अच्छे संवाद का आधार
लोगों से बात करने और उनकी बातों को सुनने-समझने की क्षमता में हम जन्म लेते ही पारंगत नहीं हो जाते लेकिन हम चाहे तो इस योग्य बन सकते हैं कि कम से कम जो लोग हमारे करीब हैं उन्हें अच्छी तरह समझ सकेंI और अपनी बात उन्हें समझा सकेंI ज़रूरी नहीं आप हमेशा सही हों लेकिन अगर कोशिश करते रहें तो इसमें समय के साथ सुधार ज़रूर होगाI
बोलना-सुनना = शून्य
अच्छे संवाद के लिए सामने वाले को सुनना भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि आपका बोलनाI और जब आप सुनें तो यह आवश्यक है कि आप सिर्फ सुनें नहीं बल्कि यह समझने की भी कोशिश करें कि दूसरा व्यक्ति क्या कहना चाहता हैI उनकी बात काटें नहीं, उनकी आँखों में देखते रहें और उनकी बात सुनते हुए यह ना सोचें कि आपका जवाब क्या होगाI
"मैं" का प्रयोग
अगर आप अपने साथी की किसी बात से असहमत हैं तो यह ज़रूरी है कि आप अपने विचार उसे बताएंI आप किसी बात को लेकर क्या सोचते हैं या किसी और के द्वारा की गयी किसी हरकत से आप पर क्या प्रभााव पड़ता है, यह अगर आप खुद बताएँगे तो इस बात को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होगा I आखिरकार, आप क्या सोचते हैं इस पर कोई आपसे तर्क नहीं कर सकता क्यूंकि यह सिर्फ आपको पता होगाI
जैसे कि, कहें:
"मुझे बहुत बुरा लगा जब तुमने सिनेमा जाने के लिए मुझसे पूछा ही नहीं और अकेले चले गएI"
"मुझे बहुत बुरा लगा जब मैंने तुम्हे उस लड़की/लड़के के गले में हाथ डाले देखाI'
इस बात पर कोई बहस नहीं कर सकता I आपका साथी यह नहीं कह सकता, 'नहीं, तुम्हे बुरा नहीं लगा हैI'
लेकिन अगर इस बात को आप कुछ इस तरह कहेंगे, "तुम कितने बेपरवाह हो जो अकेले पिक्चर देखने चले गएI' तो वो कह सकता है, 'नहीं मैं बेपरवाह नहीं हूँI मुझे लगा तुम्हे नहीं देखनी होगीI
एक और सुझाव: इस बात को बीच में ना लाएं कि और लोग इस बारे में क्या सोचते हैं या ये दावा ना करें कि आपका साथी क्या सोच रहा होगाI जैसे, 'तुम्हे पता है कि तुमने उस लड़की के गले में बाहें मुझे जलाने के लिए डाली थी और मेरी बहन भी यही कह रही थी! इससे किसी को भी खीझ हो जाएगी और ना ही यह कहने से आपका साथी आपकी भावनाओं को समझ पायेगा।
अपना दिमाग ठंडा रखें
भावुक होना सामान्य है लेकिन जब आप भावुक होते हैं तो अपने आपको स्पष्ट रूप से समझाना या दूसरे की बात समझना थोड़ा मुश्किल होता हैI जैसे कि अगर आप क्रोधित हैं तो बेहतर यही होगा कि बात को वही खत्म करें और उस बारे में बाद में बात करेंI अपने साथी से बात करने से पहले अपने विचार एक डायरी में लिख लेना भी अच्छा ख्याल हैI
सकारात्मक पहलुओं से शुरुआत करें, आलोचना को बाद के लिए रखें
अगर आप किसी बात से नाखुश हैं या किसी बात से आपको असुविधा हो रही है और ये बात अपने साथी को बताना चाह रहे हैं तो कोशिश करें कि उन्हें ऐसे बताएं कि उन्हें बुरा ना लगेI इसका एक तरीका है सकारात्मक पहलु पर प्रकाश डालना I जैसे कि"
'जब तुम मुझे अपनी ओर खींचते हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है, लेकिन थोड़ा प्यार से खींचा करो?'
'तुम्हारे साथ सेक्स करने में बहुत मज़ा आता हैI लेकिन अगली बार क्या हम कुछ नया कर....सकते हैं?'