‘A Small Nick or Cut, they say…’
Love Matters India

‘उनके लिए तो छोटा सा ही ज़ख्म है...’

फ़िल्म में दावूदी बोहरा समाज के पुरुषों और महिलाओं ने बेहद ईमानदारी और निर्भीकता से खतना या महिला परिच्छेदन (फीमेल सर्कम्सिशन) जैसी भयानक रस्म को खत्म के बारे में बात की हैI

अगर आपने फीमेल सर्कम्सिशन के बारे में जानने की कोशिश की है तो शायद आपने 200 करोड़ की संख्या के बारे में भी पढ़ा होगाI संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह वो आंकड़ा है जो लगभग 30 देशों में खतना नामक यातना को झेल चुकी महिलाओं की संख्या को दर्शाता हैI

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फीमेल सर्कम्सिशन को, ज़ख्म कितना गहरा है उस आधार पर चार प्रकार से वर्गीकृत किया हैI कई दशकों से कार्यकर्ताओं, शोधकर्ताओं, संस्थाओं और मीडिया ने जननांग काटने के सबसे गंभीर रूपों पर ही मुख्य रूप से अपना ध्यान केंद्रित किया है, मतलब कि केवल द्वितीय और तृतीय प्रकारों परI

टाइप 1 को अक्सर अनदेखा किया जाता हैI की गई है। फीमेल सर्कम्सिशन के इस रूप में भगशेफ के फण या उसके कुछ भाग को काटना शामिल हैI यह दाऊदी बोहरा समुदाय सहित कई एशियाई समुदायों में प्रचलित है।

अक्सर जननांग काटने के इस "मामूली" तरीके के बारे में चिंता व्यक्त करने को अनावश्यक प्रतिक्रिया कह कर खारिज कर दिया जाता हैI हमें बताया जाता है कि "यह सिर्फ एक छोटा सा ही ज़ख्म तो है, त्वचा का एक छोटा सा टुकड़ा"। उनके अनुसार यह उतना रूप उतना भयानक और विकृत नहीं है जैसा कि अफ्रीका में होता हैI

इस वीडियो में, हम कहना चाहते हैं कि "नो मोर" (अब और नहीं)। एशियाई मूल की उन हज़ारों महिलाओं के विविध अनुभवों को अब भूलने नहीं दिया जाएगा जिनके जननांगों को उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ क्षति पहुंचाई गयीI जननांगों के काटने के किसी भी प्रकार को अब यह बोल कर माफ़ नहीं किया जाएगा कि "कम से कम यह इतना बुरा तो नहीं है"I हम इस बारे में चुप नहीं रहेंगे क्योंकि ज़ख्म कितना भी छोटा क्यों ना हो यह भी लिंग हिंसा का ही प्रतीक है और महिलाओं के साथ यह कतई नहीं होना चाहिएI

लव मैटर्स और सहियो के द्वारा निर्मित यह वीडियो एक प्रयास है उन हज़ारो महिलाओं के अनुभवों को एक आवाज़ देने का जिन्होंने टाइप 1 महिला परिछेद्दन के दर्द को झेला हैI यह एक और प्रयास है कि हम लोगों को भाषा से जुड़ी जटिलताओं और सीमाओं को स्वीकार करना सिखा सकें- जैसे कि लोगों को "पीड़ित" या "जीवित" नाम देने कि कश्मकशI

इस विडियो में प्रधान भूमिकाओं में सहियो के सह-संस्थापक और अन्य कलाकारों के साथ साथ -अब्बास और सलेहा पाटवाला भी थे- जो दावूदी बोहरा की नयी पीढ़ी के लिए एक बेहतर भविष्य की आस में हैंI

विडियो को देखना और साझा करने ना भूलें और महिला परिछेद्दन को रोकने के विश्व्यापी आंदोलन का हिस्सा बनेंI

इस ब्लॉग को मूल रूप से सहियो की वेबसाइट पर प्रस्तुत किया गया थाI

क्या महिला परिछेद्दन को रोकने में आप अपनी सहायता करना चाहते हैं? अपने अनुभव हमें नीचे टिपण्णी करके या फेसबुक के ज़रिये संपर्क करके बता सकते हैंI अगर आपके मन में महिला परिछेद्दन से सम्बंधित कोई भी सवाल हो तो हमारे चर्चा मंच का हिस्सा ज़रूर बनेंI

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