Feeling good
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विकलांगता होते हुए अच्छा महसूस करना

समाज और मीडिया अक्सर विकलांग लोगों को अनदेखा करते हैं - खासकर जब सेक्स की बात आती है। लेकिन विकलांग लोग भी प्यार में पड़त हैं और यौन संबंध बनात हैं।

लोगों को कभी-कभी लगता है कि विकलांग लोग यौन संबंध बनाने के लिए बहुत ही नाजुक होत हैं या वे इसमे दिलचस्पी नहीं रखते। उनके पास चिंता करने के लिए और ज़्यादा ज़रूरी चीजें होती हैं। या उनकी इस चीज़ में बस रुचि नहीं होती है।

यह सच नहीं है! विकलांग लोगों की भी हर किसी के समान इच्छाएं होती हैं। बेशक, विकलांगता के कई अलग-अलग रूप होते हैं। दूसरों की अपेक्षा, कुछ विकलांग लोगों के लिए एक सक्रिय यौन जीवन रखना ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

यौन संबंधों के बारे में विकलांग लोगों के ज़्यादातर सवाल बाकियों के तरह ही होते हैं। जैसे कि एक साथी को कैसे ढूंढें, नए-नए तरीकों से यौन संबंध बनाने सीखने के के बारे में सवाल। हस्तमैथुन यानी अपने हाथों से अपने गुप्तांगों को छूकर यौन के सुख को महसूस करना , एक साथी खोजना, और एक अच्छा यौन जीवन सभी के लिए अहम है।

यहां हम इन मुद्दों को विकलांग लोगों के नज़रिए से देखते हैं।

अगर आपका शरीर समाज के  बनाए नज़रिए से 'सामान्य' है या 'सुंदर' नहीं है, तो एक अच्छे प्रेम जीवन को पाने के लिए जो स्वाभिमान बनाए रखना होता है, वो आपके लिए ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन सभी को एक संपूर्ण, संतोषप्रद यौन जीवन और सार्थक संबंधों का अधिकार है।

स्वाभिमान

आप ख़ुद के बारे में क्या सोंचते और महसूस करते हैं, वो आपका स्वाभिमान या आत्म सम्मान होता है।

क्या आप खुद को पसंद करते हैं? क्या आप अपने शरीर के साथ सहज महसूस करते हैं? अगर आप आत्म-सम्मान के मुद्दों के साथ संघर्ष करते हैं, तो आप अकेले नहीं हैं।

आत्म-सम्मान बरकरार रखना खासकर मुश्किल होता है अगर आपका शरीर सामाज के बनाए हुए आदर्शों के अनुसार नहीं दिखता है, या बहुत अलग दिखता है, या अगर आपको अतीत में आपके 'अलग' रूप होने के कारण सताया गया हो।

आत्म सम्मान में कमी

स्वीभिमान कम होने के कारण आप अपने जीवन में जो बदलाव लाना चाहते हैं, वो बहुत मुश्किल हो जाता है।

कल्पना कीजिए कि आप अपने सपनों की नौकरी का एक विज्ञापन देखते हैं। आपके पास सभी योग्यताएं हैं, और आपको इस नौकरी के लिए बस अर्ज़ी देनी है। लेकिन आपके अंदर की एक आवाज़ कहती है:

'बेवकूफ मत बनो - तुम्हे वह नौकरी कभी नहीं मिलेगी! बहुत सारे लोग इसके लिए लगे होंगे, और वे शायद तुमसे बेहतर हैं। यह सिर्फ समय की बर्बादी है। तुम इसके लिए अच्छे नहीं हो।

अगर आप अपने अंदर के इस आलोचक पर विश्वास करते हैं, तो शायद आप इस नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं देंगे। और यह बात आपके रिश्तों के लिए भी लागू होती है, चाहे आप नए दोस्त बना रहें हो या प्यार की तलाश में हो।

तब वो आलोचक आवाज़ कहती है, 'उन्हें आपमें दिलचस्पी क्यों लेनी चाहिए?' तो आप किसी रिश्ते को शुरू होने से पहले ही छोड़ देते हैं।

बहुत से लोग इस एहसास के साथ जीते हैं कि वे उतने अच्छे नहीं हैं। अगर आप विकलांगता के साथ जी रहे हैं, तो ऐसी भावना रखना और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। शायद आपको अतीत में सताया गया है। या लोग सड़क पर आपको घूरते हैं। आप जानते हैं कि आपका शरीर दूसरे लोगों की तरह नहीं है - कोई भी संपूर्ण नहीं होता है, लेकिन आपको दूसरे लोग आपको कैसे देखते हैं,  इस बारे में आपकी विकलांगता आपको और भी चिंतित महसूस कराती है।

आत्म सम्मान में कमी आपके जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर सकता है। जब समाज आपको बोलता है कि आप संपूर्ण नहीं हैं, तो ख़ुद पर विश्वास करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन आत्म-सम्मान को बढ़ावा देने से आप सताने वाले लोगों के खिलाफ़, एक साथी को ढूंढने में और अपने जीवन में ज़्यादा संतुष्ट महसूस करने के लिए, मजबूत बन सकते हैं।

अपने आत्म सम्मान को बढ़ावा देना

तो आप खुद से प्यार करना कैसे सीख सकते हैं?

अपने आत्म-सम्मान में सुधार लाना आसान नहीं है, लेकिन ऐसा करना सार्थक है! बस याद रखें कि यह एक झटके में नहीं होगा - इसमें समय लगेगा, और आपको इसके लिए काम करना होगा। यह समझना कि आपमें आत्म सम्मान की कमी है और इसे ठीक करने का आपका फैसला इस दिशा में आपका पहला कदम होगा। इसके लिए यहां कुछ सलाह दिए गए हैं:

  • अपनी पसंद के लोगों और जो लोग आपको पसंद करते हैं, उनके साथ ज़्यादा समय बिताने की कोशिश करें। ऐसे लोग जो आपको अपने बारे में बहुत अच्छा महसूस कराते हैं। वे आपके दोस्तों, परिवार के लोगों या सहकर्मियों में से हो सकते हैं।
  • अपनी क्षमताओं, न कि बाधाओं पर ध्यान दें। इसका मतलब अपनी विकलांगता को अनदेखा करना नहीं है, बल्कि उस पर ध्यान देना है जो आप जो कर सकते हैं बजाए उसके जो आप नहीं कर सकते। ख़ुद के लिए वास्तविक लक्ष्य निर्धारित करें, और फिर आप अपनी कामयाबियों के बारे में अच्छा महसूस कर सकते हैं।
  • हम सभी के अंदर एक आलोचक होता है: आत्मा की वो आवाज़ जो आपसे कहती है कि आप बेवकूफ हैं, या आप आर्कषक नहीं हैं, या कोई भी आपको पसंद नहीं करता। अपने अंदर के इस आलोचक को समझें, और इसके साथ अपने रिश्ते को बदलें। आप इसे हटा नहीं सकते हैं, लेकिन उस आवाज़ की हर कही बात आपको मानने की कोई ज़रूरत नहीं है। अगर ख़ुद के बारे में आलोचक खयाल आने लगें, तो उन्हें स्वीकार करें – फिर उन्हें भूल जाएं।
  • आपको अपने बारे में जो बातें अच्छी लगती हैं, उनकी की एक सूची बनाएं। जब आप बुरा महसूस कर रहें हो, तो इस सूची को पढ़ें और खुद को याद दिलाएं कि आप बिल्कुल ठीक हैं।
  • ख़ुद की तुलना दूसरों से न करें। हर कोई अलग होता है। अगर ऐसा कुछ है जो आप अपनी विकलांगता के कारण नहीं कर सकते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप असफफल हैं। आप वो शायद कर सकते हैं; आपको बस उसे अलग तरीके से करने के बारे में सोंचना होगा!
  • ख़ुद के साथ ऐसा बर्ताव करें जैसा आप किसी करीबी दोस्त के साथ करते। चाहे कितनी ही छोटी बात हो, अगर कुछ अच्छा होता है तो खुद को उस बात का क्ष्रेय दें।

इससे क्या हासिल होगा? खुशी!

अपने आत्म-सम्मान को बढ़ावा देना ख़ुद को खुश करने के सबसे कारगर तरीकों में से एक है। अधिक आत्म सम्मान वाले लोग मानते हैं कि वे खुशी पाने के लायक हैं। और अगर आप इस बात पर विश्वास करते हैं, तो आपकी खुशी पाने की संभावना काफ़ी ज़्यादा हो सकती है।

जब आप अपने बारे में अच्छा महसूस करते हैं, तो आप ज़्यादा निडर और आशावादी होते हैं। अपने लक्ष्यों तक पहुंचना आसान हो जाता है अगर आप मान लें कि आप उनके लायक हैं। अगर आप खुद को पसंद करते हैं तो लोगों से मिलना और दोस्त बनाना आसान हो जाता है क्योंकि आप उम्मीद करते हैं कि वे भी आपको पसंद करेंगे।

क्या आप इस जानकारी को उपयोगी पाते हैं?

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