बेड पर होने वाली ये दिक़्क़तें सामान्य हैं और अधिकतर लोग जीवन के किसी न किसी मोड़ पर इससे गुज़रते ही हैं। कुछ समस्याएँ अस्थायी होतीं हैं और कुछ के लिए प्रोफ़ेशनल मदद की दरकार होती है। ज़्यादातर समस्याओं का इलाज़ हो जाता है। सबसे बड़ी दिक़्क़त है समस्या के बारे में सामने आकर खुलकर बात करना।
अगर आप किसी सेक्स संबंधी समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको शर्मिंदा होने की ज़रूरत नहीं है। कई पुरुषों को लगता है कि इस बारे में बात करने पर लोग उनकी मर्दानगी पर सवाल उठाने लगेंगे। लेकिन अपनी समस्याओं पर बात कर उसका सही इलाज़ ही आपके सेक्सुअल और शारीरिक स्वास्थ्य और रिश्ते के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।
कुछ सेक्स संबंधी समस्याएँ अनियमित और गलत जीवनशैली से संबन्धित होतीं हैं और इन्हें संतुलित जीवन द्वारा क़ाबू किया जा सकता है: संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम, सिगरेट और शराब का सेवन कम करना इसमें शामिल है। दरअसल जो कुछ भी सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है, वह आपके सेक्सुअल स्वास्थ्य के लिए भी सही है। लेकिन इसका यह अर्थ भी नहीं है कि एक अच्छी जीवन शैली आपको बेड पर होने वाली समस्याओं से पूरी तरह बचा लेगी- लेकिन यह उनके ख़तरों को कम अवश्य कर सकती है।
अपनी समस्याओं को लेकर जब आप किसी डॉक्टर के पास जाएँगे तो वह आपके सेक्सुअल, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य संबंधी कई सवाल पूछ सकता है। अगर आप उसके सवालों का ईमानदारी से जबाव देंगे, भले ही वे आपको कितना भी असहज करें तो इलाज़ काफ़ी आसान हो जाएगा। डॉक्टर शायद आपका परीक्षण भी करे लेकिन आप भयभीत या शर्मिंदा नहीं हों। यह याद रहे कि कोई भी समस्या होना आम बात है और आप उसका इलाज़ लेकर एक सही क़दम उठा रहे हैं।
किसी भी सेक्स संबंधी समस्या से कैसे निबटना है, वह अलग-अलग समस्या पर निर्भर करता है। नीचे कुछ बहुत ही आम समस्याएँ, उनके कारण और उपचार प्रस्तुत किए गए हैं।
सेक्स समस्याओं से प्रभावित होते हैं दोनों पार्टनर
इस बारे में कोई दो राय नहीं कि सेक्स समस्याएँ आपके सेक्स जीवन के लिए बुरी ख़बर है। अगर पुरुष साथी हमेशा अपने लिंग के खड़े होने या स्खलन की फ़िक्र में रहेगा तो वह सेक्स के दौरान भी तनाव में ही रहेगा और उस अनुभव का आनंद नहीं ले पाएगा।
साथ ही उसकी साथी भी असंतुष्ट रह जाएगी, ख़ासकर जब पुरुष अपने भय को लेकर ही इतना चिंतित हो कि अपने साथी की सेक्सुअल ज़रूरत को नज़रअंदाज़ कर दे। परिणामस्वरूप दोनों ही साथी थोड़ा और पाने की चाहत में तड़पते रह जाएँगे। अगर यह स्थिति अधिक दिनों तक चली तो जोड़े सेक्स या सामान्य अंतरंगता से भी बचने लगेंगे। इसलिए ज़रूरी है कि समस्या का पता चलते ही उसका निदान करने की कोशिश की जाए।
शीघ्रपतन
पुरुषों को होने वाली सबसे आम समस्या शीघ्रपतन की है। इसमें जरा सी भी सेक्सुअल उत्तेजना मिलने या उसके पहले ही उन्हें बहुत जल्दी चरमोत्कर्ष (ऑर्गेज़्म) महसूस होता है और उसकी वजह से तुरंत स्खलन हो जाता है। इससे दोनों हो साथी असन्तुष्ट रह जाते हैं। शीघ्रपतन लगभग हर पुरुष को किसी न किसी अवस्था में तंग करता ही है।
इसके पीछे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारण हो सकते हैं, हालांकि इसका एकदम सही कारण पता लगाना असंभव है।
इसके पीछे का एक मनोवैज्ञानिक कारण धर्म से जुड़ा है जहां सेक्स को लेकर कई पूर्वाग्रह व्यक्ति के मन में डाल दिये जाते हैं। इसके साथ ही तनाव, चिंता, शर्मिंदगी, अवसाद और सेक्स के बाद होने वाला आघात इसकी वजह हो सकते हैं। इसके पीछे की शारीरिक वजह लिंग के शीर्ष भाग का अतिसंवेदनशील होना, हार्मोन संबंधी दिक़्क़तें, पहले हुई कोई दुर्घटना, दवाओं के दुष्परिणाम और दिमागी बीमारियाँ शामिल हैं। कई बार इसकी वजह सेक्स में कम रुचि होना या अपने साथी के प्रति आकर्षण महसूस नहीं करना है।
कई बार जैसे जैसे एक पुरुष सेक्स के अनुभव प्राप्त करता जाता है, अपने स्खलन को नियंत्रित करना सीख लेता है । इसका सबसे बढ़िया उपाय चरमोत्कर्ष तक पहुंचाने वाले संकेतों को पहले ही पकड़ना है और अपने साथी से बात कर सेक्सुअल उत्तेजना को उस समय के लिए थोड़ा कम करना है।
कॉन्डोम, क्रीम या जेल जो उत्तेजना कम करते हों भी इसके उपाय हो सकते हैं। इसके साथ ही सेक्स के अलग अलग आसनों का प्रयोग किया जा सकता है तथा डॉक्टर से शीघ्रपतन को रोकने संबंधी दवाएं ली जा सकतीं हैं। हस्तमैथुन और अपनी उत्तेजना का सही ज्ञान भी स्खलन को क़ाबू करने में कारगर हो सकता है।
स्खलन में देरी और एनोर्गैज़्मिया
शीघ्र पतन से बिल्कुल विपरीत यहाँ स्खलन बहुत देरी से या कभी कभी बिल्कुल होता हो नहीं है। ऑर्गैज़्म का बिल्कुल नहीं होना एनोर्गैज़्मिया कहलाता है। ये दोनों स्थितियाँ समान नहीं है लेकिन इन्हें एक साथ ‘डिसौर्डर्ड ऑर्गैज़्म’ के तहत रखा जाता है।
‘डिसौर्डर्ड ऑर्गैज़्म’ ज़्यादातर बड़ी उम्र के पुरुषों में पाया जाता है।
ये कुछ मनोवैज्ञानिक कारणों से भी हो सकता है जैसे सेक्स से डर, किसी प्रकार के सेक्सुअल शोषण और इस सोच के कारण कि सेक्स अच्छी चीज़ नहीं है ( जैसे कि सेक्स गंदी चीज़ या पाप है)
अगर आप इस बारे में किसी डॉक्टर की सलाह लेंगे तो वह आपसे कुछ सवाल पूछेंगे जो उन्हें इसके कारणों को जानने और उस अनुसार इलाज़ करने में सहायता करेंगे। हो सकता है कि आपको मनोवैज्ञानिक से मिलकर भी इस समस्या के कारणों तक पहुंचना पड़े।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष)
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का अर्थ है कि लिंग का सही से इरेक्ट या स्तंभन नहीं होना या इतनी पर्याप्त मात्रा में नहीं होना कि संभोग के दौरान योनि ( वेजाइना ) में प्रवेश कर सके।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन बढ़ती उम्र के पुरुषों में बहुत ही आम है लेकिन यह किसी भी उम्र के व्यक्ति में पाया जा सकता है। हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी और डाईबीटीज़ (मधुमेह) इसके कारण हो सकते हैं। लेकिन साथ ही बेड पर सही तरह से परफ़ॉर्म (प्रदर्शन) नहीं कर पाने का तनाव या भय भी इसके कारण हो सकते हैं।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारणों की पड़ताल करते हुए डॉक्टर पुरुषों में तीन तरह के इरेक्शन को वर्गीकृत करते हैं -एक जो नींद के दौरान पुरुषों में होता है, दूसरा जो किसी तरह की मानसिक उत्तेजना ( फैंटेसी) के दौरान होता है और तीसरा जो स्पर्श के कारण होता है।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के निदान के लिए बहुत ज़रूरी है कि इसका कारण पता लगाया जाए और उसे दूर करने की कोशिश की जाए। इसके लिए ज़रूरी है जीवनशैली में बदलाव, संतुलित भोजन, और सिगरेट छोड़ना। कई बार इरेक्टाइल डिसफंक्शन को दवाओं जैसे वियाग्रा से भी क़ाबू किया जा सकता है पर ज़रूरी है कि इस समस्या की जड़ तक पहुंचा जाए। हर प्रकार के इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज़ दवाओं से नहीं किया जा सकता है और सर्जरी या इंजेक्शन की ज़रूरत पड़ती है। यह ज़रूरी है कि डॉक्टर से इलाज़ के सभी उपायों पर बात की जाए।
लिबिडो का कम होना या काम वासना में कमी
लीबिडो का कम होना सेक्सुअल इच्छा का का बहुत कम होना या बिल्कुल नहीं होना।
यह ज़्यादातर मनोवैज्ञानिक कारणों के कारण या शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन नहीं पैदा करने के कारण होता है।
लिबिडो का कम होना बड़ी उम्र के पुरुषों में या बहुत अधिक शराब का सेवन करने वाले या कुपोषित व्यक्तियों में बहुत आम है। सिगरेट और ड्रग्स भी इसके कारण हो सकते हैं। प्रोस्टेट कैंसर के इलाज़ के लिए चलने वाली दवाएं भी इसकी वजह हो सकतीं हैं। कामवासना में कमी का एक कारण तनाव, अवसाद और रिश्तों की वजह से आने वाली समस्याएँ भी हो सकतीं हैं। काम वासना में कमी आने पर पुरुष किसी भी प्रकार के शारीरिक संपर्क से बचने लगते हैं और अपने साथी से सेक्स पर बात करने से कतराते हैं,
कम लिबिडो की समस्या से निबटने के लिए चिकित्सक सबसे पहले समस्या की जड़ तक जाते हैं और उस अनुसार उपचार करते हैं। इसके अंतर्गत मनोवैज्ञानिक सलाह और दवाओं में बदलाव भी किया जाता है।
दर्द, जलन और रक्त स्त्राव (ब्लीडिंग)
दर्द, जलन और रक्तस्त्राव होने का मतलब है कि कुछ गलत है। कई बार संभोग के दौरान गुप्तांग के इरेक्शन, पेनिट्रेशेन और स्खलन में दर्द महसूस हो सकता है। गुप्तांग या अंडकोश के आस पास खून या स्खलन के दौरान वीर्य में खून आ सकता है। जलन ज़्यादातर सेक्स के बाद महसूस हो सकता जो अधिक घर्षण के कारण होता है।
इसका कारण एस टी आई या कोई अन्य इन्फेक्शन हो सकता है या फिर किसी ख़ास चीज़ मतलब ल्यूब या कॉन्डोम से एलर्जी भी इसका कारण हो सकता है। जलन का कारण पार्टनर के वेजाइना (योनि) का बहुत सूखा होना या फिर गुदा मैथुन (ऐनल सेक्स) के दौरान पर्याप्त चिकनाई का इस्तेमाल नहीं करना भी हो सकता है।
अगर लगातार संभोग के दौरान ऐसी दिक़्क़तें महसूस हो रहीं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए ताकि कोई गंभीर समस्या नहीं हो। समस्या का सही कारण जानकार तुरंत उसका इलाज़ ज़रूरी है।
पेरोनी रोग ( लिंग का टेढ़ापन)
पेरोनी रोग का अर्थ है लिंग का टेढ़ापन जिसके कारण इरेक्शन या स्तंभन के दौरान दर्द का अनुभव होता है। यह किसी दुर्घटना के कारण हो सकता है। यह उन पुरुषों में आम है जो कुछ ख़ास मेडिकल स्थितियों से गुज़र रहे होते हैं। यह समस्या उनमें आनुवांशिक भी हो सकती है। कई बार यह समस्या कुछ महीनों या सालों के बाद बिना उपचार के भी ख़त्म हो जाती है लेकिन कई बार सर्जरी या इंजेक्शन द्वारा ही इसके कारणों का उपचार किया जा सकता है ।
रेट्रोग्रेड एजकुलेशन (प्रतिगामी स्खलन )
इसमें स्खलन के बाद वीर्य लिंग (पेनिस) से बाहर आने के बजाए मूत्राशय की ओर चला जाता है। यह उन पुरुषों में आम है जिनकी तंत्रियाँ मधुमेह के कारण क्षतिग्रस्त हो जातीं हैं। कई बार यह पेट के आसपास होने वाले किसी ऑपरेशन की वजह से भी ऐसा हो सकता है।