Love Matters

पॉर्न फ़िल्मो में लड़कियां बहुत पसंद हैं, असली ज़िन्दगी में बात नहीं होती!

Submitted by Auntyji on गुरु, 08/04/2016 - 01:35 बजे
आंटी जी, मेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही। मैं पोर्न देखने के बाद उत्तेजित तो हो जाता हूं लेकिन रियल लाइफ में किसी लड़की के करीब नहीं हूं ना ही किसी लड़की से बात कर पाता हूँ। मेरे साथ ही ऐसा क्यों है? मयंक (24), मुंबई

आंटीजी कहती हैं... हाहाहा, तुम्हें क्या लगता है मयंक? तुम्हें सेक्स पसंद है और अच्छी बात यह है कि तुम उसे स्वीकार करते हो - लेकिन केवल रील लाइफ में जैसे कि पोर्न में होता है! कोई तो बात है, आओ तुम्हारी समस्या पर बात करते हैं...

सिनेमा के प्यार के लिए

बेटा, मुझे यह पढ़कर अच्छा लगा कि तुमने यह बात मानी कि तुम्हें पोर्न पसंद है! दरअसल बहुत से लोग पोर्न देखते हैं और यह बात हम सभी यह जानते हैं। पोर्न की भूमिका हमारी संस्कृति को भ्रष्ट और नष्ट करने की नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य तो लोगों की सेक्स से जुड़ी रुकावटों को दूर करने में मदद करना होना चाहिए।

पोर्न का इस्तेमाल खुद के आनंद के लिए करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि तुम्हे यह एहसास होगा कि यह सिर्फ़ एक फिल्म है न कि 'एनसाइक्लोपीडिया ऑफ एथिकल इंफॉर्मेशन एंड नॉलेज ऑन कॉपुलेशन'। है ना? इसके अलावा, यह भी याद रखो कि हम फिल्मों की दुनिया में नहीं जीते हैं। चलो जी, अब शायद मेरी बात तुम समझ रहे होगे।

कब तक छिपोगे  

अब रियल लाइफ में लड़कियों से तुम्हें क्यों घबराहट होती है और रील लाइफ में लड़कियां तुम्हें उत्तेजित करती हैं? इसके कई कारण हो सकते हैं, आओ कुछ कारणों को जानें। सबसे पहले, तुम एक शर्मीले लड़के हो। तुम्हें लोगों से, ख़ासकर लड़कियों से बात करना मुश्किल लगता है। क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें कोई यौन व्यवहार शामिल हैं? यार, सारे रिश्ते सेक्सुअल नहीं होते, है ना? कुछ लड़कियां सिर्फ़ बहुत अच्छी दोस्त हो सकती हैं। क्या तुम्हारी ऐसी किन्ही लड़कियों से दोस्ती है? नहीं हैं तो जाओ और पहले कुछ लड़कियों को दोस्त बनाओ।

हर लड़की को सेक्स की नज़र से नहीं देखना चाहिए और ना ही उसे इस नजर से आंकना चाहिए। उनमें से कुछ तुम्हरी सहपाठी, सहकर्मी, या तुम्हारे साथ घूमने वाली ग्रुप की सदस्य हो सकती हैं। अरे, कभी-कभी तुम भी उनके टाइप के नहीं हो सकते हो, इसलिए थोड़ा रिलैक्स रहो! बाहर निकलो, दोस्त बनाओ, दोस्ती करो और लड़कियों से जुड़े इस डर को दूर करो।

मुझे जज मत करो

दूसरा कारण यह हो सकता है कि तुम जज किए जाने की चिंता कर रहे हो। क्या तुम्हारे दिमाग में हमेशा इस तरह के सवाल दौड़ते रहते हैं, “क्या वह मुझे पसंद करेगी? क्या मैं उतना कूल हूं? क्या कल रात जो मैंने पोर्न देखी वह मुझसे उसी एक्टर की तरह बनने की उम्मीद करेगी? बिलकुल नहीं! मयंक, तुम्हें तब तक पता नहीं चलेगा जब तक तुम उन्हें जानने की कोशिश नहीं करोगे। अपने दोस्तों के ग्रुप को और बढ़ाओ और सिर्फ़ लड़कों तक ही सीमित न रहो।

बेटाजी, हम सभी को जज किए जाने से डर लगता है। मोटे, काले, दलित, समलैंगिक, गरीब, सरकारी स्कूल के छात्र, छोटे शहर के लड़के सबको।

इस लिस्ट का कोई अंत नहीं है! अपने साथ ऐसा मत होने दो। एक बार जब लोग तुम्हें जान लेंगे, तो वे भी तुम्हारा स्वागत करना शुरू कर देंगे और तुम्हें अपने साथ शामिल करेंगे। तुम भी अपने आप को, अपने जीवन की कहानियों को उनके साथ शेयर कर सकते हो - और मयंक, तुम्हारे पास ऑफर करने के लिए और भी बहुत कुछ है जैसे कि, , "आओ और मेरी पोर्न लाइब्रेरी का कभी भी इस्तेमाल करो!" फिर देखना तुम्हारे कितने दोस्त बनते हैं लेकिन उनमें से कितनी लड़कियां सिर्फ़ दोस्त बनेंगी या गर्लफ्रेंड बनेंगी यह मैं नहीं बता सकती ।

सब कुछ तो है 

मेरे एक करीबी दोस्त की एक प्यारी सी बेटी है। वह भी मुझसे कई तरह की सलाह लेती रहती है। मैंने उससे पूछा, “तुम्हारे दोस्त कहां हैं? तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड फॉरएवर और तुम्हारा बॉयफ्रेंड? तो उसने बताया की, "मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है, मेरे पास मेरी किताबें हैं!" इतना ही नहीं, वह आगे बढ़ी और उपन्यासों, किताबों और प्रेम कहानियों से भरी एक और दराज खोलकर दिखाने लगी। सात साल से वह ऐसी किताबें पढ़ना पसंद करती है। अब इस चीज़ के लिए तुम उसे क्या कहोगे?

कहानी का दूसरा पहलू यह है कि उसका वजन थोड़ा अधिक है। क्या इससे तुम्हें उसके बारे में कुछ और पता चलता है? क्या यह भी तुम्हारी पोर्न देखने की लत जैसा नहीं है? मैं यह नहीं कह रही हूं कि तुम्हें जो पसंद है वो चीज पढ़ना या देखना कोई बुरी बात है। मैं सिर्फ इतना कह रही हूं कि अपनी फैंटेसी की दुनिया में आराम से बैठे हुए कम्फर्ट जोन में जीना बहुत आसान है। किसी चीज की डिमांड नहीं, न किसी से घंटों बात करना है, ना किसी को किस करने के लिए 100 बार कॉल करना है, ना किसी के बर्थडे की टेंशन ना ही अपने पार्टनर को पहली बार गले लगाने या साथ में पहली फिल्म देखने या एनिवर्सरी के बारे में टेंशन लेने की जरूरत है।

ना आपको वैलेंटाइन डे पर पैसे बर्बाद करने की जरूरत है ना ही हर दूसरे तीसरे दिन या दिन में तीन बार शॉपिंग के खर्चों की टेंशन लेनी है। तो आपको हर चीज सही लगेगी ही किसी आदमी को और क्या चाहिए? सब कुछ तो है आपके पास, है ना? 

आखिरी लेकिन काम की बात 

हम सब सामाजिक प्राणी हैं, मयंक। हमें लोगों की ज़रुरत है। रील लाइफ के साथ जो तुम्हारा प्यार है उसे बनाए रखो लेकिन साथ में कोशिश करो कि तुम अपने उस सेफ और वर्चुअल जोन से बाहर निकल सको। ये दुनिया खूबसूरत लोगों से भरी पड़ी है यहाँ करने को बहुत कुछ है। दुनिया इंतज़ार कर रही है कि तुम अपनी गुफा से बाहर निकलो और दुनिया को दिखाओ कि तुम क्या हो , क्या कर सकते हो …अपनी कहानी खुद सुनाओ लोगों को ना कि उस फिल्म की कहानी जो लास्ट नाईट तुमने देखी है! बंद करो अपना लैपटॉप और निकलो घर से बाहर अभी!

लेखक की गोपनीयता बनाये रखने के लिए तस्वीर में एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया है!

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