओ की मांग करी की वो अचंभित रह गयी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके प्रेमी को उनके बारे में जानकारी होगी। हमारी समझ से बिलकुल अलग व्यक्ति।
क्या कोई ये संभाल सकता है? जब सूरज ऊपर चढ़ जाए या बत्तियां जली हो, सोच के देखिये !
अब एक आखिरी बात अगर तुम एक दुसरे से बेइंतेहा प्यार करते हो तो संकोच छोड़ो, फायदे में रहोगे। पर यह भी ध्यान रहे कि यह तुम्हारा शरीर है तो इस बात का फैसला भी तुम्हे करना है कि क्या सही और क्या गलत...अब इस बात से कोई तुम्हे प्यार करना थोड़ी बंद कर देगा, क्यूँ?