गर्भनिरोधकों की सूची में दिए गए उपाय, वास्तविक जीवन में इनकी कार्यकुशलता को दिखाते हैं- इन्हें इस सूची में ‘साधारण तरीके से प्रयोग किए जाने पर इनकी कार्यकुशलता के क्रम में रखा गया है।
अगर इन गर्भनिरोधकों को सही इस्तेमाल किए जाने के आधार पर क्रमवार रखा जाए तो इनमें से कई उपाय इस सूची में कहीं ऊपर आ जाएंगे।
‘आम तौर’ और ‘सही’ प्रयोग में क्या अंतर है
यदि आपको नियमित रूप से गोली खाना या पैच चिपकाना याद रखने की कोशिश करनी पड़े तो ‘साधारण’ प्रयोग पर कार्यकुशलता 'सही प्रयोग‘ की तुलना में काफी कम होगी।
आम तौर पर लोग अक्सर भूल जाते हैं।
कंडोम या डायफ्राम जैसे गर्भनिरोधक का प्रयोग करते समय लोग कभी इन्हें सही तरीके से पहनने में गलती कर देते हैं।
गर्भधारण से बचना - सेक्स से बचना
गर्भधारण से बचने का एक सरल उपाय है सेक्स न करना या कम से कम योनि सेक्स न करना।
यदि इस उपाय का ‘सही’ तरीके से प्रयोग किया जाए तो इसकी विफलता की दर ‘शून्य’ या बिलकुल न के बराबर होती है।
लेकिन लोगों द्वारा बिलकुल सही तरीके से प्रयोग न कर पाने पर स्थिति दूसरी ही होती है और ऐसा होने पर इस गर्भनिरोधक उपाय की तुलना दूसरे तरीके से नहीं की जा सकती।
यही कारण है कि इस उपाय को गर्भनिरोधक उपायों की कार्य कुशलता की क्रमवार सूची में शामिल नहीं किया गया है। सेक्स करने की अगली सुबह ली जाने वाली आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली के मामले में भी ऐसा ही है।
‘‘विफलता की दर’’ का क्या मतलब होता है?
अगर 100 महिलाएं गर्भनिरोधक के किसी एक उपाय को एक वर्ष तक प्रयोग करें, तो उन सौ महिलाओं में से गर्भवती होने वाली महिलाओं की संख्या इस गर्भनिरोधक उपाय की विफलता दर होती है।
जैसे, अगर 100 महिलाएं एक साल तक हर बार सेक्स करते समय कंडोम का प्रयोग करें, तो साधारणतया उनमें से 14 गर्भवती होती हैं। इसलिए कंडोम की विफलता दर 14 प्रतिशत कही जा सकती है।
(अगर हर बार कंडोम का बिलकुल सही तरीके से प्रयोग किया जाए, तो सभी गलतियों के होने पर भी केवल 3 महिलाएं ही दुर्घटनावश गर्भवती होंगी।)
तुलना करने के लिए, यदि 100 महिलाएं एक वर्ष तक बिना किसी गर्भनिरोधक उपाय का प्रयोग करते हुए सेक्स करती रहें तो औसतन उनमें से 85 गर्भवती हो जाएंगी।
इसलिए आप यह भी कह सकते हैं कि बिना किसी सुरक्षा उपाय के सेक्स करते रहने पर विफलता की दर 85 प्रतिशत होती है।