Love Matters

भारत में प्यार का एक दूसरा पहलु

लव मैटर्स इंडिया द्वारा निर्मित यह इन्फ़ोग्राफ़िक आपको प्यार के दुसरे पहलु से अवगत करायेगाI ज़रूर देखिये!

क्या आपको पता है कि डब्लू.एच.ओ. द्वारा किये गए एक सर्वे के अनुसार विश्वभर में करीब 30 प्रतिशत महिलाएं हिंसापूर्ण संबंधों में हैं? और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रिश्तों में पुरुषों को भी कई प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ता हैI

 

निजी साथी द्वारा हिंसा क्या है?

भारत में प्रेमियों और जोड़ों के बीच में हिंसा होने के मुख्य कारण है - अज्ञानता, हिंसात्मक पालन-पोषण, लड़का-लड़की में असमानता और शराबI ईर्ष्या, ज़रुरत से ज़्यादा हक़ जताना और छोटी-छोटी बातों पर लड़ना-झगड़ना आपके साथी को आपके साथ दुर्व्यवहार करने पर मजबूर कर सकता हैI जब कोई आपके साथ बुरा बर्ताव करता है तो उसका मक़सद आपको शर्मिंदा करना और चोट पहुँचाना होता हैI अगर किसी को लम्बे समय तक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रताड़ना झेलनी पड़े तो उस व्यक्ति को स्वास्थ्य और दिमागी सम्बन्धी गंभीर बीमारियां हो सकती हैंI

 

क्या हिंसा केवल शारीरिक है?

पीड़ित व्यक्ति को डराने और घिनोना महसूस करवाने के लिए किसी भी प्रकार की हिंसा का इस्तेमाल किया जा सकता है, फ़िर वो शारीरिक, मौखिक, आर्थिक, यौनिक या भावनात्मक ही क्यों ना होI पीड़ित व्यक्ति इस तरह की हिंसा को अधिकतर अनदेखा करते हैं क्यूंकि वे प्रताड़ित करने वाले से प्यार करते हैंI रिश्तों में दूरियां तब आती है - जब आपसी तालमेल ना हो या उसकी कमी हो और जब रिश्ते में असुरक्षा और ईर्ष्या की भावना होI अगर आप किसी हिंसात्मक रिश्ते में रहते हुए ऐसा नज़रिया रखते हैं तो इससे आपकी ज़िंदगी पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ सकता हैI

 

इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए यह वीडियो देखें

निजी साथी द्वारा हिंसा से कैसे निजात पाएं?

अगर रिश्तों में हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई गयी तो यह बढ़ती ही जाएगीI जिन लोगों ने किसी भी तरह का दुर्व्यवहार या हिंसा सही है, हमें उनके बारे में अनुमान लगाने का कोई हक़ नहीं हैI इस का एकमात्र हल है दुव्यवहार के ख़िलाफ़ लड़नाI कई बार पीड़ित व्यक्ति किसी डर की वजह से ऐसे रिश्तों से बाहर नहीं निकल पातेI लव मैटर्स इंडिया में हम यह मानते हैं कि किसी भी तरह की हिंसा या दुर्व्यवहार का डटकर सामना करें और उसके खिलाफ आपत्ति जताएंI तो अगर आप किसी हिंसात्मक रिश्ते में हैं तो और ज़ुल्म ना सहे और उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएंI