Harsha
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अजनबी के साथ बितायी एक रात ले आयी अपने प्यार के करीब

द्वारा Meghna Bajpai नवंबर 16, 10:59 पूर्वान्ह
हर्षा ने करण के साथ एक रात बिताई जो उसे उदित के करीब ले गयीI यह जानने के आगे लिए पढ़ें कि कैसे उस रात के हसीन पलों से उसका बिखरता हुआ लम्बी दूरी का रिश्ता फ़िर से मज़बूत हो गयाI

*हर्षा बेंगलुरु की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं

मासूमियत से भरी शुरुआत

जब मैं दीवाली की छुट्टियों में अपने घर पुणे गयी तो अपने कुछ दोस्तों के माध्यम से मेरी मुलाक़ात उदित से हुईI हमारी पहली मुलाक़ात की यादें आज भी मेरे दिलों-दिमाग में ऐसे ताज़ा हैं जैसे कल की बात होI ऐसा नहीं था कि उदित ने मेरी तारीफों के पुलिंदे बाँध कर मुझे ख़ास मह्सूस करवाने की कोई कोशिश की थीI इसके विपरीत हमारे बीच तो दोस्तों, खाने-पीने और पढ़ाई-लिखाई के बारे में बड़ी ही सामान्य सी बातचीत हुई थीI असलियत तो यह है कि घर पर कुछ ज़रूरी काम आने की वजह से उदित पार्टी से काफ़ी जल्दी भी चला गया थाI लेकिन कुछ तो हुआ था उस दिन जिसने मेरे दिल के तार हिला दिए थेI

हमने एक दूसरे के फ़ोन नंबर ज़रूर लिए थे लेकिन मुझे उसे फ़ोन करने का कोई इरादा नहीं थाI अब वो पुणे रहता था और मैं बेंगलुरु तो मुझे तो कोई भविष्य नहीं नज़र आया थाI लेकिन किस्मत तो ऊपर वाला लिखता है नाI

मोटरसाइकिल पर सैर

अगली सुबह अभी मेरी आंख ढंग से टूटी भी नहीं थी कि मेरा फ़ोन बज उठाI "मेरी मोटरसाइकिल पर घूमने चलोगी?", उधर से उदित का सन्देश आया हुआ थाI मेरे हाँ जवाब देने के पांच मिनट के भीतर वो अपनी हार्ली डैविडसन की गड़गड़ाहट से मेरे आसपड़ोस के सभी लोगों को उठाता हुआ मेरे घर के नीचे पहुँच गया थाI

अपनी बाइक पर वो किसी हॉलीवुड फिल्म का हीरो लग रहा थाI मैं दुविधा में थी कि उसे कमर से पकड़ूँ या अपने हाथ उसके कंधो पर रख लूँI मुझे कन्धों पर हाथ रखना ठीक लगा था लेकिन भारतीय सड़क पर मौजूद अनगिनत गड्ढे मुझे बार-बार उदित के काफ़ी करीब धकेल देते थेI हम पुणे के बाहरी इलाके में स्थित एक खूबसूरत झील पर पहुंच गए थेI अक्टूबर की वो शांत सुबह कब बातों में गुज़र गयी थी, इसका मुझे एहसास ही नहीं हुआ थाI

कई ऐसी बातें थी जिन पर हम दोनों के ख्याल मिलते जुलते थे - जैसे कुत्तों के लिए हमारा प्यार! पूरा दिन कहाँ निकल गया मुझे पता ही नहीं चलाI सुबह की निकली मैं रात का खाना खाने के बाद वापस पहुँची थीI

मेरा पहला किस और स्वीकृति

अब सन्देश हर सुबह आने लगे थेI हम हर दिन एक साथ मज़े करते थे और मुझे उसके साथ बहुत अच्छा लगने लगा थाI अब बेझिझक मैं उसकी कमर पकड़ कर बैठती थीI एक दिन, घर लौटने के दौरान, उसने एक पेड़ के नीचे बाइक लगाई और मुझे अपनी और खींच लियाI इससे पहले मैं कुछ समझ पाती उसके होंठ मेरे होंठो के ऊपर थेI वो एक अभूतपूर्व एहसास था और मेरे होंठो को भी शायद बहुत अच्छा लगा था क्यूंकि वे भी पागलो की तरह उदित को चूम रहे थेI अपने घर पहुँच कर मैं पूरी रात उदित के बारे में सोचती रहीI

अगली सुबह, मेरे दिमाग में लाखों सवाल थे। मैं केवल एक सप्ताह के लिए पुणे में थी। क्या मैं वास्तव में एक लंबी दूरी के रिश्ते को संभाल पाउंगी? मैंने यह कई बार सुना था कि प्यार अंधा होता है लेकिन यह महसूस पहली बार हो रहा था कि यह बात कितनी सच है! उदित के मुंह से निकले उन तीन जादुई शब्दों ने मेरे हर सवाल का जवाब दे दिया था और एक हफ्ते के भीतर हम एक प्रतिबद्ध रिश्ते में बंध गए थेI

दूरियों का दर्द

लाखों बार 'आई लव यू' और 'तुम्हारे बिना रहना मुश्किल होगा' कहने के बाद मैं बेंगलुरु पहुँच गयी थीI पहले दो महीने तो पता भी नहीं चले थेI उदित मुझे हर रात फोन करता था और हम दोनों लम्बी वीडियो कॉल करते थेI इसके साथ-साथ हम दोनों एक दूसरे को पर्याप्त समय देते थे और उसी समय बात करते थे जो दोनों के लिए सुविधाजनक होI

जनवरी तक सब ठीक था लेकिन उसके बाद मेरा काम इतना बढ़ गया था कि मुझे साँस लेने की भी फुर्सत नहीं थीI अब हम दोनों को बात किये, कई दिन गुज़र जाते थेI इससे पहले कि मुझे पता चलता कि क्या हो रहा है, हमारे रिश्ते में चीज़ें बिगड़नी शुरू हो गयी थीI उदित को लग रहा था कि मैं इतनी व्यस्त कैसे हो सकती हूं! अब हमारे बीच बातें कम होती थी और जब भी होती थी वो लड़ाई से खत्म होती थीI

समय के साथ उदित भी अपने प्रोजेक्ट्स में व्यस्त हो गया था और ऐसा लगा जैसे 'इस रुट की सभी लाइनें व्यस्त हो गयी हैं'I अब हम दोनों की बात ही नहीं हो पाती थीI ऐसा नहीं था कि हम दोनों कोशिश नहीं कर रहे थे लेकिन दुर्भाग्यवश जब मेरे पास समय होता तो वो व्यस्त होता और जब वो बेचारा मुझसे बात करने की कोशिश करता तो मेरे पास समय का अभाव होताI हम दोनों ही बहुत ज़्यादा परेशान हो गए थे और हमारी झुंझलाहट बढ़ती जा रही थीI

रिश्ते से छुट्टी

मेरा बस हो गया थाI मेरी हिम्मत जवाब दे रही थीI मुझे लग रहा था कि मैं फंस गयी हूँ और मैं समझ नहीं पा रही थी कि मुझे क्या करना चाहिएI मैंने आराम से उससे बात कर पूछा कि 'क्या हमें थोड़े समय के लिए एक दूसरे से अलग हो जाना चाहिए?' वो पूरी तरह से इसके खिलाफ था 'रिश्ते ऐसे नहीं चलते, वो साथ रहकर बात करने से चलते हैं, नाकि एक दूसरे से अलग रहकर'।

लेकिन मैंने निर्णय ले लिया थाI मुझे पता था कि अगर इस रिश्ते को आगे बढ़ाना है तो मुझे थोड़े समय के लिए इस सम्बन्ध को विच्छेद करना ही पड़ेगाI मैं खुद को समझती थी और मुझे लग रहा था कि शायद मैं एक गंभीर प्रतिबद्ध रिश्ते के लिए अभी तैयार नहीं हूँI मैंने उसे कहा कि हम दोनों अब तब तक एक दूसरे से बात नहीं करेंगे जब तक हम दोनों पूरी तरह तैयार ना होंI

मेरा एक रात का रिश्ता - करीब-करीब

उसके बाद मैंने जो कुछ किया वो बहुत अप्रत्याशित थाI इस सबसे अपना मन हटाने के लिए मैं अपने कुछ और दोस्तों के साथ अपने दोस्त करण के घर गयीI हम लोग रात भर शराब पीते हुए बातें करते रहेI मेरा फ़ोन करण के कमरे में चार्ज पर लगा थाI अपने दोस्तों को बातें करता देख मुझे भी उदित की याद आ गयीI यह देखने के लिए कि कहीं उदित का कोई फ़ोन या सन्देश तो नहीं आया मैं करण के कमरे में गयीI

उसी वक्त, करण भी कमरे में आया और मेरी ओर मुस्कुराकर देखाI हम दोनों इतने नशे में थे कि हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा हैI उसने लाइट बंद कर दी और मुझे लगा कि वो सोना चाहता हैI उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं संगीत सुनना चाहती हूँ?

मैंने हाँ कहा और उसके साथ ही बिस्तर पर लेट गयीI धीरे-धीरे उसने मेरे कंधे पर अपना सर झुकाया और मैंने भी विरोध नहीं किया। हमारे होंठ एक दूसरे के होंठो के बेहद करीब थे और कुछ ही पलों में हम एक दूसरे को चूम रहे थे! मुझे उसका चूमना बहुत अच्छा लग रहा था, शायद उदित से भी अच्छाI मुझे याद भी नहीं कि हम दोनों कब सो गएI

बिना पछतावे वाली सुबह

करण ने अगली सुबह मुझे कॉफी और एक शानदार मुस्कान के साथ जगाया। मैं यह समझने की कोशिश कर रही थी कि रात को क्या हुआ थाI मेरे दिमाग में सिर्फ़ एक ही बात घूम रही थी - क्या मुझे उदित को बताना चाहिए?

जब मैं करण के घर से निकली तो मुझे अजीब सी ख़ुशी का एहसास हो रहा थाI लेकिन तभी मैंने अपने फोन की स्क्रीन पर उदित का नाम चमकता देखाI जैसे मेरी धड़कने रुक गयी थीI "हम तो 'ब्रेक' पर हैं, यह क्यों मुझे फ़ोन कर रहा हैI" मैंने बहुत ही घबराते हुए अपना फोन उठाया।

मुझे कुछ बोलने का मौक़ा दिए बना, उदित बड़बड़ाये जा रहा थाI मुझे ज़्यादा तो याद नहीं लेकिन हाँ इतना ज़रूर याद है कि वो कह रहा था कि वो अब दूर नहीं रह सकता और वो मुझे वापस अपनी ज़िंदगी में चाहता हैI

मैं सिर्फ़ उसे यह कह पायी कि मुझे सोचने के लिए कुछ समय चाहिए। उसने कुछ देर तक और कोशिश की लेकिन फ़िर उसे मेरी बात मान कर फ़ोन रखना पड़ाI फ़ोन रखते हुए उसके अंतिम शब्द थे, 'आई लव यू, मैं तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करूंगा'I

मैंने पूरा दिन और रात अपने रिश्ते के बारे में सोचते हुए गुज़ाराI मैं उदित को खोना नहीं चाहती थी, लेकिन मुझे अभी इस रिश्ते के बारे में कुछ संदेह था।

खुशनुमा सुबह

अगली सुबह आश्चर्यजनक तरीके से मैं स्पष्ट विचारों के साथ उठी थीI मुझे याद आया कि उस रात मैंने करण को आगे बढ़ने के लिए मना किया थाI मुझे एहसास हुआ कि मैं अभी भी उदित की फिक्र करती हूँ लेकिन उसका शारीरिक स्पर्श और ढंग से बातें ना हो पाने के कारण मैं परेशान हो गयी थीI हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन एक साथ ज़्यादा समय ना बिता पाने के कारण एक दूसरे के साथ ढंग से बर्ताव नहीं कर पा रहे थेI

मैंने उदित को जवाब देने का फैसला किया। मुझे पता था कि वो इंतजार कर रहा होगाI कांपती हुई उँगलियों से मैंने टाइप किया 'आई लव यू टू' और उसे भेज दियाI उसका तुरंत फ़ोन आ गयाI मैंने कहा कि मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, यह सुनकर वो थोड़ी देर के लिए खामोश हो गयाI शायद उसे लगा कि मैं रिश्ते को पूरी तरह खत्म करने के बारे में बात कर रही हूँI मैंने उसे जल्दी से आश्वस्त किया और फ़िर उसके साथ लम्बी बात की कि हमारे रिश्ते के लिए हमें क्या चाहिए - नियमित रूप से एक दूसरे को देखना, मिलना, छूना और महसूस करना, मेरी सूची में सबसे ऊपर थेI अब हम हर रोज किसी ख़ास समय पर एक दूसरे को कॉल करते हैं और ऐसा ना कर पाने पर उसकी क्षतिपूर्ति करने के लिए समय निकालते हैंI उदित मुझसे मिलने के लिए बैंगलोर आता जाता रहता है और मैं भी समय-समय पर पुणे चली जाती हूँI अब सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा हैI

करण का क्या हुआ? कुछ नहींI वैसे, करण का कुछ होना भी नहीं थाI शायद वो मुझे इस बात का एहसास दिलाने आया था कि मुझे किस बात की कमी खल रही थी - उदित के स्पर्श कीI

क्या मैं कभी उदित को करण के बारे में बताउंगी? नहीं, क्योंकि हमारे पास अब जो है वो पहले से कहीं ज्यादा बेहतर है। रिश्तो का भी अजीब गणित होता हैI करण के साथ बितायी वो एक रात मुझे उदित के इतने करीब ले आयी है कि मुझे नहीं लगता वो रात अब मायने भी रखती हैI

*नाम बदल दिए गए हैं

तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया है

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