AJP/Shutterstock

ट्रांसजेंडर का क्या मतलब होता है?

कुछ लोग ट्रांसजेंडर होते हैं लेकिन वे उस रूप में नहीं पहचाने जाते हैं जिस लिंग के साथ वे पैदा होते हैं

ट्रांसजेंडर एक जटिल शब्द है जिसका अर्थ बहुत कुछ हो सकता है। एक ट्रांस महिला वह होती है जो पुरुष के रूप में पैदा होता है लेकिन महिला के रूप में पहचाना जाता है उसे महिला ट्रांसजेंडर कहा जाता है। एक ट्रांस पुरुष वह होता है जो महिला के रूप में पैदा होता है लेकिन पुरुष के रूप में पहचाना जाता है, उसे भी ट्रांसजेंडर कहते हैं।

इसलिए कोई ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह ना तो पुरुष होता है और ना ही महिला उन्हें तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गई है। समलैंगिकों की तरह ट्रांसजेंडर की कोई लैंगिक अनुरूपता नहीं होती है। ट्रांसजेंडर व्यक्ति पुरुष और महिला दोनों की तरफ आकर्षित हो सकता है।

ट्रांसजेंडर कोई स्टाइल नहीं है। यदि एक पुरुष महिलाओं के कपड़े पहनना पसंद करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह ट्रांसजेंडर या हिजड़ा है। कुछ लोग अपने विपरीत लिंग के लोगों के कपड़े पहनते हैं लेकिन वे उस लिंग से नहीं पहचाने जाते हैं।

इतिहास की प्रत्येक संस्कृति में में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का उल्लेख है। ट्रांसजेंडर व्यक्ति आमतौर पर उस लिंग के व्यक्तियों के कपड़े पहनते हैं, जिस रूप में वे पहचाने जाते हैं।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पहचान और उनका व्यवहार विशेषरूप से भारत में विस्तृत रूप से फैला हुआ है। समाज में उन्हें हिजड़ा के नाम से पुकारा जाता है। ट्रांसजेंडर के लिए यह एक बहुत छोटा लेकिन एक जटिल शब्द है। ट्रांसजेंडर के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप नीचे दी गयी संस्थाओं से संपर्क कर सकते हैं।

●          द हमसफर ट्रस्ट, एलजीबीटी के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए एक गैर सरकारी संगठन

●          ट्रांसजेंडर इंडिया, ट्रांसजेंडर समुदाय के सहायता और समर्थन के लिए एक ऑनलाइन फोरम

●          साथी,एचआईवी की रोकथाम के लिए काम करने वाला एक चैरिटेबल ट्रस्ट

ट्रांससेक्शुअल

ट्रांससेक्शुअल एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति ही होता है जो स्थायी रूप से अपना लिंग परिवर्तित करवा लेता है, जिसमें वह पहचाना जाता है। सर्जरी और हार्मोन चिकित्सा के द्वारा उसके शरीर में परिवर्तन कर उस लिंग से मिलाया जाता है जिस रूप में वह पैदा हुआ होता है। लिंग  परिवर्तित करवाने की इस प्रक्रिया में आमतौर पर कई साल लग जाते हैं।

थर्ड जेंडर

ज्यादातर ट्रांसजेंडर या ट्रांससेक्शुअल व्यक्ति, महिला या पुरुष के रूप में पहचाने जाते हैं लेकिन दूसरे लोग उन्हें इन दोनों से भिन्न रूप में अर्थात् थर्ड जेंडर के रूप में देखते हैं। हिंदू, जैन, बुद्धिस्ट धर्मग्रंथों और आमतौर पर भारतीय संस्कृति और यहां तक कि कामसूत्र में भी ट्रांसजेंडर के बारे में कई जगह उल्लेख किया गया है।

भारत पहला देश है जहां 2014 के न्यायालय के फैसले में थर्ड जेंडर को कानूनी रूप से पहचान मिल चुकी है। ट्रांसजेंडर लोग और हिजड़े अब अपने पासपोर्ट और सरकारी दस्तावेजों पर पुरुष और महिला के अलावा थर्ड जेंडर का चयन कर सकते हैं।

हालांकि थर्ड जेंडर के रूप में कानूनी मान्यता भारत जैसे देश में आये दिन ट्रांसजेंडरों के साथ होने वाले भेदभाव का हल नहीं है। जो लोग थर्ड जेंडर के अंतर्गत आते हैं वे अपना वैध जेंडर स्टेटस नहीं बदलवाना चाहते हैं क्योंकि आगे रोजगार, शादी और संपत्ति के अधिकारों में भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है।

हिजड़ा

हजारों वर्षों से हिजड़े भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। हिजड़ा व्यक्ति वह है जो पुरुष के रूप में जन्म लेता है लेकिन महिला या थर्ड जेंडर के रूप में पहचाना जाता है।

भारत में सभी ट्रांस व्यक्ति हिजड़ो के रूप में नहीं पहचाने जाते हैं। हालांकि कुछ धारणाओं के अनुसार ट्रांससेक्शुअल होना ही हिजड़ा होना है। दोनों पहचानों में अंतर होता है। कुछ हिजड़े अपने समुदाओं में एक साथ रहते हैं। वे महिलाओं की तरह कपड़े पहनते हैं। परंपरागत रूप से हिजड़ो ने कामुकता को पूरी तरह त्याग दिया है और समाज में उन्हें पवित्र रूप में देखा जाता है।

आज भारत में हिजड़े कई तरह के भेदभावों का शिकार हैं। इनमें से कुछ सेक्स वर्कर के रूप में काम करते हैं क्योंकि उनके लिए रोजगार का कोई अन्य माध्यम मौजूद नहीं है। वे अक्सर कानून के हाथों या स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अवहेलना का शिकार होते हैं।

किन्नर /शीमेल

शीमेल शब्द अंग्रेजी में उन ट्रांस महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हे लिंग के आधार पर जन्म के समय पुरुष करार दिया गया, पर वह खुद को महिला के रूप में पहचानती हैं और ऐसे में लिंग होते हुए वह बॉडी पार्ट्स की सर्जरी करवाती हैं, जैसे ब्रेस्ट को सर्जरी के माध्यम से शरीर में जुड़वाना| स्त्री और पुरुष दोनों के अंग होने के कारण ऐसे लोगों को शी (she) मेल (male) कहने का प्रचलन चालू हुआ | 

माना जाता है कि इस शब्द का उपयोग 19वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ| 1970 के दशक में  इसका इस्तेमाल मुखर 'बॉसी' महिलाओं के लिए किया जाने लगा। लेकिन इस शब्द का इसके यौन अर्थों  के साथ इस्तेमाल 1990 के दशक में शुरू हुआ और तब से इसे ट्रांस महिलाओं के एक विशिष्ट वर्ग को वर्णित करने के लिए होने लगा।

हालाँकि इस शब्द को बेहद अपमानजनक और गन्दा माना जाता है क्योंकि इसके इस्तेमाल अश्लील साहित्य और देह व्यापार में  होता आया है। तो एक ट्रांस महिला को शीमेल  कहने का मतलब है कि आप उन्हें जाने अनजाने देह व्यापार उद्योग का हिस्सा मान रहे हैं।

इसलिए इस तरह के मामले में - अनजाने में ही सही किसी को भी नीचा दिखाने से बचने के लिए सामाजिक रूप से स्वीकार्य नाम – ट्रांसवुमन है|

ट्रांसजेंडर और कानून

हाल के वर्षों में भारत में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए कानूनी अधिकारों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। भारत में ट्रांसजेंडर लोग अब महिला, पुरुष या ट्रांसजेंडर के रूप में अपनी पहचान का चयन कर सकते हैं और अपने आधिकारिक दस्तावेजों पर भी इसका उल्लेख करने की मान्यता उन्हें प्राप्त है।

वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में पहचान की मान्यता प्रदान की और इनके साथ शिक्षा, काम, स्वास्थ्य देखभालआवास और अन्य मूलभूत अधिकारों को प्राप्त करने में उत्पन्न होने वाली परेशानियों के समाधान के लिए कानूनी कार्यवाही की भी मांग की।

इस कानून को वर्तमान में ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ हिंसा और दुरुपयोग के अपराधीकरण के लिए पुनर्वितरण किया जा रहा है। साथ ही, कुछ क्षेत्रीय सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही हैं कि ट्रांसजेंडर लोग सामाजिक कल्याण योजनाओं से लाभान्वित होते रहें।