क्या अंतर है - एसटीडी या एसटीआई?
यौनसंचारित रोग (एसटीडी) और यौनसंचारित संक्रमण (एसटीआई) में क्या अंतर है? आपको यौनसंचारित संक्रमण (एसटीआई) तब होता है, जब आप असुरक्षित सेक्स करते समय जीवाणु (बैक्टीरिया), विषाणु (वायरस) या परजीवी (पैरासाइट) द्वारा संक्रमित होते हैं। जब संक्रमण बढ़कर ऐसा रूप ले लेता है जिससे आपके लिंग या योनि से असामान्य स्राव होने जैसे लक्षण होने लगते हैं, तो कहा जाता है कि आपको यौनसंचारित रोग (एसटीडी) हो गया है।
आमतौर पर कहा जाए तो एसटीआई और एसटीडी में अंतर केवल लक्षण का है। दोनों ही स्थितियों में आप संक्रमित होते हैं और किसी दूसरे को संक्रमित कर सकते हैं। आसानी से समझने के लिए लव मैटर्स में हम एसटीडी शब्द का ही उपयोग करेंगे।
तीन प्रकार के यौनसंचारित रोग होते हैं- जीवाणुओं से होने वाले (बैक्टीरियल), विषाणुओं से होने वाले (वायरल) और परजीवियों से होने वाले (पैरसिटिक)।
कुछ प्रकार के संक्रमण, जैसे कि बैक्टीरियल-वेजिनोसिस और कैन्डिडा (फंगल संक्रमण) होने से यौनसंचारित रोग आसानी से पकड़ सकता है।
यदि आप किसी खास एसटीडी के बारे में अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो उस पर क्लिक करें। वहां आपको, यह कैसे होता है; इससे कैसे बचा जा सकता है; इसके लक्षण क्या हैं और इसकी जांच किस प्रकार कराई जाए एवं इलाज किस प्रकार किया जाए, आदि के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी।
जीवाणुओं से होने वाले यौनसंचारित रोग (बैक्टीरियल एसटीडी) जीवाणुओं से होते हैं: क्लैमिडिया गोनोरिया, सिफि़लिस।
विषाणुओं से होने वाले यौनसंचारित रोग (वायरल एसटीडी) विशाणुओं से होते हैं। जननांगों पर होने वाले दाने (ह्यूमन पैपीलोमावायरस, एचपीवी) जननांगों पर छाले (हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस, एसएसवी-1, एसएसवी-2), पानी से भरे दाने (मोलस्कम कॉन्टेजिओसम), हेपिटाइटिस-बी, एचआईवी (जिससे एड्स होता है)।
परजीवियों से होने वाले यौनसंचारित रोग (पैरासिटिक एसटीडी): परजीवियों के कारण होते हैं: ट्राइकोमोनिएसिस, जननांगों के आस-पास जूएं, खुजली।
दूसरे संक्रमण जिनके कारण यौनसंचारित रोग आसानी से लग सकते हैं: बैक्टीरियल वेजिनोसिस, कैन्डिडा (फफूंद के कारण होने वाला संक्रमण)। कुछ एसटीआई के बारे में सबसे अजीब बात यह है कि ये बिना किसी लक्षण दिखाई दिए भी आपके अंदर मौजूद हो सकते हैं, इसलिए आपको महसूस भी नहीं होता कि आपको संक्रमण है। लेकिन यदि आपको संक्रमण नज़र आते हैं, तो अपने डाॅक्टर या स्वास्थ्य सुविधा प्रदाता से उनकी जांच कराना ज़रूरी है।
महिलाओं में यौनसंचारित रोगों (एसटीडी) के आम लक्षण हैं:
- पेशाब करते समय दर्द
- सेक्स करते समय दर्द
- आपके मासिक धर्म के बीच या सेक्स करने के बाद खून आना
- योनि से पीले, हरे या खूनी रंग का स्राव
- योनि से तेज बदबू
- भगोष्ठ, वल्वा या योनि के आस-पास बालों में खुजली
- गुदा से स्राव
- जननांगों या गुदा के आस-पास फोड़े, घाव, दाने या छाले
- पेट में दर्द
पुरुषों में यौनसंचारित रोगों के आम लक्षण हैं:
- पेशाब या सेक्स करते समय दर्द
- लिंग अथवा गुदा से स्राव (रिसाव)
- जननांगों या गुदा के आस-पास फोड़े, घाव, दाने या छाले
- एक या दोनों अंडकोषों में दर्द
अनदेखी न करें
यदि आपको कोई लक्षण नज़र आते हैं, अथवा आप समझते हैं कि आपको यौनसंचारित रोग हो सकता है (क्योंकि आपने असुरक्षित सेक्स किया है), तो इसकी अनदेखी न करें!
डाक्टर से मिलने के लिए समय लें या एसटीडी क्लीनिक जाएं।
यदि आप जल्दी इलाज शुरू कर देते हैं, तो अधिकांश यौनसंचारित रोग आसानी से ठीक हो जाते हैं। यदि इनका इलाज नहीं कराया जाता है, तो यौनसंचारित रोगों, जैसे क्लैमिडिया के कारण प्रजनन में असमर्थ (बांझपन) हो सकते हंै, अथवा ये (एचआईवी) जानलेवा साबित हो सकते हैं।
क्लैमिडिया
गोनोरिया
सिफि़लिस
जेनिटल वार्ट्स
जेनिटल हर्पीज़
वाटर वार्ट्स
हेपिटाइटिस-बी
एचआईवी
ट्राइकोमोनिएसिस
प्यूबिक लाइस
स्कैबीज़
बैक्टीरियल वेजिनोसिस
कैन्डिडा