चिन्मयी

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मैंने अपने शरीर की सुनी, और एबॉर्शन को चुना

गर्भावस्था
पहले प्रसव में हुई जटिलता के अनुभव ने सुभाषिनी को मानसिक रूप से निराशा की अवस्था में ला दिया था। जब उन्हें पता चला कि वो फिर से गर्भवती हैं तो उन्होंने एबॉर्शन का फैसला किया क्योंकि वो फिर से प्रसव की पीड़ा और नींद रहित रातों के लिए तैयार नही थी।

अपनी शादी के लिए मैंने ख़ुद ही पेपर में विज्ञापन दिया

प्यार एवं रिश्ते
शादी के लिए ‘लड़की दिखाना’ जैसी प्रथा से बचने के लिए चंद्रिका ने एक स्थानीय अखबार में अपनी शादी के लिए खुद ही विज्ञापन दे डाला। ‘आत्मनिर्भर और कामकाजी वधू के लिए सुयोग्य वर की आवश्यकता : जाति की कोई बाध्यता नहीं।’ तो क्या चंद्रिका को उनका जीवनसाथी मिला? सुनिए चंद्रिका की कहानी उसी की ज़बानी।

वो सिर्फ़ इसलिए सो नहीं पाती थी कि कहीं वो उसका बलात्कार ना कर दें

प्यार एवं रिश्ते
आरिफा*, एक बहुत ही सुन्दर लड़की थी जो मुंबई की झुग्गियों में रहा करती थीI उसकी शादी 20 साल में ही हो गयी थी लेकिन उसके पति ने कभी उसे छुआ तक नहींI दूसरी ओर उसका ससुर और परिवार के अन्य पुरुषों ने उसका बलात्कार करने के कई प्रयास किए। सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय सुभाष, ने आरिफ़ा को इन्साफ दिलाने के लिए आठ साल की कानूनी लड़ाई लड़ी हैI वही चिन्मय आज आरिफ़ा की कहानी हमारे पाठकों के लिए लेकर आयी हैंI