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पिल्स द्वारा अबॉरशन/मेडिकल गर्भ समापण कैसे होता है?

चिकित्सीय गर्भपात में पहले आप एक गोली खाती हैं, जो गर्भधारण रोकती है- यह उस हार्मोन को रोक देती है जो आप को गर्भवती बनाए रखता है।
  • आरंभिक मेडिकल गर्भपात (गर्भवती होने के शुरू के 9 हफ्तों के दौरान)

आरंभिक मेडिकल गर्भपात वैसा ही है जैसे कि आरंभिक प्राकृतिक गर्भपात होनाI इसके लिए दो गोलियां ली जाती हैं, माईफप्रिंसटोन और मिसोप्रोस्टोल जिन्हें 36-48 घंटो के बीच लेना होता हैI आप एक गोली की 200 मिलीग्राम की खुराक डॉक्टर के सामने क्लिनिक में ले सकते हैं और दूसरी आराम से अपने घर जाकरI पहली गोली यह सुनिश्चित कर देती है कि उर्वरित अंडा, गर्भाशय में ठीक से बैठ नहीं पाये, जबकि दूसरी गोली उसे बाहर की ओर धकेल देती हैI दूसरी गोली लेने के 4-6 घंटे के अंदर शरीर से सब कुछ बाहर निकल चुका होता हैI

आमतौर पर यह एक पीड़ारहित क्रिया होती है, लेकिन गोलियों की वजह से रक्तस्त्राव, शरीर में अकड़न, दस्त या उलटी की सम्भावना हो सकती हैI कई बार यह स्थिति वैसी प्रतीत होती है जैसे कि पीरियड के दौरान बहुत  दर्द होनाI यह भी हो सकता है बाहर निकल रहे खून के थक्कों में आपको भ्रूण का पता ही ना चले- वैसे भी पहले 8 हफ़्तों के दौरान यह एक छोटे अंगूर से बड़ा नहीं होता और शुरू में तो और भी छोटा होता हैI अगर अत्यधिक पीड़ा और रक्तस्त्राव हो तो निकटतम क्लिनिक या हस्पताल में संपर्क करेंI

  • विलंबित मेडिकल गर्भपात (गर्भधारण होने के 9 हफ्तों के उपरान्त

अगर गर्भवती हुए 9 हफ़्तों से ज़्यादा हो चुके हैं तो भी मेडिकल गर्भपात करवाया जा सकता हैI दोनों प्रक्रियाओं में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है बस विलंबित मेडिकल गर्भपात में मिसोप्रोस्टोल की खुराक बढ़ जाती हैI इसकी दो खुराकों के बीच में थोड़ा अंतराल होना ज़रूरी है इसीलिए इस प्रक्रिया में समय ज़्यादा लगता हैI 

कई बार गर्भनाल पूरी तरह से निकल नहीं पातीI ऐसा होने पर मरीज़ को बेहोश करके शल्य चिकित्सा के द्वारा  गर्भनाल को निकाला जाता हैI मेडिकल गर्भपात हमेशा स्वास्थ्य केंद्र में ही करवाना चाहिए- घर में इसे करने की कोशिश कभी ना करेंI यह एक डॉक्टर की देखरेख में ही होना चाहिएI