आजकल बहुत से परिवारों में नज़दीकी रिश्तों में यौन संबंध आपसी सहमति से बनाए जाने लगे हैं और जब से सुप्रीम कोर्ट द्वारा IPC की धारा 497 को खत्म किया गया है और इसे कानूनी रूप से वैध करने के कारण पारिवारिक व्यस्क सदस्यों के बीच सेक्स रिश्ता कायम होने लग गया है और अब धीरे धीरे इसमें काफ़ी बढ़ोतरी देखने को मिलने लगी है. मेरे विचार से परिवार में माँ-बेटे,भाई-बहन और बाप-बेटी में आपसी सहमति द्वारा सेक्स संबंध को पूर्णतः स्वीकर किया चाहिए और ऐसे रिश्तों को सम्मान और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए जिससे इन रिश्तों की गरिमा बरकरार रखी जा सके तथा इसकी सामाजिक व धार्मिक रूप से मान्यता मिलनी चाहिए जिससे समाज में यौन शोषण तथा बलात्कार जैसे कुकृत्य को रोका जा सके और लोगों में स्वस्थ मानसिकता का माहौल बनाया जा सके. सर्वप्रथम सभी वर्गों में स्वेच्छा से कौटुंबिक संभोग की इज़ाज़त मिलनी चाहिए और इन रिश्तों को पूर्णतः मान्यता दी जानी चाहिए जिससे समाज में कुप्रथाओं और कुरीतियों को दूर किया जा सके. धार्मिक और नैतिक मूल्यों में थोड़ा बदलाव सामाजिक विकास की दिशा में एक अहम भूमिका निभा सकता है,जो अनुकरणीय उदाहरण होगा आने वाली सभी पीढ़ियों के लिए. वर्तमान में समाज में कई रिश्तों को ग़लत समझा जाता रहा है मगर धीरे-धीरे उनकी प्रति लोगों की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है और आने वाले समय में ऐसे रिश्ते और बढ़ते जाएंगे. परिवार में माँ बेटे , भाई बहन , बाप बेटी में सेक्स संबंध कायम होने से लोगों की मानसिकता में बदलाव देखने को मिल रहा है जिसमें पहले यह कहा जाता था कि "परिवार के सदस्यों के मध्य शारीरिक संबंध कायम नहीं होना चाहिए क्यूँकि इसे धर्म, संस्कृति और नैतिकता का हवाला देते हुए वर्जित माना गया है"

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