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क्या मुझे अपने दूरी के प्रेम सम्बन्ध को ख़त्म कर देना चाहिए?

Submitted by Auntyji on मंगल, 05/01/2012 - 12:36 बजे
हम करीब एक साल से साथ है। लेकिन अब मुझे ऐसा लगने लगा है की वो मुझसे ज़्यादा अपने काम, दोस्तों और परिवार पर ध्यान देता है। मैं पूरे दिल से उसे प्यार करती हूँ लेकिन मुझे ऐसा  लगता है की इस रिश्ते से मुझे कुछ नहीं मिल रहा है।  क्या मुझे फिर भी इस रिश्ते में रहना चहिये या उसे छोड़ देना चाहिए? प्रीती, सूरत

आंटी जी कहती हैं...प्रीती पुत्तर, जान मेरी, मैं तेरी हालत समझती हूँ। दूरी वाले प्रेम सम्बन्ध मुश्किल तो होते हैं। वो क्या कहते हैं..."बस जी, ये सब के बस की बात नहीं है।"

देख, सबसे पहले तू ये जानने की कोशिश कर की तुम दोनों साथ क्यूँ हो - और ये समझने की कोशिश कर की तुम्हारा साथ कब और कैसे शुरू हुआ। क्या तुम्हारा कोई दीर्घकालीन, ओये मतलब लम्बे समय का प्लान है? क्या इस परेशानी के हल हो जाने के बाद तू अपने साथी के साथ ये रिश्ता आगे बढ़ाएगी?

असली वजह

पुत्तर जी, ये तो मैं भी जानती हूँ की अगर साथी दूर हो तो अपने रिश्ते को चलाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। तेरे अंकल भी बहुत महीनो तक काम की वजह से बाहर रहते थे। लेकिन मैं तुझसे पूछना चाहता हूँ की तू ऐसा क्यूँ महसूस कर रही है? क्या इसलिए क्यूंकि तुम दोनों एक दुसरे को समय नहीं दे पा रहे हो? क्या तेरी उम्मीदें बढ़ गयी है? या तू सिर्फ इसलिए निराश है की तुम दोनों एक दुसरे से ज़्यादा मिल नहीं पा रहे हो?

दूरी वाले रिश्ते मुश्किल तो होते हैं, और ये कोई रूह अफज़ा का ग्लास भी नहीं, ओये, मतलब समझ गयी ना की मैं क्या कह रही हूँ। लेकिन अगर तूने अपने रिश्ते को लेकर लम्बा प्लान बना लिया है, और चाहे कुछ भी हो, अपने रिश्ते को कैसे भी करके सफल बनाना चाहती है, तो बस तुझे थोड़ा धीरज रखने की ज़रूरत है। ओये होए धीरज से याद आया, धीरज नाम का बड़ा ही सोणा मुंडा रहता था हमारी ही गली में।

खुलकर बात कर

ऐसी कोई भी चीज़ नहीं जो दो लोग मिलकर बातचीत से सुलझा न सके। अच्छा, शायद ये थोड़ा ज्यादा हो गया, लकिन नज़दीकी रिश्ते में बहुत सारी ऐसी परेशानियाँ होती हैं जिनका हल बातचीत से ज़रूर निकल सकता है। थोड़ा टाइम निकाल, अपने साथी को लम्बी चिट्ठी या ईमेल लिख, और अपनी परेशानियों के बारे में खुल कर बता।

हाँ या ना

ये खुद से बातचीत करने की तरह है। पुत्तर, तुझे सबसे पहले अपने आप से पूछना है की क्या ये रिश्ता वाकई निभाने लायक है भी या नहीं। क्या तुझे इतनी जी-जान एक ऐसे रिश्ते में लगानी चाहिए जिसपर तुझे पूरी तरह से विश्वास भी नहीं? या तो तुझे पता चल जायेगा की हाँ, ये रिश्ता मज़बूत है या फिर की ये रिश्ता मज़बूत नहीं है, और फिर शायद तुझे अपना फैसला लेने में आसानी होगी।

तुझे पता है पुत्तर, बहुत से लोग अपने रिश्ते की परेशानियों को तब तक सामने नहीं लाते जब तक वो बिलकुल ही बर्बाद न हो जाये, और उस वक्त रिश्ते को संभालना नामुमकिन हो जाता है। मेरी सलाह तो ये है बेटा जी, की सबसे पहले तू ना अपने आप से पूछ की तू इस रिश्ते को कितनी दूर तक जाते देख पा रही है और इस रिश्ते में तेरी क्या जगह है।

उम्मीदों पर दोबारा गौर करना

शायद तुम दोनों की प्राथमिकताए, ओये मतलब प्राइऑरटी मेल नहीं खाती। और शायद तुझे पता ही नहीं है की तेरा साथी तुझसे क्या उम्मीदें रखता है। ये परेशानी सिर्फ तभी सुलझ सकती है जब तुम दोनों एक दूसरे से खुल कर बात करो। शायद इसी तरह तो तुम दोनों साथ आये थे। क्यूँ, प्रीती पुत्तर? उसको बता की तू क्या सोचती है। गुस्सा न दिखा, लेकिन बिना झिझक अपनी बात बता। जैसा की तू कह ही रही है, तुझे भी उस से बहुत कुछ चाहिए।

और पुत्तर, मेरी आखिरी सलाह ये है की तू अपने बॉय फ्रेंड के साथ बैठकर ये बात कर की सही उम्मीदें क्या होनी चाहिए एक दूरी वाले रिश्ते में।

बहुत सारे लोगों को साथ में रहकर दूरी हो जाने वाले रिश्तों में बहुत परेशानियाँ आती है क्यूंकि वो अपने साथी से वही उम्मीदें रखते है जो तब थी जब वो आस-पास रहते थे। बेटा, ये ही तो सारी परेशानी की जड़ होती है। जान मेरी, ठंडी सांस ले, अपने रूह अफज़ा में बहुत सारी बर्फ डाल, और सोच की तेरे लिए ये रिश्ता क्या मायने रखता है!

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