"मुझे लगभग भरोसा हो गया था कि मेरी योनि नहीं है", जैस्मीन बताती हैं। सेक्स करने के बारे में सोचकर ही मुझे कुछ अजीब सा लगने लगता था: आखिर कोई चीज़ कैसे मेरे शरीर में बिना चोट पहुंचाए प्रविष्ट कर सकती है? उनके मन के इस विचार ने उन्हें इस बारे में भयभीत कर रखा था लेकिन इसी भय ने उन्हें सच को जानने का कौतुहल भी दिया।
"मुझे खुद के बारे में गन्दा महसूस हो रहा है," आत्रेयी कहती हैं। "मुझे ये सोच कर बहुत आश्चर्य हुआ कि सारी दुनिया को छोड़ कर मेरे दिमाग में मेरे अपने अंकल के बारे में सेक्स के ख्याल आ रहे हैं।" इस बात के अपराध बोध ने आत्रेयी का पीछा नहीं छोड़ा, जब तक उसने इस बारे में खुल के बात नहीं करी।
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