जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण SRHR सेवाओं के लिए स्वास्थ्य प्रणाली के साथ संलग्न
लव मैटर्स इंडिया ने जून 2018 में एक कार्यशाला के लिए सेंटर फॉर हेल्थ एंड सोशल जस्टिस (CHSJ) के साथ भागीदारी की। प्रशिक्षण का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे प्रोफेशनल पर आधारित था और इस तथ्य पर ध्यान केंद्रित किया गया कि यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार (SRHR) के दायरे में बुनियादी मानव अधिकार कैसे महत्वपूर्ण हैं ।
एलएमआई ने कार्यशाला के लिए एक स्वास्थ्य पेशेवर प्रशिक्षण टूलकिट भी रखा और कार्यशाला के दौरान उसके विभिन्न मॉड्यूल प्रस्तुत किए। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य पेशेवरों को एसआरएचआर के लिए जोखिम-आधारित और आनंद-आधारित दृष्टिकोण के बीच अंतर को समझने में मदद करना था।
यौन सुख- यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों के बीच भुला दी गई कड़ी
लव मैटर्स इंडिया ने अगस्त 2018 में नई दिल्ली के द ज़ोरबा में ग्लोबल एड्वाइज़री बोर्ड ऑन सेक्सुअल हेल्थ एंड वेलबिंग (GAB) ट्रेनिंग का आयोजन किया जो यौन सुख पर आधारित था। GAB यौन सुख को बढ़ावा देने और यौन स्वास्थ्य, यौन अधिकारों और यौन सुख के बीच प्रभावी, सार्थक लिंक बनाने के लिए एक पहल का नेतृत्व कर रहा है।
कार्यशाला में विभिन्न संगठनों के प्रतिभागियों ने भाग लिया जो SRHR मुद्दों पर काम कर रहे हैं जैसे TARSHI, CREA, Nazariya, Haiyya, Pravah, HIV/AIDS Alliance आदि। यह कार्यशाला GAB के लिए सेक्सुअल हेल्थ और वेलबिंग टूलकिट पर केंद्रित थी, जिसे ड्यूरेक्स द्वारा संयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य सेक्सुअलिटी (यौनिकता) के लिए एक सकारात्मक और समावेशी दृष्टिकोण का विकास करना था।
2019 में, लव मैटर्स इंडिया ने यौन सुख - यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों के बीच एक भुला दी गई कड़ी ’पर दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में सफल प्रशिक्षण की एक और श्रृंखला आयोजित की। इन सत्रों ने यूरोप भर के विभिन्न देशों के मेडिकल छात्रों को लक्षित किया जो मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सहयोग से एक एक्सचेंज प्रोग्राम का हिस्सा थे। प्रतिनिधित्व करने वाले देशों में इटली, जर्मनी, पुर्तगाल, रोमानिया, यूके और भारत थे।
Press4Change पत्रकार कार्यशाला, नई दिल्ली
लव मैटर्स इंडिया ने केशव सूरी फाउंडेशन के साथ साझेदारी में देश के जमीनी स्तर के पत्रकारों के साथ बातचीत शुरू करने और एलजीबीटीक्यू समुदाय के बेहतर प्रतिनिधित्व और छवि को प्रस्तुत करने के उद्देश्य से दिसंबर 2018 में एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में सामाजिक बदलाव लाने के लिए पत्रकारों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया और उनसे हाशिये पर पड़े लोगों की समस्याओं को आवाज़ देने का अनुरोध किया गया।
यह कार्यशाला ऋचा वशिष्ठ द्वारा संचालित की गई थी, जो मानसिक स्वास्थ्य और एलजीबीटीक्यू मुद्दों की एक अनुभवी प्रशिक्षक हैं। यह प्रेस4चेंज परियोजना का पहला कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य विभिन्न स्तरों पर प्रेस के साथ जुड़ना है ताकि बेहतर रिपोर्टिंग के लिए मिलकर काम किया जा सके।
ट्रांसजेंडर, इंटरसेक्स और लिंग-विविध लोगों के लिए सर्टिफिकेट कोर्स
लव मैटर्स इंडिया (LMI) ने सेंटर फॉर हेल्थ लॉ, एथिक्स एंड टेक्नोलॉजी (CHLET) के साथ मिलकर इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स (ICJ) के सहयोग से ट्रांसजेंडर, इंटरसेक्स और जेंडर विविध लोगों के लिए चार दिवसीय आवासीय सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन किया। यह कोर्स सोनीपत में ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी परिसर, 6 मई 2019 से 9 मई 2019 तक आयोजित किया गया था। इसमें पूर्वोत्तर के सात सहित देश भर के बीस लोगों ने भाग लिया। पाठ्यक्रम का संचालन संकाय के साथ व्याख्यान और कार्यशालाओं के रूप में किया गया था, जिसमें कार्यकर्ता, अधिवक्ता और प्रोफेसर शामिल थे।
प्यार, सेक्स, संबंध, कलंक और एआई
लव मैटर्स इंडिया ने Haiyaa की साझेदारी में जुलाई 2019 में इंडियन हैबिटेट सेंटर में "लव, सेक्स, रिलेशनशिप, स्टिग्मा एंड एआई" पर एक सत्र का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में इंजीनियरिंग स्नातक छात्र, पोस्ट ग्रेजुएट, पीएचडी छात्र, कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियर, कंप्यूटर विज्ञान पृष्ठभूमि के शिक्षाविद आदि ने भागेदारी की। Haiyya और एलएमआई ने SRHR, गर्भपात और आईपीवी से संबंधित पूर्वाग्रह और यह कैसे उत्पन्न होते हैं, इस बारे में जागरूकता पैदा की।
SRHR और भारत में युवाओं के डिजिटल अधिकारों का विकास - एक समावेशी संवाद
नवंबर 2019 में, लव मैटर्स इंडिया ने सोशल मीडिया मैटर्स की साझेदारी और संयुक्त राष्ट्र महिला के सहयोग से यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों (SRHR) के मुद्दों पर काम करने वाले नागरिक समाज संगठनों के प्रमुख प्रासंगिक हितधारकों, वकीलों, युवा कार्यकर्ताओं, ट्रांस जेंडर्स , डिजिटल अधिकार कार्यकर्ताओं, तकनीकी प्लेटफार्मों आदि के साथ आधे दिन का संवाद किया। यह संवाद भारत भारत में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लिंग और यौन स्वास्थ्य से संबंधित शैक्षिक और सूचनात्मक सामग्री की ऑनलाइन सेंसरशिप को समझने और संबोधित करने के विषय पर आधारित था।
अनुसंधान और प्रकाशन
भारतीय मीडिया में SRHR समाचार कवरेज - भाग I और II
लव मैटर्स इंडिया ने एलजीबीटी मुद्दों सहित यौन स्वास्थ्य और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों (एसआरएचआर) की मुख्यधारा के मीडिया कवरेज का आकलन करने के लिए 2017 और 2019 में मीडिया मैपिंग अध्ययन किया।
दो साल के अंतराल में किए गए अध्ययन में पाया गया कि SRHR मुद्दों को भारत के शीर्ष छह समाचार पत्रों (अंग्रेजी और हिंदी दोनों) में अध्ययन अवधि के समाचार आइटमों के दौरान केवल 3% से कम कवरेज मिला। इस अध्ययन से यह स्पष्ट है कि SRHR मुद्दों पर रिपोर्टिंग दो साल की समयावधि में नाटकीय रूप से नहीं बदली थी और यहां तक कि भारत में समलैंगिकता को जुर्म नहीं मानने के फ़ैसले के बाद भी। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि SRHR मुद्दों के कवरेज का प्रतिशत 2017 की तुलना में 2019 में हिंदी भाषा के दैनिक समाचार पत्रों में काफी बढ़ गया है।
2017 की रिपोर्ट के निष्कर्ष दिसंबर 2018 में हांगकांग के द चाइनीज़ यूनिवर्सिटी में जेंडर, सेक्सुअलिटी एंड जस्टिस- रेजिलिएन्स इन अनसरटेन टाइम्स सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए ।
मॉडर्न मैस्क्युलिनिटी/आधुनिक पुरुषत्व
2019 में, लव मैटर्स इंडिया ने दिल्ली में पुरुषों के विविध समूहों के लेट्स टॉक मॉडर्न मैस्क्युलिनिटी पर फोकस ग्रुप डिस्कशन (FGDs) की एक श्रृंखला आयोजित की। इसका उद्देश्य कई वर्तमान मुद्दों जैसे #MeToo और सहमति से लेकर आज के भारत में पुरुषत्व को लेकर बदलते प्रतिमानों और विचारों पर उनके विचार, राय, दुविधाओं और चिंताओं को जानना और समझना था।
इससे मिले निष्कर्षों से यह ज़ाहिर हुआ कि कैसे समकालीन भारत के युवा लगातार बदलती और विकसित होती जेंडर की भूमिकाओं और पुरुषत्व पर अपने दृष्टिकोण और विचारों और दृष्टिकोण को लेकर मुखर है।
प्राइड इन रिपोर्टिंग टूल किट
नवंबर 2019 में, लव मैटर्स इंडिया ने प्राइड इन रिपोर्टिंग: भारत में एलजीबीटीक्यू मुद्दों के अधिकार आधारित रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिए मीडिया टूलकिट की स्थापना की। यह पत्रकारों और संवाददाताओं को पूर्वाग्रह रहित और उनके अधिकारों के सरंक्षण की दृष्टि के साथ एलजीबीटीक्यू के सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ और राइट (SRHR) के मुद्दों से जुड़ी खबरें को प्रकाशित करने के लिए प्रशिक्षित और तैयार करने पर आधारित थी।
टूलकिट का उद्देश्य है सभी माध्यमों की रिपोर्टिंग के लिए एक सरल और मार्गदर्शक पुस्तिका देना जहाँ इनसे जुड़े मुद्दों की समझ के लिए शब्दावली, भाषा और क्या लिखें और क्या नहीं लिखें सहित एलजीबीटीक्यू मुद्दों के अधिकार-आधारित रिपोर्टिंग विकसित करने के कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
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