अवली खरे

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युवा, लेस्बियन और निडर

यौन विभिन्नता
एक छोटे शहर में एक समलैंगिक के रूप में बड़े होना अक्षिता के लिए आसान नहीं था। उसके मन के किसी कोने में एक ख्याल हमेशा रहता था 'मैं भी बाक़ी लड़कियों की तरह क्यूँ नहीं हो सकती?'। फिर उसे आभास हुआ कि ज़रूरत उसके बदलने की नहीं थी बल्कि उसके आसपास के लोगों को थी।