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गर्भावस्था के प्रतिकूल प्रभाव

सबसे पहले यह बात साफ कर देनी ज़रूरी है कि आप गर्भवती हैं, बीमार नहीं।

किंतु जैसे-जैसे आपके शरीरे में बदलाव आते हैं और वह जन्म देने के लिए तैयार होता है, कुछ प्रतिकूल प्रभाव होते हैं, जिन्हें आप नहीं चाहतीं।

आपको ये सभी प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं या हो सकता है कि कोई भी नहीं। लेकिन वे कौन सी बातें हैं, आपको जिनका सामना करना पड़ सकता है, जब आप गर्भवती होती हैं?

गर्भावस्था के प्रतिकूल प्रभाव

सुबह के समय तबियत खराब होना
गर्भधारण होने की पहली निशानियों में एक है, सुबह में उबकाई आना, जिसे ’माॅर्निंग सिकनेस‘ का नाम दिया गया है। वास्तव में यह प्रचलित नाम सटीक नहीं है, क्योंकि आप को दिन में कभी भी उबकाई महसूस हो सकती है, खासकर तब जब आपका पेट खाली हो।

यह उबकाई, गर्भावस्था के दौरान एचजीसी हाॅर्मोन के कारण महसूस होती है- वही जो गर्भधारण जांच में अधिक बढ़ा हुआ पाया जाता है।

यह समय से पहले आपके गर्भधारण को समाप्त होने से रोकने में महत्वपूर्ण कार्य करता है। लेकिन इसका प्रतिकूल प्रभाव यह है कि यह आपको काफी उबकाई महसूस करवाता है।

लगभग 12 सप्ताह से यह तबियत का खराब होना कम होने लगता है, और 16वें सप्ताह तक पूरी तरह खत्म हो जाता है, क्योंकि एचएसजी हाॅर्मोन ने अपना काम पूरा कर दिया है और आपका शरीर इसे बनाना बंद कर देता है।

कुछ महिलाओं को गर्भधारण के पहले सप्ताह में बहुत कम या बिलकुल भी उबकाई नहीं आती है। जबकि दूसरी महिलाएं कोई भी काम नहीं कर पाती हैं क्योंकि उनकी तबियत हमेशा ही खराब बनी रहती है। थोड़ा-थोड़ा और बार-बार कुछ खाने और खाली पेट न रहने से इसमें कुछ राहत मिल सकती है।

तुनकमिजाज़ होना
गर्भधारण के पहले महीने में, आपके अंदर विभिन्न कारणों से कई प्रकार की भावनाएं घेरे रहती हैं। लेकिन अपने मासिक धर्म आने के समय की तरह ही गर्भधारण का पहला महीना आपको तुनकमिजाज़ और चिड़चिड़ा बना देता है। छोटी-छोटी बातों से आप खुश और दुखी होने लगती हैं।

थकान महसूस होना
अपने गर्भ में भ्रूण के विकास के लिए आपको काफ़ी अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है, आपको आम दिनों से बहुत अधिक थकान महसूस हो सकती है।

जब आप गर्भवती हैं तो आपको आम दिनों से अधिक आराम और नींद की ज़रूरत होती है। दूसरी ओर कुछ महिलाएं गर्भवती हाने पर अधिक ऊर्जावान हो जाती हैं। यदि आपको भी ऐसा लगता है तो आनंद उठाएं- यदि आपको आराम करने की ज़रूरत नहीं महसूस होती तो ऐसा करने का कोई औचित्य नहीं है।

’यदि आराम करने की ज़रूरत महसूस हो तो आराम करें और यदि काम करने का मन करे तो काम करें।

भूख लगना
खासकर गर्भावस्था के पहले महीने के दौरान आपको बहुत अधिक भूख लग सकती है- हां, साथ ही कभी-कभार उबकाई भी आ सकती है। पुरानी कहावत कि ‘आपको दो के लिए भोजन करना चाहिए’ वास्तव में सच नहीं है, बस आपको सामान्य, स्वास्थ्यवर्धक आहार लेने की ज़रूरत है।

यदि आपका वज़न थोड़ा बढ़ जाता है तो चिंता न करें- कई महिलाओं मे ऐसा होता है। बाद मे जब बच्चा तेज़ी से बढ़ना षुरू कर देता है, तो आपका वज़न अपने-आप कम हो जाएगा।

बार-बार टॉयलेट जाना
गर्भावस्था के आरंभिक दिनों में, गर्भाशय तेज़ी से फैलता है और आपके मूत्राशय (ब्लैडर) पर दबाव डालने लगता है। इससे आपको बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है। बाद में गर्भाशय ऊपर की ओर बढ़ने लगता है तब यह आपके मूत्राशय पर उतना दबाव नहीं डालता। केवल गर्भावस्था के अंत में बच्चे का सिर आपके मूत्राशय पर फिर से दबाव डाल सकता है।

ऐंठन या मरोड़ (क्रैम्प्स)
जैसे-जैसे आपका गर्भाशय बड़ा होता जाता है, यह आपकी श्रोणि (पेल्विस) को पकड़े रहने वाले तंतुओं को नीचे खींचता है। इससे आपके पेट में छुरा भोंकने जैसी मरोड़ उठ सकती है।

स्तनों का बढ़ना
आपके बच्चे को दूध पिलाने के लिए आपके स्तन तैयार होने लगते हैं। गर्भावस्था के शुरू से ही आपके स्तन बढ़ने शुरू हो जाते हैं और कसे हुए तथा मुलायम लगते हैं। त्वचा के खिंचाव से खुजली जैसा भी महसूस हो सकता है।
 
आपके स्तन के अंदर की नसें बड़ी होने लगती हैं, अतः यदि आपकी त्वचा का रंग पीला है, तो वे दिख भी सकती हैं। जब आप स्तनपान कराना बंद कर देती हैं तो वे सूख जाती हैं- हालांकि इस अवधि (स्तनपान कराना) के बीत जाने पर आपके स्तनों का आकार कुछ अलग हो गया होगा।

जब आप गर्भवती हों तो आपको एक अच्छी और स्तनों को संभाले रखने वाली ब्रा की ज़रूरत हेाती है, जिससे कि आपके स्तन सहज रह सकें और ढीले नहीं पड़ें।

खासकर जब यह आपका पहला बच्चा होता है, तो आपके स्तनों के आगे निपल कुछ अधिक बड़े हो जाते हैं, जिससे बच्चा उनको आसानी से मुख में ले सके। वे अधिक मुलायम भी हो सकते हैं। इन निपल के आस-पास की जगह- एरिओला, भी चोंड़ा हो जाता है, और चमड़ी गहरे रंग की हो जाती है। उनमें कुछ उभार भी आ सकते हैं, ये ग्रंथियां हैं जो एक तरह का चिकना पदार्थ निकालती हैं जिससे आपके निप्पल की त्वचा कोमल बनी रहे।

कब्ज़
जब आप गर्भवती होती हैं, तो हर चीज़ ढीली होती है और खिंचती है- पहले बढ़ते बच्चे के लिए जगह बनाने के लिए, इसके फलस्वरूप बच्चे को बाहर निकलने के लिए आपकी गर्भग्रीवा और योनि खुल सकती है। जो हार्मोन ऐसा करने के लिए जि़म्मेदार होता है उसे प्रोजीस्टेरोन कहते हैं। दुर्भाग्य से इसके भी कुछ प्रतिकूल प्रभाव होते हैं।

आपके पेट की मांसपेशिया भी ढीली हो जाती हैं। इसका अर्थ है कि आपकी आंतो से खाना जल्दी नीचे नहीं जा पाता है जैसा आम तौर पर होता है। आपका मल कड़ा हो जाता है और आपको कब्ज़ हो सकता है।

बवासीर और नसें बाहर दिखना
प्रोजीस्टेरोन का दूसरा प्रतिकूल प्रभाव (साइड एफेक्ट्स): यह आपकी नसों को भी ढीला कर देता है। साथ ही जब आप गर्भवती होती हैं तो आपके शरीर में रक्त संचार बढ़ जाता है। इससे आप के पैरों की नसें बाहर से दिख सकती हैं- आपकी मुलायम हुई नसों में रक्त का अतिरिक्त दबाव उन्हें खींचता है और वे आपकी चमड़ी के ऊपरी हिस्से पर आ जाती हैं। इससे आपको खुजली और असहज महसूस हो सकता है।

ये नसें जिस दूसरी घातक जगह आ सकती हैं, वह आपकी गुदा है। तब उन्हें हेमिराॅयड्स  या पाइल्स कहते हैं। इनमें खुजली होती है, आपकी गुदा के अंदर या बाहर तकलीफदेह मस्से निकल आते हैं। और यदि आपको कब्ज हो जाता है, तो धक्का मारने और खिंचाव से ये और भी खराब हालत में आ सकते हैं।

कुल मिलाकर प्रोजेस्टीरोन आपको लचीला बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करता है, जिससे कि आप का पेट बढ़ सके और आप बच्चे को जन्म दे सकें। लेकिन पीछे की ओर तकलीफ़ होना इसका प्रतिकूल प्रभाव है।