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हेपिटाइटिस-बी

हेपिटाइटिस-बी, लिवर का एक ऐसा संक्रामक रोग है, जो हेपिटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के संक्रमण के कारण होता है।

अधिकांश  व्यक्तियों का शरीर बिना किसी इलाज के हेपिटाइटिस-बी के संक्रमण से लड़ सकता है। लेकिन जो लोग वायरस से नहीं निपट पाते हैं उन्हें पूरे जीवन भर के लिए संक्रमण (क्रोनिक हेपिटाइटिस-बी) हो जाता है। इन लोगों का लिवर हमेशा के लिए खराब हो सकता है और यहां तक कि उनकी मृत्यु भी हो सकती है।

क्रोनिक हेपिटाइटिस-बी संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। पूरे विश्व में लगभग 35 करोड़ लोग इस रोग से पीडि़त है

हेपिटाइटिस-बी कैसे होता है?

किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित मुख, योनि या गुदा मैथुन करने से हेपिटाइटिस-बी हो सकता है।

हेपिटाइटिस-बी होने के दूसरे कारण हैं:

  • संक्रमित सूइयों का प्रयोग करना
  • किसी संक्रमित व्यक्ति के रेज़र या टूथब्रष का प्रयोग करना
  • शरीर के अंग में छेद करने, एक्यूपंक्चर करने या गोदने (टैटू बनाने) के लिए जीवाणुरहित किए बिना औजारों का प्रयोग करना
  • संक्रमित खून चढ़ाने से
  • प्रसव के दौरान संक्रमित माँ से उसके बच्चे को

इन कुछ बातों से आपको हेपिटाइटिस-बी होने की संभावना बढ़ जाती हैः

  • नशे की सूई लगाने से
  • डायलिसिस का मरीज होने से
  • किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहने से जिसे क्रोनिक हेपिटाइटिस-बी संक्रमण है
  • अपने काम-काज के दौरान खून के संपर्क में आने से

हेपिटाइटिस-बी से कैसे बच सकते हैं?

1. टीका लगवाएं।
एचबीवी संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका टीके लगवाना है। टीके का पूरा लाभ लेने के लिए आपको तीन से छः महीने के अंतर पर तीन टीके लगवाने होते हैं।

2. जीवाणुरहित सूइयों का प्रयोग करें।
जब भी आप खून चढ़वाते हैं, यह सुनिष्चित कर लें कि आपको जीवाणुरहित सूइयां लगाई जा रही हैं। यही बात दवा या नशे की सूई के प्रयोग पर भी लागू होती है- यह सुनिश्चित कर लें कि आप हर बार नई जीवाणुरहित सूई का प्रयोग करते हैं, और सूइयों का किसी के साथ आदान-प्रदान नहीं करते हैं।

3. हमेशा कंडोम का प्रयोग करें।

हेपिटाइटिस-बी संक्रमण के लक्षण

जो व्यक्ति हेपिटाइटिस-बी से संक्रमित होते हैं उनमें से अधिकांष में संक्रमण के लक्षण नज़र आते हैं। बहुत कम (30 प्रतिशत) वयस्कों में कोई लक्षण नज़र नहीं आते किंतु फिर भी वे वायरस से संक्रमित होते हैं।

आम तौर पर संक्रमित होने के छह हफ्तों से छह महीने के भीतर हेपिटाइटिस-बी संक्रमण के लक्षण नज़र आने लगते हैं। और ये लक्षण पुरुषों और महिलाओं में एक जैसे होते हैं। इसकी शुरुआत फ्लू जैसे लक्षणों से होती है, साथ ही बुखार और थकान भी होती है। कुछ लोगों को भूख न लगने और वजन घटने के साथ-साथ मितली, उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं।

हेपिटाइटिस-बी संक्रमण के दूसरे लक्षण हैं:

  • पेट दर्द
  • गहरे रंग की पेशाब
  • जोड़ों में दर्द
  • पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)
  • त्वचा खुजलाना

हेपिटाइटिस-बी की जांच कैसे कराएं?

खून की सामान्य जांच से हेपिटाइटिस-बी का पता चल सकता है

यदि आप सोचते हैं कि आप हाल ही में संक्रमित हुए हैं, तो हो सकता है आपको जांच कराने से पहले दो महीने तक इंतज़ार करने को कहा जाए। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि वायरस को शरीर पर असर करने में इतना समय लग जाता है जिससे कि उसका खून की जांच से पता चल सके।

यदि आपके डाक्टर को संदेह है कि आपको क्रोनिक हेपिटाइटिस-बी संक्रमण है, तो आपको दूसरे टेस्ट भी कराने पड़ सकते हैं। अल्ट्रासाउंड स्कैन द्वारा आपके लिवर को हुए नुकसान या कैंसर की जांच की जा सकती है। संक्रमण की गंभीरता के अनुसार, डाक्टर इस बात का पता करने के लिए आपके लिवर का सैम्पल (बायाप्सी) ले सकते  आपके लिवर को नुकसान पहुंचा है या कैंसर तो नहीं है।

 

हेपिटाइटिस-बी से छुटकारा कैसे पाएं?

95 प्रतिशत वयस्कों का शरीर टीका लगवाए बिना चार से आठ हफ्तों में वायरस को मिटा देता है। इन दो महीनों के भीतर भी एक व्यक्ति से किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमण लग सकता है। यदि आपका शरीर सफलतापूर्वक हेपिटाइटिस-बी के संक्रमण को मिटा देता है तो आप पूरे जीवन के लिए वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षतमा विकसित कर लेते हैं।

हेपिटाइटिस-बी से संक्रमित बाकी 5 प्रतिशत व्यक्तियों के शरीर वायरस को नहीं मिटा पाते। इनमें से कुछ को लिवर कैंसर हो जाता है और लिवर फेल हो जाने (काम करना बंद कर देने) के कारण उनकी मृत्यु भी हो सकती है।

यदि आप उन 5 प्रतिशत व्यक्तियों में से एक हैं, जिन्हें क्रोनिक हेपिटाइटिस-बी संक्रमण है तो इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन ऐसा संभव है कि संक्रमित हाने के 20 वर्षों तक इसके कोई लक्षण नज़र न आएं।

क्रोनिक हेपिटाइटिस-बी का इलाज

आपके डॉक्टर आपको ऐसी जीवन-शैली अपनाने की सलाह दे सकते हैं, जो इन लक्षणों को दूर रखने में सहायक साबित हो।देंगे।

लिवर को नुकसान पहुंचने, जैसे कि सिरोसिस या लिवर कैंसर से बचाने के लिए डाक्टर आपको इन्टरफीरॉन अल्फा, लैमीवुडाइन या बैराक्लूड लेने की सलाह दे सकते हैं। ये सभी दवाएं आपके शरीर में वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए होती हैं। चाहे आपको लक्षण नज़र आएं या नहीं, आपके डॉक्टर आपको स्वास्थ्यवर्धक आहार का सेवन करने, अधिक तरल पदार्थों का सेवन करने और शराब (अल्कोहल) का सेवन न करने की सलाह देंगे।

लिवर को नुकसान पहुंचने, जैसे कि सिरोसिस या लिवर कैंसर से बचाने के लिए डाक्टर आपको इन्टरफीरॉन अल्फा, लैमीवुडाइन या बैराक्लूड लेने की सलाह दे सकते हैं। ये सभी दवाएं आपके शरीर में वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए होती हैं।