निषेचन
डिंब उत्पन्न करने के समय - पांच दिनों पूर्व और एक दिन बाद तक, यदि आप किसी पुरुष से संभोग करती हैं तो गर्भवती हो सकती हैं। जब पुरुष योनि के अंदर वीर्यपात करते हैं तो शुक्राणु योनि के अंदर तैरते हुए गर्भग्रीवा (सर्विक्स) से होते हुए गर्भाशय के रास्ते, डिंबवाही नलिका तक पहुंचते हैं।
शुक्राणु को यह दूरी तय करने में लगभग 10 घंटे लगते हैं। यदि किसी डिंबवाही नलिका में कोई डिंब इंतज़ार कर रहा है तो यह छोटा सा शुक्राणु उसमें घुसने का प्रयास करता है। यदि किसी डिंब में एक शुक्राणु प्रवेश कर जाता है तो यह निशेचित हो जाता है। उसके बाद निषेचित डिंब, डिंबवाही नलिका से होते हुए गर्भाशय में पहुंच जाता है।
पहला सप्ताह
निषेचित डिंब कोशिका विभाजित होना शुरू हो जाती है- इस अवस्था में इसे युग्मनज (ज़ाइगोट) कहते हैं। कुछ दिनों विभाजन के बाद यह कोशिकाओं की एक गेंद बन जाता है जिसे मोरुला कहते हैं। इसे देख पाने के लिए आप की दृष्टी बहुत ही अच्छी होना चाहिए या सूक्ष्मदर्शी होना चाहिए।
कोशिकाओं की इस गोली के बीच में एक छिद्र बन जाता है जिसमें तरल भरा होता है, इस अवस्था में इसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं। पहले कुछ देर यह गर्भाषय की दीवारों के चारो ओर तैरती रहती है। इस अवस्था में भी यह आपके मासिक धर्म के साथ गर्भाशय से बाहर निकल सकती है और आपको पता भी नहीं चलेगा कि कुछ हुआ था। लेकिन उसके बाद महत्वपूर्ण क्षण आता हैः यदि गर्भाशय ब्लास्टोसिस्ट को स्वीकार कर लेता है, और यह उसकी परत में घर बना लेता है तो आप गर्भवती हो गई हैं।
इसके बाद भी आपके गर्भधारण के शुरुआती दिनों कई प्रकार की गड़बडि़यां आ सकती हैं। आपको मासिक धर्म कुछ दिन बाद आ सकते हैं, इसके अलावा कुछ नहीं पता चलेगा जब कि वास्तव में आप मां बनने वाली ही थीं। यदि ऐसा आपके गर्भवती होने का पता चलने के बाद होता है तो इसे केवल गर्भस्राव (मिसकैरिज) कह दिया जाता है।
दूसरा सप्ताह
अब समुचित गर्भधारण हो चुका है। ब्लास्टोसिस्ट के अंदर विभिन्न कोशिका समूह विकसित होते हैं, जिनसे आगे चलकर बच्चे के विभिन्न अंग बनेंगे। आंतरिक कोशिकाएं विकसित होकर बच्चे के फेफड़े, पेट और आंतें बनती हैं, बीच की सतह मांसपेशियां और हड्डियां बनती हैं और बाहरी सतह नसें एवं त्वचा बनती है।
इस अवस्था में ब्लास्टोसिस्ट का दूसरा नया नाम पड़ता है। अब इसे भ्रूण (एम्ब्रीयो) कहते हैं। दूसरा सप्ताह का अंत आपके मासिक धर्म के लगभग 28 दिनों पर होता है- अर्थात् जब आपका मासिक धर्म आने वाला होता है। और इस अवस्था में आप गर्भवती होना चाहती हैं या नहीं, उसके अुनसार आप परेशान या चिंतित अथवा आशान्वित और रोमांचित होने लगती हैं। क्योंकि आपके मासिक धर्म आने में देरी हो गई है।
आपके मासिक धर्म आने के कुछ दिनों पहले से, गर्भधारण हार्मोन आपकी पेशाब में आने लगते हैं। अतः जैसे ही आपके मासिक धर्म आने में देरी होती है, आप गर्भधारण जांच कर सकती हैं।
तीसरा सप्ताह
कोशिकाओं के बंडल में शरीर के विभिन्न अंग विकसित होने के आरंभिक लक्षण नज़र आने लगते हैं- मस्तिष्क (दिमाग) और हृदय (दिल) बड़े होने लगते हैं।
चौथा से आठवां सप्ताह
दिल घड़कने लगता है और बाहें, पैर, आंखें और कान आकार लेने लगते हैं। निप्पल नज़र आने लगते हैं और गुर्दे, पेशाब बनाने लगते हैं। भ्रूण हिलना शुरू कर देता है। आठवें सप्ताह के अंत तक, भ्रूण छोटे से एक अंगूर के दाने के बराबर हो जाता है- लगभग 13 मि.मी का। एक बार फिर इसके नाम बदलने का समय आ जाता हैः भ्रूण को अब गर्भ (फीटस) कहा जाता है।
नवां से बारहवां सप्ताह
भ्रूण अब विकसित होकर मानव आकार ले लेता है। इसकी बाहें और पैर ठीक से बन जाते हैं और यह अपने हाथ की मुट्ठी बांध सकता है। इतना ही नहीं, भ्रूण आवाज भी निकाल सकता है- हालांकि अभी भी यह आपके अंगूठे से बड़ा नहीं होता है।
बारहवें सप्ताह के अंत को पहली तिमाही कहते हैं, गर्भधारण का एक-तिहाई भाग। गर्भस्राव की संभावना पहले बारह सप्ताहों में ही अधिक होती है, इसलिए महिलाएं कभी-कभार इस समय अपने परिचितों को अपने गर्भवती होने के बारे में बताने के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करती हैं। कुछ देशों में जहां गर्भपात की अनुमति है, इस समय के बाद गर्भपात नहीं करा सकतीं हैं, अथवा किन्ही खास परिस्थितियों में ही यह हो सकता है।
तेरहवां से उन्नीसवां सप्ताह
भ्रूण चारों ओर हिलना-डुलना शुरू कर देता है और अपने मुख से चूसने जैसी हरकत करने लगता है। 19वें सप्ताह तक भ्रूण सोने-जागने लगता है, और वह सुन सकता है। यह लगभग 12-15 से.मी. लंबा होता है, जो आपकी हथेली के बराबर होता है।
बीसवां से चैबीसवां सप्ताह
आपके अंदर तितलियां उड़ती हैं, या बुलबुले निकलते हैं- अधिकांश महिलाएं अपने अंदर पहली बार भ्रूण की हरकत को कुछ इसी तरह बयान करती हैं। अक्सर ऐसा गर्भधारण की इसी अवधि के आस-पास होता है। हालांकि पहले बच्चे के समय आप 25 सप्ताह तक ऐसा महसूस नहीं भी कर सकती हैं- और दूसरे बच्चे के समय ऐसा 16वें सप्ताह में भी हो सकता है।
चारों ओर तैरने के साथ-साथ अब भ्रूण के भौंहे और पलकें, तथा हाथ एवं पैरों के नाखून निकलने लगते हैं। स्वाद और स्पर्श (छूने की) संवेदना विकसित होती है और आंखें भी ठीक से बन चुकी होती हैं। 24 सप्ताह के बाद जन्मा बच्चा, यदि बहुत अधिक चिकित्सीय देख-भाल की जाए तो जीवित बच सकता है।
पचीसवां से अठाइसवां सप्ताह
दिमाग तेज़ी से विकसित होता है और 28वें सप्ताह तक फेफड़े पूरी तरह विकसित हो जाते हैं, अतः यदि इस समय बच्चा जन्म लेता है तो इसके जीवित बचे रहने की संभावना काफी अधिक होती है। 28वां सप्ताह दूसरी तिमाही, गर्भधारण के बीच के एक-तिहाई भाग का अंत होता है।
उनतीसवां से चालीसवां सप्ताह
गर्भधारण के इस अंतिम चरण, तीसरी तिमाही में भ्रूण तेज़ी से बढ़ता है, और गर्भाशयसे बाहर आकर जीवन के लिए तैयार होने के लिए इसका वज़न बढ़ जाता है। यह गर्भाषय के अंदर एम्नीयोटिक तरल में ‘सांस लेने’ लगता है।
अब भ्रूण को गर्भाशय में हिलने-डुलने के लिए अधिक जगह नहीं बचती, लेकिन यह कुछ तगड़े लात मार सकता है और आप इसे बाहर से हिलता हुआ देख सकते हैं। 36वें सप्ताह के लगभग, यदि सब कुछ ठीक रहा हो, तो यह घूमकर अपना सर नीचे की ओर कर लेता है तथा जन्म के लिए तैयार हो जाता है।
खुशी का क्षण
अक्सर लोग कहते हैं कि गर्भावस्था नौ महीने की होती है। और अपने पिछले मासिक धर्म की पहली तारीख के आधार पर आपको प्रसव की संभावित तारीख बताई जाती है, कि आपका बच्चा कब पैदा होने वाला है। लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश प्रसव लगभग 37 से 42 सप्ताह में हो जाते हैं। इसलिए इस अवधि के भीतर हुए प्रसव को आप ‘जल्दी’ या ‘देरी से’ हुआ प्रसव नहीं कह सकते हैं।
किसी प्रकार, लगभग 40वें सप्ताह के आस-पास कभी भी वह खुशी वाला क्षण आता है। जाइगोट, मोरुला, ब्लास्टोसिस्ट और एम्ब्रीयो रहने के बाद फीटस का गर्भावस्था का अंतिम नाम परिवर्तन होता हैः अब यह बच्चा कहलाता है। इसके बाद उसका नाम रखना आप पर निर्भर होता है